माँ के जाने के बाद / पद्मजा शर्मा

Gadya Kosh से
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नौ वर्षीय नंदू की माँ का देहांत हो चुका था। आज उनका बारहवां था। सब परिवारजन इकटठे थे। तभी अपने हम उम्र मौसेरे भाई शानू को नंदू ने मंदिर में पूजा के दिए से छेड़छाड़ करते हुए देखा तो टोका-'मेरी मम्मी कहती थीं बिना नहाए पूजा घर को हाथ नहीं लगाते। मैं भी बिना नहाए मंदिर में नहीं जाता हूँ।'

'इससे क्या हो जाता है?' शानू ने पूछा। नंदू का जवाब था-'भगवान पाप देता है।'

यह सुनकर भोले शानू ने दिए को रखते हुए बड़ी मासूमियत से कहा-'नंदू, तेरी मम्मी भगवान का इतना ध्यान रखती थी इसीलिए उन्होंने उन्हें अपने पास जल्दी बुला लिया? है न? फिर तो भगवान की पूजा करना पाप है!'