मेरी खूरी / बलराम अग्रवाल

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जिब्रान एस्टेट के एक प्रशासक दावे के साथ कहते थे कि जिस धनी औरत ने जिब्रान को आर्थिक मदद दी उसका नाम मेरी खूरी (Mary Khoury) था। एस्टेट के उक्त प्रशासक मेरी खूरी के निजी फिजीशियन थे। उन्होंने उनके अपार्टमेंट में जिब्रान द्वारा बनाई अनेक पेंटिंग्स और मूर्तियाँ देखी थीं जिनमें से एक पर जिब्रान ने अरबी में लिखा था — ‘किसी व्यक्ति को शराबी मत कहो। हो सकता है कि वह शराब पीने से भी ज्यादा गंभीर किसी दर्द भूलने की कोशिश कर रहा हो।’ डॉक्टर ने आगे कहा कि मेरी खूरी के पास जिब्रान द्वारा उसे लिखे अनेक पत्र मौजूद थे। उन पत्रों की सत्यता की जाँच एक स्वतंत्र लेबनानी पत्रकार ने भी की थी। मेरी खूरी उन सभी पत्रों को प्रकाशित कराने के बारे में सहमत हो गई थीं। उन्होंने वे सभी पत्र अपने एक मित्र को संपादन के लिए दे दिए थे। लेकिन दुर्भाग्यवश, संपादित करके उन पत्रों को वापस मेरी को लौटाने से पूर्व ही मित्र की व कुछ ही समय बाद मेरी की भी मृत्यु हो गई। इस तरह वे पत्र और वे पेंटिंग्स गुमनामी के अँधेरे में खो गये। जोसेफ शीबान ने लिखा है कि ‘मैंने उक्त पत्रकार से पूछा कि वे पत्र व्यवसाय-संबंधी थे या प्रेम-पत्र थे?’ उसने जवाब दिया — ‘वे प्रेम-पत्र थे।’

मेरी खूरी कहा करती थीं — अपनी ज़िन्दगी के आखिरी दिनों की अनेक शामें जिब्रान ने उसके अपार्टमेंट में बिताई थीं।

कुल मिलाकर मेरी खूरी के बारे में रहस्य बरकरार है।