भिखारिन / श्याम सुन्दर अग्रवाल

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

“बच्चा भूखा है, कुछ दे दे सेठ!” गोद में बच्चे को उठाए एक जवान औरत हाथ फैला कर भीख माँग रही थी। “इस का बाप कौन है? अगर पाल नहीं सकते तो पैदा क्यों करते हो?” सेठ झुंझला कर बोला। औरत चुप रही। सेठ ने उसे सिर से पाँव तक देखा। उसके वस्त्र मैले तथा फटे हुए थे, लेकिन बदन सुंदर व आकर्षक था। वह बोला, “मेरे गोदाम में काम करोगी? खाने को भी मिलेगा और पैसे भी।” भिखारिन सेठ को देखती रही, मगर बोली कुछ नहीं। “बोल, बहुत से पैसे मिलेंगे।” “सेठ तेरा नाम क्या है?” “नाम! मेरे नाम से तुझे क्या लेना-देना?” “जब दूसरे बच्चे के लिए भीख माँगूंगी तो लोग उसके बाप का नाम पूछेंगे तो क्या बताऊँगी?” अब सेठ चुप था।