यह कहानी नहीं/ राजी सेठ / पृष्ठ 2

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पुल


केबिन से बाहर निकला तो मन घिरा था। यह क्या कह दिया आर्किटेक्ट ने कि, ‘‘चिराग दिल्ली के चौराहे पर जो फ्लाय ओवर बनने जा रहा है उसकी देखभाल का जिम्मा आपको दिया जायगा। मैने खास सिफारिश की है।’’

कर्तार सिंह दहल गया। आर्किटेक्ट छोटा है, नया आया है, कुछ नहीं जानता। उसके लिए तो कर्तार सिंह एक अधेड ,संभला हुआ समझदार आदमी हैं, जो कम्पनी में आर्किटेक्ट के नयेपन को प्यार दुलार से संभाले रहता है। ऐसे देखता है जैसे बाप की आंख।

‘‘क्यों आपको खुशी नहीं हुई? इतना बडा खर्चीला प्रोजेक्ट----’’



(कहानी का कापीराइट प्रकाशक राजकमल पेपरबैक्स के अधीन सुरक्षित होने के कारण समीक्षा स्वरूप प्रत्येक भाग का कुछ अंश ही सम्मिलित किया गया है। संकलनकर्ताः-डा0 अशोक कुमार शुक्ला)


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