युवराज का सातवां छक्का / जयप्रकाश चौकसे

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युवराज का सातवां छक्का
प्रकाशन तिथि :03 जून 2016


अपनी धुआंधार बल्लेबाजी के लिए प्रसिद्ध युवराज सिंह मॉडल, अभिनेत्री हेज़ल से विवाह कर चुके हैं परंतु इसकी विधिवत घोषणा व दावत क्रिकेट के मौसम से फ़ारिग होते ही करेंगे। हेज़ल ने अलविरा अग्निहोत्री की फिल्म 'बॉडीगार्ड' में एक उलझी हुई चरित्र भूमिका अभिनीत की थी। फिल्म में हेज़ल नायिका की सहेली थी और अंतिम दृश्य में नायिका का पत्र नायक को नहीं देती और उससे विवाह कर लेती है। निकटतम मित्र द्वारा विश्वासघात की यह कहानी पहले मलयाली भाषा में बनी थी और उसी के निर्देशक को अवसर दिया गया था। मूल मलयाली फिल्म में अनेक परिवर्तन करके इसे हिंदुस्तानी बनाया गया और इस संस्करण में परिवर्तन करके उसे तमिल व तेलुगु भाषा में भी बनाया गया। खाकसार इसके लेखन से जुड़ा था अौर हेजल को हिंदुस्तानी में संवाद अदायगी के प्रशिक्षण का उत्तरदायित्व भी खाकसार का था। वह परिश्रमी और समर्पित थी परंतु संवाद अदायगी में सही उच्चारण उसके लिए अत्यंत कठिन था। आप कोई भी भाषा बोलो, मातृभाषा चोर दरवाजे से उच्चारण में प्रवेश कर ही जाती है।

हाल ही में उर्दू भाषा पर अकारण बंदिश के खिलाफ इंदौर के अभिभाषक आनंद मोहन माथुर ने मुकदमा कायम किया और चार दिन बाद ही केंद्र सरकार ने बंदिश निरस्त कर दी। सभी क्षेत्रों में इस सरकार की यह नीति है कि दो कदम आगे और चार कदम पीछे हटना। उनके अभिवादन समारोह में खाकसार ने बताया कि बादशाह अकबर जानना चाहते थे कि ऊपर वाले की भाषा कौन-सी है। सभी धर्मों के लोग अपनी-अपनी भाषा में प्रार्थना करते हैं। एक सभासद के मशविरे पर आगरा से कुछ मील दूर जंगल के बीच भवन बनाया गया, जिसमें एक गर्भवती स्त्री को उसके परिवार के साथ रखा गया परंतु उन्हें हिदायत दी गई कि एक शब्द भी नहीं बोला जाए। यशासमय शिशु का जन्म हुआ और कुछ समय बाद बादशाह अकबर दल-बल सहित पहुंचे ये देखने की बच्चा कौन-सी भाषा बोलता है और उसी भाषा को ऊपर वाले की भाषा माना जा सकता है। शिशु के मुंह से सियार और कुत्ते की आवाजें निकलीं। अत: इस नतीजे पर पहुंचा गया कि मनुष्य वही भाषा बोलता है, जो वह अपने परिवेश में सुनता है।

निहित स्वार्थ के लिए नेता भाषा के मुद्‌दे पर अवाम को बांटते हैं, क्योंकि अवाम के बंटे रहने से ही उनकी नेतागिरी कायम रहती है। इस संदर्भ में यह भी गौरतलब है कि खामोशी भी बहुत कुछ कहती है। सारे बदलते हुए मौसम भी ऊपर वाले की भाषा है और हमने दरख्त काटे, नदियां प्रदूषित कीं और पर्वतों को श्रीहीन करके मौसम की भाषा के साथ खिलवाड़ किया है। इसीलिए अब मौसम का मिज़ाज बदल रहा है। वह मनुष्य से नाराज है और अभी भी वक्त है कि पश्चाताप करें अन्यथा उसकी बदली निगाह से हमारे सारे महल-चौबारे ध्वस्त हो जाएंगे। अगर हिमालय खफा हो जाए तो उसकी पिघली हुई बर्फ से पूरा उत्तर भारत जलमग्न हो जाएगा। हमारे बहरे नेता यह चेतावनी सुन नहीं पा रहे हैं। एक स्वयंभू महापुरुष ने यमुना किनारे रास लीला रचने के लिए प्रकृति के साथ छेड़छाड़ की है और महीनों बाद भी दंड की राशि नहीं जमा की है। हिंदुत्व वोट बैंक के मिथ से ग्रस्त हुक्मरानों का मौन समर्थन उसे प्राप्त है। एक दल तथाकथित 'मुस्लिम वोट बैंक' का शिकार हुआ, दूसरा 'हिन्दुत्व वोट वोट बैंक' के मिथ से सत्तारूढ़ हुआ और उसी से पिटेगा भी। झूठ के सहारे एक बार ठगा जा सकता है, बार-बार यह मुमकिन नहीं।

हेज़ल अंग्रेजी बोलती हैं और युवराज अंग्रेजी तथा पंजाबी बोलते हैं। विवाह के बाद हेज़ल पंजाबी भाषी परिवार की बहू बनेंगी। इस प्रकरण का सबसे महत्वपूर्ण पक्ष यह है कि धर्म के आधार पर कोई रुकावट नहीं पैदा होती। सारी बाधाएं, रुकावटें इत्यादि मध्यम वर्ग और साधनहीन वर्ग के लिए सोचे-समझे ढंग से रची गई है कि वह अनावश्यक द्वंद्व में उलझे रहे और अमीर कैसे अमीर बने हैं- यह नहीं पूछे। प्रेम विवाह भी आर्थिक परिस्थितियों पर निर्भर करते हैं। अगर हेज़ल व युवराज मध्यम वर्ग के होते, वे महत्वपूर्ण व लोकप्रिय व्यक्ति नहीं होते तो भाषा और धर्म उनके प्रेम तथा विवाह को प्रभावित करता। हम तो माथा देखकर छोटा या बड़ा तिलक लगाते हैं।

राजिंदर सिंह बेदी के उपन्यास 'एक चादर मैली-सी' में आर्थिक परिस्थितियों के कारण ही पिंड की पंचायत विधवा का विवाह उस देवर से कराती है,जो उसके पहले विवाह के समय पांच वर्ष का बालक था और उसे भाभी ने पाला भी है। राजेंद्र यादव के एक उपन्यास में प्रेम-कथा का खलनायक आर्थिक हालात है। गरीबी नैतिकता के मानदंड भी बदल देती हैं। गरीबी ईश्वर प्रदत्त नहीं है, उसका बकायदा उत्पादन होता है ताकि अदृश्य जंजीरों में साधनहीन को जकड़ा जा सके। भारत इसका सब से बड़ा उत्पादक देश है।