रघुवीर सहाय / परिचय

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हिंदी साहित्य के प्रसिद्ध साहित्यकार रघुवीर सहाय (जन्म- 9 दिसंबर, 1929 लखनऊ - मृत्यु- 30 दिसंबर, 1990 दिल्ली) की गणना हिंदी साहित्य के उन कवियों में की जाती है जिनकी भाषा और शिल्प में पत्रकारिता का प्रभाव होता था और उनकी रचनाओं में आम आदमी की व्यथा झलकती थी।

प्रभावशाली कवि

रघुवीर सहाय एक प्रभावशाली कवि होने के साथ ही साथ कथाकार, निबंध लेखक और आलोचक थे। वह प्रसिद्ध अनुवादक और पत्रकार भी थे। उन्हें वर्ष 1982 में उनकी पुस्तक 'लोग भूल गये हैं' के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार दिया गया। उनकी अन्य पुस्तकें 'आत्महत्या के विरूद्ध', 'हंसो हंसो जल्दी हंसो' और 'सीढियों पर धूप में' भी काफी चर्चित रहीं। सहाय का सम्बंध उस पीढी से था जो स्वतंत्रता के बाद काफी सारी आकांक्षाओं के साथ पली-बढी थी। सहाय ने उन्हीं आकांक्षाओं को अपनी कविताओं में व्यक्त किया है। सहाय की गिनती ऐसे कवियों में भी की जाती है जो प्रेरणा के लिए अतीत में झांकने के बजाय भविष्योन्मुखी रहना पसंद करते थे।

जन्म

रघुवीर सहाय का जन्म 9 दिसंबर, 1929 को लखनऊ में हुआ। उन्होंने 1955 में विमलेश्वरी सहाय से विवाह किया।

शिक्षा

रघुवीर सहाय 1951 में 'लखनऊ विश्वविद्यालय' से अंग्रेज़ी साहित्य में एम. ए. किया और साहित्य सृजन 1946 से प्रारम्भ किया। अंग्रेज़ी भाषा में शिक्षा प्राप्त करने पर भी उन्होंने अपना रचना संसार हिंदी भाषा में रचा। 'नवभारत टाइम्स के सहायक संपादक तथा 'दिनमान साप्ताहिक के संपादक रहे। पश्चात स्वतंत्र लेखन में रत रहे। इन्होंने प्रचुर गद्य और पद्य लिखे हैं। रघुवीर सहाय 'दूसरा सप्तक के कवियों में हैं।[1]

कार्यक्षेत्र

रघुवीर सहाय दैनिक 'नवजीवन' में उपसंपादक और सांस्कृतिक संवाददाता रहे। 'प्रतीक' के सहायक संपादक, आकाशवाणी के समाचार विभाग में उपसंपादक, 'कल्पना'[2] तथा आकाशवाणी[3], में विशेष संवाददाता रहे। 'नवभारत टाइम्स', दिल्ली में विशेष संवाददाता रहे। समाचार संपादक, 'दिनमान' में रहे। रघुवीर सहाय 'दिनमान' के प्रधान संपादक 1969 से 1982 तक रहे। उन्होंने 1982 से 1990 तक स्वतंत्र लेखन किया।