माधुरी दीक्षित की नींद / रघुनन्दन त्रिवेदी

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"बहुत थक गई हूँ आज तो । तीन-तीन शिफ़्टों में काम । हे भगवान ! देखो, अब अगर कैसा भी ज़रूरी फ़ोन, कितना ही बड़ा प्रोड्यूसर क्यों न आए, मुझे जगाना मत । कम से कम छह घंटे मैं सिर्फ़ सोना चाहती हूँ ।

माधुरी दीक्षित की बात सुनकर सेक्रेटरी मुस्कुराया-- "लेकिन मैडम, बुरा न मानें, फ़िलहाल कुछ बरस आपको सोना नहीं चाहिए । मैंने 1995 तक आपकी रातों की 'डेट्स' लोगों को दे दी हैं ।"

"क्या मतलब ?"

"आप जानती हैं, मैडम, इस वक़्त देश में कितने ही लाख लोग हैं जो आपको, सिर्फ़ आपको चाहते हैं । उन तमाम प्रशंसकों, कद्रदानों की नींद में आपको 'विजिट' करना है, एक सपना बनकर । अगर आप ख़ुद सो गईं तो..."

"तो क्या होगा ?"

"वे थके हुए, समस्याओं से घिरे लोग बिना किसी कोमल सपने के सो नहीं सकते । इसलिए आप नहीं तो कोई और उनकी नींद में जाने लगेगी । और आप तो जानती हैं, जूही, श्रीदेवी... और जाने कितनी हीरोइनें हैं जो इस वक़्त इसी फिराक में हैं ।"

मज़बूरन माधुरी दीक्षित को अपनी नींद रद्द कर देनी पड़ी और वह रात की विजिट पर चल दी ।