मेजरनाथ / क्यों और किसलिए? / सहजानन्द सरस्वती

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जब साधारण बंदियों के संबंध में मेजरनाथ का ऐसा सुंदर रुख था, तो राजबंदियों के बारे में कहना ही क्या? शायद ही ऐसा कोई बदबख्त राजबंदी होगा जिसने उनसे बुरा माना। यों तो समय पर जेल के नियमों की पाबंदी करना-कराना उनका प्रधान काम था ही और अगर इससे कोई बुरा माने तो बात ही दूसरी है। मगर पीछे चल कर इसी शराफत और भलमनसी के चलते मेजरनाथ को नाहक परेशानी उठानी पड़ी और बरसों उनके बारे में डिपार्टमेण्ट की ओर से जाँच-पड़ताल होती रही। हालाँकि आखिरकार वे शान के साथ निर्दोष साबित हुए। जेल के नियमों की पाबंदी करते-कराते अगर उनने नियमानुसार ही राजबंदियों को आराम दिया तो बुरा क्या किया?यदि कायदा-कानून तोड़ते तो बात दूसरी थी। मगर विदेशी सरकार जो ठहरी।