मोहे श्याम रंग दई दे, मोरा गोरा रंग लई ले / जयप्रकाश चौकसे

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मोहे श्याम रंग दई दे, मोरा गोरा रंग लई ले
प्रकाशन तिथि : 27 जून 2020

अमेरिका में रंग भेद को लेकर जगह-जगह हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं। इसके प्रभाव, व्यापार जगत पर पड़ रहे हैं। त्वचा को गोरा करने का दावा करने वाली एक क्रीम ने अपने ब्रांड नेम से ‘फेयर’ शब्द हटाने का निर्णय किया है। नए नाम पर विचार किया जा रहा है। प्रोडक्ट को मात्र ‘लवली-लवली’ भी कहा जा सकता है। हमारी मॉयथोलॉजी में मुख्य पात्र गोरे तथा श्याम सलोने भी हैं। सतयुग में गौर वर्ण और द्वापर में श्याम वर्ण प्रमुख रहा है। चरित्र भूमिकाओं में रमे पात्र प्राय: घूसर रहे हैं। वधू के लिए दिए गए विज्ञापन में सभी ने गौर वर्ण की कन्या-कामना अभिव्यक्त की है। आबनूस सा काला वर भी गोरे रंग की पत्नी चाहता है। रंग को लेकर फिल्म गीत रचे गए हैं। एक गीत इस तरह है, ‘जिसकी बीवी गोरी उसका भी बड़ा नाम है, कमरे में बैठा लो बिजली का क्या काम है।’ मेहमूद पर फिल्माया गीत ‘हम काले हैं, तो क्या हुआ दिलवाले हैं।’ जिसकी पैरोडी अमिताभ बच्चन के साथ भी प्रस्तुत की गई। गुलजार ने इससे अभिसार आकांक्षा बनाई। ‘मोहे श्याम रंग दई दे, मोरा गोरा रंग लई ले।’, ‘यशोमति मैया से पूछे नंदलाला, राधा क्यों गोरी मैं क्यों काला।’

प्राय: नायिकाएं गौर वर्ण की हुई हैं, परंतु स्मिता पाटिल ने सांवले रंग का सिक्का जमाया। एक सीरियल में एक काले रंग की सेविका पूरे परिवार का दिल जीत लेती है। परिवार का एक युवा उस पर मोहित हो जाता है और विवाह की जिद करता है। हर प्रेम कथा की तरह इसमें भी बाधाएं आती हैं। युवा की मां को यह चिंता है कि भावी पीढ़ी भी काली हो सकती है। नायिका की दुविधा यह है कि वह सबको कैसे बताए कि वह गोरी चिट्‌टी है और गौर वर्ण पर फिदा समाज में सुरक्षित रहने के लिए प्रतिदिन स्वयं को काले रंग में रंगती रही है। गोयाकि श्याम रंग उसका रक्षा कवच बन जाता है, यह एक किस्म का जिरहबख्तर है। जिस धन पर आयकर नहीं चुकाया गया, उसे काला धन कहा जाता है। एक दौर में माना गया कि काला धन स्विस बैंकों में जमा है और बाहुबली उसे वापस लाकर आवाम के खातों में जमा करेंगे। कागज पर मुद्रित धन को पेपर ब्लड भी कहा जाता है, क्योंकि उस पर अधिकार के लिए कत्ल तक किए जाते हैं।

काले बाल, उम्र के साथ सफेद होते हैं। अनुभव सफेदी लाता है। पंकज उधास ने गाया- ‘चांदी जैसा रंग है तेरा, सोने जैसे बाल, एक तू ही धनवान है गोरी बाकी सब कंगाल।’ पश्चिमी देशों में सुनहरे बालों वाली महिलाओं को बहुत सुंदर माना जाता है। मर्लिन मुनरो द्वारा अभिनीत फिल्म ‘जेंटलमेन प्रेफर ब्लॉन्ड्स’ सफल रही थी। समाज ने विधवा मुंडन की प्रथा प्रारंभ की यह उनकी संकीर्णता रही कि केश इच्छाओं के नाग की तरह होते हैं। गौरतलब है कि प्राय: सर्प इच्छाओं के प्रतीक रहे हैं।

प्राय: इच्छाओं का विरोध किया गया है, परंतु इच्छाएं ही मनुष्य को नए क्षितिज छूने के लिए प्रोत्साहित करती हैं। अतिरेक बुरा होता है। मनुष्य अपनी नाक के परे कम ही देख पाता है। चीन में चपटी नाक सौंदर्य का मानदंड होती है। उसकी महत्वकांक्षा है सभी की नाक चपटी हो जाए। प्रकरण दुम कटी लोमड़ी के समान है। चीन का पूंजी निवेश भारत ही नहीं विश्व के अनेक देशों में है। प्रायोजित ढंग से चीन में बना माल तोड़ा जा रहा है, जिसकी कीमत हम अदा कर चुके हैं। मजबूत स्वदेशी अर्थ-व्यवस्था ही सच्चा विरोध हो सकती है। नारेबाजी सेल हो सकती है, परंतु चलती हुई मशीन नहीं बन सकती। एक भव्य मूर्ति भी चीन में बनी है। कहते हैं कि सौंदर्य देखने वाले की आंख पर निर्भर करता है। लैला का सौंदर्य मजनूं की आंख से देखाे तो पता चलता है, वह कितनी सुंदर है। नजरों के दिल से और दिल की नजर से देखो क्या जादू चल रहा है।