माँ का अंश / मक्सीम गोर्की

Gadya Kosh से
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पाविल अपने दृढ़ स्वर में बोलता रहा और कमरे में निस्तब्धता और गहरी होती गई, ऐसा प्रतीत होता था कि वह कमरा बड़ा होता जा रहा है और पाविल का क़द कुछ और बढ़ गया है और वह सब पर छाया हुआ है।

जज कुछ बेचैन होकर अपनी कुर्सियों पर पहलू बदल रहे थे। मार्शल ऑफ दि नोबिलिटी ने उस उदासीन सूरत वाले जज के कान में कुछ कहा और उसने सिर हिलाकर बूढ़े जज के दाहिने कान में कुछ कहा और इसी समय उस बीमार सूरत वाले जज ने उसके बाँए कान में कुछ कहा। दाहिनी बाँई दोनों तरफ़ डोलने से झुँझलाकर बूढ़े जज ने ऊँचे स्वर में कुछ कहा, पर पाविल के भाषण के पाटदार तथा सुगम प्रवाह में उसकी आवाज़ डूबकर रह गई।

“हम समाजवादी हैं। इसका मतलब है कि हम निजी सम्पत्ति के ख़िलाफ़ हैं” निजी सम्पत्ति की पद्धति समाज को छिन्न-भिन्न कर देती है, लोगों को एक-दूसरे का दुश्मन बना देती है, लोगों के परस्पर हितों में एक ऐसा द्वेष पैदा कर देती है जिसे मिटाया नहीं जा सकता, इस द्वेष को छुपाने या न्याय-संगत ठहराने के लिए वह झूठ का सहारा लेती है और झूठ, मक्कारी और घृणा से हर आदमी की आत्मा को दूषित कर देती है। हमारा विश्वास है कि वह समाज, जो इनसान को केवल कुछ दूसरे इनसानों को धनवान बनाने का साधन समझता है, अमानुषिक है और हमारे हितों के विरुद्ध है। हम ऐसे समाज की झूठ और मक्कारी से भरी हुई नैतिक पद्धति को स्वीकार नहीं कर सकते। व्यक्ति के प्रति उसके रवैये में जो बेहयाई और क्रूरता है उसकी हम निन्दा करते हैं। इस समाज ने व्यक्ति पर जो शारीरिक तथा नैतिक दासता थोप रखी है, हम उसके हर रूप के ख़िलाफ लड़ना चाहते हैं और लड़ेंगे कुछ लोगों के स्वार्थ और लोभ के हित में इनसानों को कुचलने के जितने साधन हैं हम उन सबके ख़िलाफ़ लड़ेंगे। हम मज़दूर हैं; हम वे लोग हैं जिनकी मेहनत से बच्चों के खिलौनों से लेकर बड़ी-बड़ी मशीनों तक दुनिया की हर चीज़ तैयार होती है; फिर भी हमें ही अपनी मानवोचित प्रतिष्ठा की रक्षा करने के अधिकार से वंचित रखा जाता है। कोई भी अपने निजी स्वार्थ के लिए हमारा शोषण कर सकता है। इस समय हम कम से कम इतनी आज़ादी हासिल कर लेना चाहते हैं कि आगे चलकर हम सारी सत्ता अपने हाथों में ले सकें। हमारे नारे बहुत सीधे-सीधे है: निजी सम्पत्ति का नाश हो, उत्पादन के सारे साधन जनता की सम्पत्ति हों, सत्ता जनता के हाथ में हो, हर आदमी को काम करना चाहिए। अब आप समझ गए होंगे कि हम विद्रोही नहीं हैं।’’

पाविल धीरे से मुस्कराया और धीरे-धीरे अपने बालों में उँगलियाँ फेरने लगा। उसकी नीली आँखों की चमक पहले से बहुत बढ़ गई थी।

‘‘मैं तुमसे कहता है कि बस मतलब भर की बात कहो।’’ बूढ़े ने जोर से स्पष्ट स्वर में कहा और पाविल की ओर मुड़कर देखा। माँ की कल्पना में यह बात आई कि उस जज की निस्तेज बाईं आँख में लोलुपता और कुत्सा की चमक थी। तीनों जज उसके बेटे को देख रहे थे, उनकी नज़रें उसके चेहरे पर जमी हुई थीं, ऐसा मालूम होता था कि वे अपनी पैनी नज़रों से उसकी शक्ति चूस ले रहे हैं; वे उसके ख़ून के प्यासे लग रहे थे, मानो इससे उनके शक्तिहीन शरीर में फिर से जान आ जाएगी। परन्तु पाविल अपना लम्बा-चौड़ा बलिष्ठ शरीर लिए साहस के भाव से सीधा तनकर खड़ा था और अपना हाथ उठाकर कह रहा था :

‘‘हम क्रान्तिकारी हैं और उस समय तक क्रान्तिकारी रहेंगे जब तक इस दुनिया में यह हालत रहेगी कि कुछ लोग सिर्फ़ हुक़्म देते हैं और कुछ लोग सिर्फ़ काम करते हैं। हम उस समाज के ख़िलाफ़ हैं जिनके हितों की रक्षा करने की आप जज लोगों को आज्ञा दी गई है। हम उसके कट्टर दुश्मन हैं और आपके भी और जब तक इस लड़ाई में हमारी जीत न हो जाय, हमारी और आपकी कोई सुलह मुमकिन नहीं है। और हम मजदूरों की जीत यक़ीनी है! आपके मालिक उतने ताक़तवर नहीं हैं जितना कि वे अपने आपको समझते हैं। यही सम्पत्ति जिसे बटोरने और जिसकी रक्षा करने के लिए वे अपने एक इशारे पर लाखों लोगों की जान कुर्बान कर देते हैं, वही शक्ति जिसकी बदौलत वे हमारे ऊपर शासन करते हैं, उनके बीच आपसी झगड़ों का कारण बन जाती है और उन्हें शारीरिक तथा नैतिक रूप से नष्ट कर देती हैं। सम्पत्ति की रक्षा करने के लिए उन्हें बहुत भारी क़ीमत चुकानी पड़ती है। असल बात तो यह है कि आप सब लोग, जो हमारे मालिक बनते हैं हमसे ज़्यादा गुलाम हैं। हमारा तो सिर्फ़ शरीर गुलाम है, लेकिन आपकी आत्माएँ गुलाम हैं । आपके कंधे पर आपकी आदतों और पूर्व-धारणाओं का जो जुआ रखा है उसे आप उतारकर फेंक नहीं सकते। लेकिन हमारी आत्मा पर कोई बंधन नहीं है। आप हमें जो ज़हर पिलाते रहते हैं वह उन ज़हरमार दवाओं से कहीं कमज़ोर होता है जो आप हमारे दिमागों में अपनी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ उँड़ेलते रहते हैं। हमारी चेतना दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है और सबसे अच्छे लोग, वे सभी लोग जिनकी आत्माएँ शुद्ध हैं हमारी और खिंचकर आ रहे हैं, इनमें आपके वर्ग के लोग भी हैं। आप ही देखिए— आपके पास कोई ऐसा आदमी नहीं है जो आपके वर्ग के सिद्धान्तों की रक्षा कर सके; आपके वे सब तर्क खोखले हो चुके हैं जो आपको इतिहास के न्याय के घातक प्रहार से बचा सकें, आप में नए विचारों को जन्म देने की क्षमता नहीं रह गई है, आपकी आत्मायें निर्जन हो चुकी हैं। हमारे विचार बढ़ रहे हैं, अधिक शक्तिशाली होते जा रहे हैं, वे जन–साधारण में प्रेरणा फूँक रहे हैं और उन्हें स्वतंत्रता के संग्राम के लिए संगठित कर रहे हैं। यह जानकर कि मज़दूर वर्ग की भूमिका कितनी महान है, सारी दुनिया के मज़दूर एक महान शक्ति के रूप में संगठित हो रहे हैं — नया जीवन लाने की जो प्रक्रिया चल रही है उसके मुक़ाबले में आपके पास क्रूरता और बेहयाई के अलावा और कुछ नहीं है। परन्तु आपकी बेहयाई भौण्डी है और आपकी क्रूरता से हमारा क्रोध और बढ़ता है। जो हाथ आज हमारा गला घोंटने के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं, वही कल साथियों की तरह हमारे हाथ थाम लेने को आगे बढ़ेंगे। आपकी शक्ति धन बढ़ाते रहने की मशीनी शक्ति है, उसने आपको ऐेसे दलों में बाँट दिया है जो एक-दूसरे को खा जाना चाहते हैं। हमारी शक्ति सारी मेहनतक़श जनता की एकता की निरन्तर बढ़ती हुई चेतना की जीवन-शक्ति में है। आप लोग जो कुछ करते हैं वह पापियों का काम है, क्योंकि वह लोगों को गुलाम बना देता है। आप लोगों के मिथ्या प्रचार और लोभ ने पिशाचों और राक्षसों की अलग एक दुनिया बना दी है जिसका काम लोगों को डराना-धमकाना है। हमारा काम जनता को इन पिशाचों से मुक्त कराना है। आप लोगों ने मनुष्य को जीवन से अलग करके नष्ट कर दिया है; समाजवाद आपके हाथों टुकड़े-टुकड़े की गई दुनिया को जोड़कर एक महान रूप देता है और यह होकर रहेगा।”

पाविल रुका और उसने एक बार फिर ज़्यादा ज़ोर देकर पर धीमे स्वर में कहा :

“यह होकर रहेगा ।”