भचीड़ / रामस्वरूप किसान

Gadya Kosh से
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लीलू अेक गुमेजी मजूर। खून-पसीनै री खावै। पैलां ईंट थापतो अब लक्कड़ फाडै़। लौह रै डांडै रो निगर कुहाड़ उण रै खांदै ई रैवै। जद मिलै, पसेव सूं चौंवतो मिलै। बतळायां चोटी में बटको बोडै। लीलू नै बतळावणो, काळै री पूंछ दाबणी। कारण, कै सांच री न्ह्याई रै आंच में पकायोड़ो घड़ो है बो। अर निकरो सांच जैÓर सूं बेसी खारो। इण नै जे थोड़ो मीठो करणो हुवै तो मण पक्की झूठ मिलावणी पड़ै। जकी उण रै ताबै नीं आवै। सांच अर झूठ रै घुरळियै रो नांव ई तो व्यवहार हुवै। अर जे व्यवहार-कुसल बणनो हुवै तो कोरी झूठ पर सांच रो झोळ फेरणो आणो चइयै। पण इण मामलै में बो तो अैन उल्टो। बात कैवण री चतराई रै अभाव में कदे-कदे कोरी सांच पर झूठ रो झोळ अवस फिर बैठै। कैवण रो अरथ, लीलू व्यवहार-बायरो है। कदे-कदे सोचूं, व्यवहार तो सभ्य समाज री रीढ हुवै। ईं बिना ओ किंयां जीवै लाई? पण अण तो साठ पार कर दिया। टाट कोनी मारी व्यवहार री। अेकली सांच सूं नाको काढ लियो। करड़ी अर खारी सांच सूं। सभ्यता सूं सौ कोस दूर लीलू किण नै ई बाळ बरोबर ई नीं समझै। सरपंच तकात नै तूंकारै सूं बतळावै। अेक दिन री बात। लीलू लक्कड़ फाड़Óर आयो ई हो। बो आप री कुटिया रो ताळो खोलै हो। कण ई हेलो मार्यो- 'लीलू... पंचायत-घर में खांड बंटै।Ó उण हेलो मारणियै कानी देख्यो। हाथ में खांड री बाळटी देखÓर तसल्ली हुयी। सोच्यो, मजाक तो कोनी करी। खांड तो बंटै। बो कुटिया खोलÓर मांय बड़्यो। कुहाड़ो कंूट में धर्यो। पसीनो पूंछÓर रासन-कार्ड सोधण लाग्यो। अेक आळै में पड़्या कागदिया फिरोळ्या। रासन-कार्ड लाधग्यो। बो जेब में घालतै थकां बड़बड़ायो- 'अेक आदमी रो किस्यो कार्ड हुवै... म्हैं सरपंचियै नै रोयो, आं रा नांव फसादे रै, पण...।Ó उण आंगणै रै नीम तळै सूत्यै कुत्तां री जमात कानी हाथ कर्यो। 'आं नै खांड कोनी चइयै के? च्यार तो कुत्ती है आं मांय। जकी सालीणी ब्यावै। जापै में के कोनी लागै। च्यार-च्यार दिन सीरो घालूं तो ई मिण बैठै। म्हारो तो ओ ई है परिवार। कठै सूं ल्यावूं लुगाई-टाबर?.. अेकर भूरियै अर राणती रो नांव मंडायो हो। पण के काम लागै, परमट तो अेकलियै नांव रो ई बणÓर आयो। सरपंचियै नै मौत खायगी। नांव कटा दिया। पण कटा द्यो भावूं। या-त्या करावो आपरी। म्हे तो सगळा जणा खांड ई खावां।Ó बड़बड़ांवतो लीलू बारै निकळग्यो। अर खांड ल्यावण चाल पड़्यो। काळियो अर मोतीड़ो उण रै लारै-लारै चाल पड़्या। रासन-कार्ड उण री जेब में हो। अर ठांव चइयै ई क्यामी हो। क्यूं कै अेक किलो खांड तो कुड़तियै री झोळी में ई नावड़ज्यै। अर बो तो झोळी में ई ल्यांवतो खांड। उण बगतै-बगतै आपरो कुड़तियो संभाळ्यो। आगलैै पाट री दोनूं कूंटां आपो-आप पकड़ीजगी। पाट झोळी रो रूप ले लियो। बो देखÓर चिंता में पड़ग्यो। झोळी रै अैन बिचाळै बाटकी रै पींदै मान बेजको। बो मांय ई मांय बड़बड़ायो- 'भैणचो... चिलमड़ी रा दसखत है।Ó चिमठी छुटगी। 'पोतियै रै पल्लै बंधा लेस्यां। अेक मुट्ठी तो खांड आसी।Ó सोचतो-सोचतो बो पंचायत-घर रै आगै पूगग्यो। अर जांवतां ई अेक लांबी लैण में लागग्यो। दोनूं कुत्ता उण रै बरोबर पगां कन्नै खड़्या हुग्या। अेक जणै मसखरी करी। 'आं नै लैण में लगा ले लीलू!Ó 'डोळ है के थारो आं नै लैण में लगावण रो?Ó गोळ आंख्यां उण रै चैÓरै पर टिकगी। बीं री जाड़ चिपगी। राफ तिड़कायÓर रैयग्यो। लीलू काळियै रै माथै पर हाथ फेरण लागग्यो। मोतीड़ो बीं रा पग चाटै हो। लैण होळै-होळै आगै सरकै ही। लीलू रो ध्यान असवाडै-पसवाडै़ गयो। अेक कानी दो बलोरो गाडियां पळका मारै ही। बां रै स्टेरिंग माथै पैंटड़-सूटड़ ड्राईवर बैठ्या हा। अर बां री गद्दैदार कंवळी सीटां पर फूल-सा टाबर गधम-चक्का करै हा। बां गाडियां री लारली सीटां पर घणमोली साड़ी पैर्यां ईंदर री परी-सी दो-दो लुगाइयां बैठी गप्पां मारै ही। हांसै ही। अेक कानी चूंतरी पर ढळ्योड़ै सोफां पर दो बांका रईस बैठ्या हा। लीलू बां कानी ख्यांत्यो, पण पिछाण में नीं आया। धोती-चोळै में दोनूं ई नेता-सा लागै हा। गांव रा मौतबर बां रै च्यारूंमेर बैठ्या हा। कई खड़्या हा। बात-बात पर बैै दोनूं इत्ता खुलÓर हांसै हा कै गुवाड़ गूंजै हो। लोग बां री बातां रा हुंकारा देवै हा। लीलू सोच्यो, ओ के बिरतंग है? कुण है अै? होला कोई। आपां नै के...। बो आप री बारी रो इंतजार करण लागग्यो। इतराक में उण रो ध्यान अेक कानी खड़्यै ट्रक पर गयो। जिको खांड री बोरियां सूं भर्योड़ो हो। पलदार बोरी उतारै हा। अर पंचायत घर रै बरामदै में ले जाÓर पटकै हा। अै पलदार ई अणचोबड़। गांव रै सगळै पलदारां नै बो जाणै हो। आं में बां मांय सूं अेक ई नीं हो। बिहारिया-सा लागै हा। बो भळै दोगाचिंती में पड़ग्यो- 'कुण है अै? अर ओ ट्रक? खांड तो सदां ई बंटै। न ट्रक हुवै अर न अै। आज तो नुंवों ई अड़ंगो है। पण आपणो के ल्यै सिरकार री सौ सकीम है।Ó सोचतां-सोचतां उण रो ध्यान खांड ले ज्यावण वाळां पर गयो। उण रै अचम्भै रो ठिकाणो नीं रैयो। सगळां रै हाथ में अेक ई ठांव! पळका मारती नुंवीं-नकोर स्टील री बाळटी अर खांड सूं पोळा-पोळ। उण अंदाजो मार्यो, पंदरा किलो खांड सूं कम कोनी। सगळां नै पंदरा-पंदरा किलो खांड। है तो कोई नुंवीं ई सकीम। काळ में सिरकार नै दया आगी हुसी। इणी ढोवा-मंडी में उण नै ठाह ई नीं लाग्यो कै उण रै आगै अेक जणो ई रैयो है। उण लारनै देख्यो। लैण बधती ई जावै ही। कीं धक्कम-धक्का ई सरू हुगी। धक्का-पेल बधती देख सोफै पर बैठ्या दोनूं रईस खड़्या हुया। बां ऊंची आवाज में कैयो- 'ईयां ना करो भई, लैण ना तोड़ो। सगळां नै मिल ज्यासी।Ó पछै बै दोनूं खांड बांटणियां कन्नै, पंचायत घर रै बरामदै में, जठै बोरी खुल-खुलÓर बाळट्यां भरीज्यै ही, आयग्या। अर पूछण लाग्या- 'कित्तीÓक पड़ी है?Ó 'भोत पड़ी है। अजे तो आध ई कोनी आयो।Ó जवाब मिल्यो। 'अर बाळटी?Ó 'बाफर है।Ó 'बता देइयो। बाळटी अर खांड और मंगा लेस्यां।Ó अेक रईस बोल्यो। लीलू उण रै मंंू कानी देख्यो। अंग्रेज बरगो आदमी हो बो। उण बां दोनूं रईसां नै अेडी सूं चोटी तांई देख्या। क्यूंकै बै दोनूं खांड रै बोÓळ रै साÓरै ई खड़्या हा अर लीलू आगै फगत अेक जणो ई रैयो हो। उण रो नम्बर आवण वाळो ई हो। अैन खांड रै नजीक ई हो बो। उण खांड बांटणियां कानी देख्यो। सगळा ई अटळा हा। अेक, बाबू सरीखो अर बाकी साधारण हा। अेक, बाळटी झलावै। दूजो बाळटी पकडै़। तीजो भरै। अर चौथो जको बाबू-सो दीखै हो। हाथ में कापी-पैन हा। बो लिखै हो। लीलू सगळी स्थिति रो जायजो लेवण री कोसिस करै हो। पण इतराक में उण रो नम्बर आयग्यो। उण रै आगलो खांड री बाळटी भराÓर तीतर हुग्यो। लीलू माथै रो पसीनो पूंछ्यो। अर गीलै हाथ जेब सूं रासन-कार्ड काढ्यो। लैण रै असवाडै़-पसवाडै़ खड़्यै लोगां उण कानी मुळकÓर देख्यो। कई ताळी पीटÓर हांस्या। फुसफुसाया-'भोळियो, कार्ड ल्यायो है।Ó पण बींरो ध्यान तो खांड बांटणियां में खड़्यै उण बाबू पर हो। जको कापी में खांड रो हिसाब लिखै हो। उण झट करÓर कार्ड उण बाबू रै हाथ में पकड़ा दियो। बो कार्ड नै ऊंधो-सूंधो करÓर देखण लाग्यो। लीलू बोल्यो, 'देखै के है। परमट है। कोटै वाळो परमट।Ó 'के करां फेर?Ó कैयÓर उण कार्ड पाछो ई लीलू रै हाथ में पकड़ा दियो। ईं रै साथै ई अेक जणै हाथ में पकड़ा दी खांड री बाळटी। लीलू हाक्यो-धाक्यो-सो रैयग्यो। पागल री भांत बां री आंख्यां में देखण लागग्यो। 'खड़्यो के देखै? जा भई, लारलै नै ई लेवण दे खांड।Ó कन्नै खड़्यो अेक रहीस बोल्यो। 'कित्ता पीसा द्यंू?Ó रहीस री आंख्यां में खुद री आंख रोपतो लीलू बोल्यो। 'तेेरै कन्नै घणा उछळै के पीसा? धरमादो है।Ó रहीस लाल-पीळो हुयो। इतराक में गांव रो अेक नामी पंडत जकै री चोटी कड़्यां पर हींडै ही, आयग्यो अर उण नै समझावण लाग्यो- 'अै सेठ है लीलू! आपणै गांव सूं ई गयोड़ा सेठ। अरबां पर दियो जगै आं रो। अब दिल्ली रैवै। बामण-स्यामियां अर गरीब-गुरबां नै धरमादो बांटण आया है। पुन्न रो दाणो खिंडावै बापड़ा। ले ज्या खांड।Ó पंडत री बात सुणÓर लीलू री आंख्यां लाल हुगी। उण रो डील कांपण लागग्यो। खांड री बाळटी हाथ में गेड चढगी अर दोनूं सेठां रै पगां में जायÓर भचीड़ बाज्यो। बै बाळ-बाळ बचग्या। बाळटी मुचगी अर खांड खिंडगी। सेठ चिमक्या- 'कुण है रै ओ!?Ó 'म्हैं तो सोच्यो कोटैआळी खांड मिलती हुसी पण अठै तो भैणचो...।Ó बो आगला सबद गिटग्यो अर घर कानी चाल पड़्यो। दोनूं कुत्ता उण रै लारै...लारै बगै हा।