मोहनजोदड़ो का एकसिंगा / सुनो बकुल / सुशोभित

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मोहनजोदड़ो का एकसिंगा
सुशोभित


सिंधु घाटी सभ्यता की अबूझ लिपि, अज्ञात नस्ल, लुप्त नदी और उसके विनाश से जुड़ी दुविधाओं के साथ ही उसका मिथकीय पशु "यूनिकॉर्न" या "एकसिंगा" भी उसकी सबसे रोमांचक गुत्थ‍ियों में शामिल है। सिंधु सभ्यता से जुड़ी तमाम गुत्थ‍ियों की तरह यूनिकॉर्न की पहेली भी सुलझने नहीं पाती।

हड़प्पा संस्कृति के प्रचलित पशुओं के बारे में खोजबीन करने पर जिस एक बात ने पुराविदों को पहले-पहले चकित किया था, वह यह थी कि उनकी मुद्राओं पर बैल, हाथी, बाघ, गैंडे आदि की आकृतियां तो मिली हैं, लेकिन घोड़ों के अस्त‍ित्व से वे सर्वथा अनभिज्ञ जान पड़ते थे। फिर इससे यह किंवदंती भी बनी कि मध्येशिया से अश्वों और अश्वचालित रथों पर सवार होकर जब आर्य आए तो सिंधु घाटी सभ्यता के लोग भौंचक रह गए। लेकिन सबसे ज़्यादा जिस पशु की आकृति ने पुराविदों ने चकित किया, वह था एकसिंगा।

सिंधु घाटी के नगरों से प्राप्त कुल 1755 सीलों में से 1156 यानी कोई 60 प्रतिशत मुहरों पर एकसिंगा की आकृति अंकित है! यह रहस्यमयी जीव निर्विवाद रूप से हड़प्पावासियों का सबसे पवित्र और सबसे महत्वपूर्ण पशु था। वृषभों जैसी काया वाला एक सींग का यह पशु जीवविज्ञान के लिए आज भी एक गुत्थी बना हुआ है, क्योंकि वास्तव में ऐसा कोई पशु कहीं नहीं पाया जाता। सिंधु सभ्यता की विशेषज्ञ शिरीन रत्नागर ने इस एकसिंगे को किसी वास्तविक पशु के बजाय एक टोटेम की संज्ञा दी है, यानी पवित्रता और प्रभावशीलता का प्रतीक : एक कुलचिह्न।

म ही लोगों को जानकारी होगी कि अर्जेंटीनी लेखक ख़ोर्ख़े लुई बोर्ख़ेस ने मिथकीय पशुओं पर एक पूरी एनसाइक्लोपीडियक किताब लिखी है : "द बुक ऑफ़ इमेजिनरी बीइंग्स।" इसमें उन्होंने यूनिकॉर्न के स्वरूप पर भी दो अध्यायों में विमर्श किया है। एक दिलचस्प जानकारी वहां से हमें यह मिलती है कि चौथी सदी ईसा पूर्व में यूनानी इतिहासज्ञ स्तेसियास ने लिखा था कि "भारत में एक सींग वाला एक अद्भुत पशु पाया जाता है, जिसकी आंखें नीली, सिर बैंगनी और धड़ सफ़ेद होता है।"

प्ल‍िनी द एल्डर ने इस मिथ को और आगे बढ़ाते हुए कहा है कि यूनिकॉर्न का शरीर घोड़े और सिर हिरन जैसा होता है। यह पशु इतना ताक़तवर, फुर्तीला और आक्रामक होता है कि वह एक हाथी को भी मार गिरा सकता है और इसको जीवित पकड़ना असम्भव है, हालांकि यूनानी ग्रंथ "फ़िज़ियोलोगस" में कहा गया है कि अगर कोई कुमारी कन्या यूनिकॉर्न को पुकारे तो वह एक अबोध शिशु की तरह चुपचाप आकर उसकी गोद में लेट जाता है।

सिंधु घाटी सभ्यता और प्राचीन यूनान के साथ ही चीनी मिथकों में भी यूनिकॉर्न का विवरण मिलता है और उसे चार पवित्र पशुओं में से एक माना गया है। शेष तीन हैं - ड्रैगन, फ़ीनिक्स, कछुआ। कंफ़्यूशियस की कथाओं में भी यूनिकॉर्न का उल्लेख है। अभी यह पता लगाना शेष है कि यूनिकॉर्न एक वैश्व‍िक मिथ था, या फिर सिंधु घाटी सभ्यता से वह इन क्षेत्रों में पहुंचा था।