मौत / सत्यनारायण सोनी

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म्हारी मौत हुयगी। हां, हां, साची म्हैं मर्यो पड़्यो हूं- आंगणै बिचाळै। डील माथै धोळो घाबो है। घर में रोवा-कूको है। म्हारी जोड़ायत रो सुहाग लुटग्यो। बा कोझी तरियां कूकै। बास-गळी री लुगायां बीं नै धीजो बंधावै अर खुद री आली आंख्यां ई पूंछती जावै। म्हारी लाडेसर नीतू पड़ोसण ताई री गोदियां सूं घुघाय-घुघाय नै पड़ै। सै सूं बेसी लाड लडावण वाळो आज बीं नै छोड़ चल्यो गयो। पापा! पापाऽऽ!!ÓÓ बा बार-बार हेला मारै। पण पापा जींवतो हुवै तो बोलै। मां-बापजी नै ठा पड़ी तो भाज्या आया। 'म्हारा लाल रेÓ कंैवती माऊ बेचेत हुयगी। लुगायां बीं नै सम्हाळै। बापू पथराई आंख्यां ओ सगळो दरसाव देखÓर बोकै- रामजी! कांईं ओ ईज दिन दिखावणो बाकी हो? कुणसै जलम रो बैर काढ्यो रे दुसमीं! इण जलम में तो इस्यो कोई बुरो कोनी कर्यो।ÓÓ डाफाचूक हुयोड़ो-सो भायलो रामरतन पूगग्यो। सेवट बात कांईं हुयी? बो पूछणो चावै। पण पूछणै सूं किसो भायलो पाछो आवै। सोचÓर बो बापू रै पसवाड़ै बैठ ज्यावै। बापू री आंख्यां बैवती जाय रैयी है। ....अर भायलो रामरतन ई कठै रोक सक्यो है आपरा आंसू। पण लोग बतळावै- हूणी रा हजार हाथ भाई- सांस तो लिख्या जितरा ई आवै- बहानै बिनां मौत कोनी- कोई न कोई बहानै तो लागै ई- पण आ ई कोई बात हुयी- राम इत्तो इन्याव तो नां करै भाई! ...अजै ई अण के देख्यो बापड़ै, नान्ही टाबरी है- बापड़ी बीनणी री तो सारी उमर पड़ी है- दिन कटसी तो कियां कटसी?ÓÓ आंगण में रोवा-कूको बियां ई मचर्यो है। बास-गळी रा लोग-लुगाई घरवाळां नै धीजो बंधावणो चावै। माऊ नै चेतो हुयो तो बा ई कोझी तरियां डीडाण लागी। छाती-कूटो हुवण लाग्यो, ओऽ रे मेरा बचिया रेऽऽ, हे रामजी, थांरो कांईं बुरो कर्यो रे, बसतां नै उजाड़ नांख्या।ÓÓ छोटियो भाई किसनो बजार गयो हो, अजै बावड़्यो कोनी। पांच कोस आंतरै है बजार। लोगां नै बीं री उडीक है। जीप भेजी है, बीं नै ल्यावण सारू। लुगायां सूं आंगणो भर्यो पड़्यो है। बाखळ में जण बधतो जावै। कई स्याणा मिनख बतळावै - बीती जकी तो बीती रे भाई, अब मोड़ो मती करो, किसनो आवै जितै दूजा इंतजाम करो। चंदू री दुकान चलेवै रो सगळो समान मिल ज्यासी, दो जवान जावो लाडी! रामरतन, तूं स्याणो है, छाती कर अर बैठो हो। ल्यावो बेटा, समान तो ल्यावो।ÓÓ आपरो नांव सुणÓर रामरतन ऊभो हुवै। मन में सोचै, चाल रे जीवड़ा, जीव सूं व्हालै इण भायलै रै चलेवै रो समान ई अेक दिन उणनै ल्याणो पड़सी, आ तो कदै सुपनै में ई नीं सोची। रामरतन, म्हारो बाळपणै रो भायलो। सोंवतो-जागतो, उठतो-बैठतो, हर पल, हर घड़ी साथै ई रैयो। म्हारै सुख-दुख रो सांचो बेली रामरतन। भीड़ पड़ी में आडो आवणियो तो सुख री घडिय़ां नै बिलमावणियो। जद-जद म्हैं फीको हुयो, बण म्हनै सम्बल दियो। हर पल मुळक बिखेरण-वाळो रामरतन आज खुद फीको है। अबै किण रै साथै हाँसी-ठ_ा करसी बो? कीं रै साथै बतळासी सुख-दु:ख री सगळी बातां? कीं रै साम्हीं खोलसी मन री अेकूअेक पड़तां? म्हारा भाई रे, ओ तो कदै नीं सोच्यो कै ओ दिन भी देखणो पड़सी। बतळाया तो घणी करता मौत री बातां - म्हैं गांवतरै जांवतो, बो म्हनै व्हीर करण बस-अड्डै तांईं साथै पूगतो। म्हैं कालै आय जाÓसूं भाया रामरतन!ÓÓ नीं आÓसी तो किसी परळै हुवै?ÓÓ रैवण दे, रैवण दे। उरळै काळजै बात करणी सोÓरी है।ÓÓ क्यूं?ÓÓ क्यूं के, कद ई ऊकचूक हुयां बेरो पड़सी।ÓÓ ऊकचूक तो हुवण दे, थारा सगळा किरिया-करम कर देस्यूं। कोई कमी रैवै तो कैय दीजै।ÓÓ ऊकचूक हुयां तो कोई और आÓसी कैवण नै।ÓÓ साची यार, देख लेयी भलांई, थारी अरथी नै कांधो देÓस्यूं म्हैं।ÓÓ पण गादड़ै री उंतावळ सूं मतीरियो को पाकै नीं।ÓÓ नां रे भाई, बा देख बस आवै, मजाक री बात और है, भगवान क्यांमीं दिखावै इस्यो दिन।ÓÓबस आंवती तो बो म्हनै बांथ में भर लेंवतो। हैप्पी जरनीÓÓ कैयÓर म्हानै सीख देंवतो। बस टिप्यां पछै ई बो बस अड्डै ऊभो-ऊभो जांवती बस नैं तद तांईं देखतो रैंवतो, जद तांईं कै बा आंख्यां सूं ओझळ नीं व्है जांवती। म्हैं गांवतरै जांवतो, पण म्हारो जीव तो रामरतन में ई अटक्यो रंैवतो। उणरै बिनां तो अेक दिन टिपणो ई भारथ हुय जांवतो। कदै-कदै जद बो घणो दुखी हुंवतो, उणरो मूंडो लटक ज्यांवतो। अधीर हुय म्हारै साम्हीं आपरो सगळो मन खोल देंवतो। हर अबखाई में म्हे अेक-दूजै री मदद करता। अेक अबखाई में पज्योड़ो बो अेक दिन जाबक ही फीको हुयग्यो। हार मानली। अबार तो मरणो पड़सी।ÓÓ बो हाथ पाधरा करतो बोल्यो। बस ओ ई अेक मारग बच्यो है तो मोड़ो क्यूं? मर।ÓÓ क्यूं मरणो सारै है के?ÓÓ घरां जेवड़ी तो हुली?ÓÓ भळै?ÓÓ भळै कांईं, फेर ओखो क्यूं हुवै?ÓÓ क्यूं आ ई चावै है के?ÓÓ कैंवतो बो म्हारै कानी मुळकण लाग्यो, अर जे आ बात घरां सुणीजगी नीं तो बेलीपै में भंग तावळा ई पड़ जीसी।ÓÓ बातां करतां चाय आई। चाय पींवतो म्हैं अपणै आप मांय ई गमग्यो। देखूं, रामरतन री अरथी है, म्हैं कांधियो हूं, म्हारो काळजो कढ-कढ पड़ै है, म्हारा आंसू रोक्या नीं रुकै। कांईं सोचण लाग्यो?ÓÓ रामरतन पूछै। थांरी मौत रो दरसाव।ÓÓ पछै तो ठा नीं कांईं हुयो म्हारै, सड़क पर चिपलो बण चिप्योड़ै गंडक में, कसाई री हाट पर टंग्यै बकरै रै लोथड़ै में, बिल्ली री झपट में आई ऊंदरी अर चिड़ी री तड़प में, म्हनै म्हारी ई मौत निजर आंवती। बां जिनावरां री ल्हासां में म्हनै म्हारी ई ल्हास दीखती। पण अठै तो सैनपान म्हारी ल्हास पड़ी है। चलेवै रो समान आयग्यो है। रोवा-कूको कीं तो माठो पड़्यो है। पण मां हुबकियां हुयरी है। बीं रो साज बैठग्यो। धीमै-धीमै सुर में बीं रो किरळावणो सुणीजै। भींत रै ठेगै बा चादर ओढ्यां अधबैठी-सी है। साÓरै म्हारी जोड़ायत आंसूड़ा टळकावै। किसनै री बीनणी ई बैठी रोवै। पड़ोसण ताई रै मूंडै बारै बजर्या है। नीतू बीं री गोदियां में बैठी-बैठी आंगणै पड़ी पापा री ल्हास नै इकलार देखै। स्यात सोचै- पापा अबार उठसी अर बीं नै गोदियां झाल लेÓसी। बापू बाखळ में भींत साÓरै ओकड़ू बैठ्या जमीं कुचरै। हेमो ताऊ बां रै लोवै बैठ्या धीमै-धीमै होकै रो कस खींचै। मोमन भीयै बीड़ी सिळगा राखी है। लागै, जाणै बीड़ी अर होकै रो ओ धुंवो लोगां रै चेÓरां ऊपर पसरतो जावै। उदासी रो समंदर उमड़ आयो है। बाखळ में खड़ी म्हारी गौरती गाय ई जाणै सो कीं जाण चुकी है। बा डरूं-फरूं-सी इन्नै-बिन्नै तकावै। कमरै मांय बैठ्या म्हारा कई भायलां री निजरां ई जमीं माथै टिकी है। बै आपस में निजरां जोड़ण री हिम्मत नीं जुटा पावै। भींत माथै टंगी सगळी फोटुआं तकात में उदासी ब्यापगी है। अबार किसनो आयग्यो। आंवतां ई जोर री बूबड़ी मारी। हाथां-बांथां को रैयो नीं। होऽरे, ओ के होग्यो रेऽ!ÓÓ अर बो हू-हू करÓर जोर-जोर सूं घुघावण लाग्यो। घर में रोवा-कूको भळै जोर पकड़ग्यो। सगळां रै हियै हूक उठै ही अर आंख्यां में पाणी चालै हो। रामरतन किसनै रै बांथ घाल ली। अरै थे तो मोट्यार हो, थमो, थमो बेटा! बावळा हो के? - इयां नां करो लाडी! - इयां कर्यां पाछो आवै के? - नां ओ, के सागै मरीजै, इत्ता ई हा लिखेड़ा, इत्तै ई दिनां गो मेळो हो आपणै सागै। सबर करो बेटा, छाती राखो।ÓÓ बडेरा घणा ई समझावै। पण किसनो तो भळै मां री खोळ में मूंडो देÓर अरड़ाण लागग्यो। कोई करो रै ईं नै पासै, समझावो लाडी!ÓÓ हेमो ताऊ बोल्या। हियै री सगळी पीड़ आंख्यां रै मिस माऊ री गोदियां में ढोळ किसनै आपरी भाभी रै बांथ भरली अर हिम्मत करÓर बोल्यो, थूं फिकर नां कर भाभी!ÓÓ फेर आंगण में पड़ी ल्हास कानी आंगळी करÓर बोल्यो, भीयो तो जवाब देÓग्यो पण आपां नैं हार कोनी मानणी।ÓÓ इत्ती बात तो बो छाती करÓर बोलग्यो, पण आगै बोल को पाट्या नीं। बीं रो तो भळै मूंडो छूटग्यो। म्हारी जोड़ायत री चिरळाटी आभो चीरती जावै ही। मौत रो ओ दरसाव देखÓर म्हारो ई काळजो फाटग्यो। मूंडै सूं चिरळी निकळी। कांईं हुयो?ÓÓ जोड़ायत हाथ में चाय रो कप लियां म्हनै घथोळै ही। म्हैं घबरायोड़ै आंख्यां खोली। म्हारो सांस ऊपर-नीचै होवै हो। काळजो फड़कै चढर्यो हो। डर, डर लाग्यो म्हनै! बौत मोटो डर।ÓÓ किण बात रो?ÓÓ बण कप स्टूल पर छोडती पूछ्यो। म्हैं बीं रै बांथ भरली।बण म्हारा हाथ परनै कर्या अर छुटांवती बोली, ओ हो, तो सुपनै में मरग्या हा के?ÓÓ हम्बै!ÓÓ म्हारी आंख्यां पर अबार ई डर रो कब्जो हो। ओऽहो, न्ह्याल होग्या ओ, थारी तो उमर बधगी।ÓÓ कैयÓर बा तो मुळकण लागगी, पण म्हारी आंख्यां में मंड्योड़ो मौत रो वो दरसाव अजै ई थिर है।

(1998) </Poem>