मिशलीन / बलराम अग्रवाल

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बोस्टन में जिब्रान एमिली मिशेल (Emilie Michel) नामक एक अत्यन्त सुन्दर और आकर्षक युवती के सम्पर्क में रहे जिसे प्यार से ‘मिशलीन’ (Micheline) पुकारा जाता था। एक जीवनीकार ने लिखा है कि मिशलीन ने पेरिस तक जिब्रान का पीछा नहीं छोड़ा। वह उनसे विवाह करने की जिद करती रही; लेकिन जब उन्होंने मना कर दिया तो वह हमेशा के लिए उनकी ज़िन्दगी से गायब हो गई। इस संबंध में दो प्रमाण प्रस्तुत किए जाते हैं — पहला यह कि पेरिस जाने से पहले जिब्रान ने उसकी पेंटिंग बनाई थी; और दूसरा यह कि अपनी एक पुस्तक उन्होंने मिशलीन को समर्पित की थी।

लेकिन कई जीवनीकार इस कहानी को विश्वसनीय नहीं मानते। इसका कारण जिब्रान और मिशलीन के बीच किसी पत्रात्मक प्रमाण का प्राप्त न होना भी है। खलील जिब्रान साहित्य के एक अमेरिकी शोधकर्ता जोसेफ शीबान अनेक स्रोत तलाशने के उपरान्त जिब्रान के जीवन में मिशलीन नाम की किसी युवती के अस्तित्व को नकारते हुए लिखते हैं — “पेरिस में जिब्रान अपने एक जिगरी लेबनानी दोस्त यूसुफ हवाइक के साथ काम करते थे। यूसुफ ने उन दो वर्षों के संग-साथ पर एक पुस्तक लिखी है। उन्होंने जिब्रान का एक पोर्ट्रेट भी बनाया था जो बहु-प्रचलित और बहु-प्रशंसित है। दोनों दोस्त एक ही अपार्टमेंट में नहीं रहते थे लेकिन मिलते रोजाना थे। पैसा बचाने की नीयत से अक्सर वे एक ही मॉडल को किराए पर लेकर काम चलाते थे। हवाइक ने उन लड़कियों का, जिनसे वे मिले और उन रेस्टोरेंट का, जहाँ वे खाना खाते थे, जिक्र किया है। उसने एक रूसी लड़की ओल्गा और दूसरी रोसिना का तथा एक बहुत खूबसूरत इटेलियन लड़की का भी जिक्र किया है जिन्हें मॉडलिंग हेतु उन्होंने किराए पर लिया। लेकिन हवाइक ने मिशलीन का कहीं भी जिक्र नहीं किया है।”

लेकिन सत्य यह है कि मिशलीन नाम की युवती जिब्रान के जीवन में न केवल आई, बल्कि उसने सकारात्मक भूमिका भी अदा की। वह मेरी हस्कल के स्कूल में फ्रेंच भाषा की अध्यापिका थी और मेरी की दोस्त भी थी। मिशलीन को जिब्रान की पहली ‘मॉडल’ बनने का सौभाग्य प्राप्त था। दोनों के बीच गहरा प्यार हो गया। मिशलीन ने जिब्रान को फ्रांस चलने के लिए उकसाया और हर संभव सहायता देने का वादा भी किया। उसी को केन्द्र में रखकर जिब्रान ने एक कविता ‘द बिलविड’ लिखी जिसमें उन्होंने पहले चुम्बन की व्याख्या की।