यादगार दावत में मेजबान और मेहमान / जयप्रकाश चौकसे

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यादगार दावत में मेजबान और मेहमान
प्रकाशन तिथि :07 अप्रैल 2017


सुरेंद्र कपूर पृथ्वीराज कपूर की प्रेरणा से फिल्म उद्योग में आए और के. आसिफ की 'मुगल-ए-आजम' में सहायक निर्देशक बन गए। उन्होंने कुछ समय तक गीता बाली के सचिव के रूप में काम किया। गीता बाली ने उन्हें हमेशा अपने परिवार का सदस्य ही माना। उसी कारण सुरेंदर कपूर के सुपुत्र बोनी कपूर की सभी फिल्मों के प्रारंभ में गीता बाली की तस्वीर होती है और उनके दफ्तर में गीता बाली की तस्वीर पर चंदन की माला चढ़ी होती है। अपनी जिम्मेदारियों के प्रति बोनी कपूर हमेशा सजग रहे हैं। जन्म के समय उनका नाम अचल रखा गया परंतु वे अपने निकनेम बोनी कपूर के नाम से ही जाने जाते हैं।

बहरहाल, बोनी कपूर अपने तमाम कर्ज से मुक्त हो गए हैं। फिल्म निर्माण में घाटे और ब्याज पर ब्याज के कारण वे भारी कर्ज में डूबे थे। अब अपनी फिल्मों के सैटेलाइट अधिकार से मिली रकम से उन्होंने कर्ज चुका दिए हैं।

कर्ज से उनका रिश्ता पुराना है। जवानी की दहलीज पर कदम रखते ही उन्हें अपने पिता की ऋषि कपूर अभिनीत 'फूल खिले हैं गुलशन गुलशन' का प्रदर्शन करना पड़ा। फिल्म के डायरेक्टर की आकस्मिक मृत्यु के कारण फिल्म रुक गई थी। इस फिल्म में लगभग अठारह लाख का घाटा हुआ, जिसे उन्होंने 'हम पांच' बनाकर पाटा। दक्षिण भारत में उनका रिश्ता इसी फिल्म से प्रारंभ हुआ था। 'हम पांच' में संजीव कुमार, शबाना आजमी, मिथुन चक्रवर्ती इत्यादि कलाकार थे। शबाना आजमी ने ही उन्हें जावेद अख्तर से मिलाया। ज्ञातव्य है कि जब सलीम-जावेद का अलगाव हुआ तब वे दोनों 'मिस्टर इंडिया' और 'दुर्गा' पर काम कर रहे थे। 'मिस्टर इंडिया' जावेद ने ली और 'दुर्गा' सलीम साहब के हिस्से में आई, जिस पर अभी तक फिल्म नहीं बनी है। बहरहाल, बोनी कपूर ने 'हम पांच' के निर्देशक बापू के साथ अनिल और पद्‌मिनी कोल्हापुरे के साथ 'वो सात दिन' बनाई।

बोनी कपूर, अनिल कपूर और संजय कपूर चेम्बुर में रहते थे और राज कपूर के आंगन में ही खेल-कूद कर बड़े हुए। अत: फिल्मों में भव्यता के प्रति उनका मोह उन्हें राज कपूर से मिला। बोनी कपूर ने 'मि. इंडिया' का आकल्पन एक भव्य फिल्म के रूप में किया। उनके भाई अनिल कपूर उस समय तक बड़े सितारे नहीं हुए थे, अत: मिस्टर इंडिया में एक शिखर सितारे को लेना उनके आर्थिक समीकरण के लिए आवश्यक था। बोनी, जावेद अख्तर अौर शेखर कपूर श्रीदेवी से मिलने चेन्नई पहुंचे परंतु उन्हें सप्ताहभर इंतजार करना पड़ा। उन दिनों श्रीदेवी शिखर पर थीं और बोनी कपूर निचली पायदान पर थे।

श्रीदेवी से मुलाकात का समय मिलने के इंतजार में बोनी प्राय: रात में श्रीदेवी के भव्य बंगले के चक्कर काटते थे। यह कल्पना की जा सकती है कि उस समय वहां मौजूद किसी देवता ने बोनी को चक्कर लगाता देख 'तथास्थु' कह दिया और कालांतर में उनका विवाह 'हवा हवाई' श्रीदेवी से हो गया। दरअसल, 'मिस्टर इंडिया' के निर्माण के समय श्रीदेवी के पिता बीमार पड़े तो बोनी कपूर चेन्नई गए और प्रतिदिन फल-फूल लेकर अस्पताल जाते थे। इसी तरह श्रीदेवी की माताजी के बीमार पड़ने पर बोनी कपूर ने उनके न्यूयॉर्क में इलाज की व्यवस्था की और स्वयं भी वहां कई सप्ताह रहे। इलाज में अस्पताल की असावधानी के कारण मरीज की मृत्यु हुई तो बोनी कपूर ने ही मुकदमा कायम किया और अदालत के बाहर समझौते में श्रीदेवी को मोटी रकम मिली। मां हो तो ऐसी कि अपनी मृत्यु के बाद भी बेटी को सम्पदा दिला दी।

संभवत: इन घटनाओं के कारण ही बोनी-श्रीदेवी की प्रेमकथा आरंभ हुई और उनका विवाह हुआ। इस तरह बोनी कपूर की कुंडली में दक्षिण दिशा में मुनाफे और सुख के योग हैं। बोनी कपूर ने श्रीदेवी केंद्रित 'मॉम' नामक फिल्म पूरी कर ली है और शीघ्र प्रदर्शित होगी। 'मॉम' एक मां और सौतेली बेटी के रिश्ते की रोमांटिक कथा है, जिसमें मां अपनी बेटी से किए गए अन्याय का प्रतिकार भी करती है। इसके क्लाइमैक्स में मां-बेटी की अनभिव्यक्त भावनाओं का विस्फोट होता है।

कुछ वर्ष पूर्व सुरेंदर कपूर का 75वां जन्म दिन श्रीदेवी के उसी भव्य बंगले में मनाया गया था और रजनीकांत मेहमानों की ऐसी सेवा कर रहे थे मानो वे ही मेजबान हों। अलसभोर में जब दावत समाप्त हुई तो रजनीकांत बाहर आए, जहां उनके हजारों ्रशंसक सारी रात उनके बाहर आने की प्रतीक्षा कर रहे थे। स्टारडम का यह तिलिस्म उस रात देखा और समझ में आया कि दक्षिण और मुंबई फिल्मोद्योग में कितना अंतर है।