रणबीर कपूर और ऐश्वर्या राय के प्रेम दृश्य / जयप्रकाश चौकसे

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रणबीर कपूर और ऐश्वर्या राय के प्रेम दृश्य
प्रकाशन तिथि :24 मई 2016


करण जौहर की निर्माणाधीन फिल्म 'ए दिल है मुश्किल' में रणबीर कपूर और अनुष्का के बीच चुंबन का दृश्य शूट हो चुका है परंतु रणबीर कपूर और एेश्वर्या राय के चुंबन दृश्य को टेक्नोलॉजी की सहायता से बिना घटित हुए ही फिल्मांकित किया गया। अब यह तो ज्ञात नहीं कि कलाकारों की असहमति या असहजता के कारण यह किया जा रहा है या निर्देशक की इच्छानुसार यह किया जा रहा है। क्या चुंबन में भी उम्र की खाई का असर रहता है?

भारतीय सिनेमा के प्रारंभिक दशकों में देविका रानी और उनके पति हिमांशु राय के चुंबन के दृश्य बिना किसी विवाद के प्रदर्शित हुए और युवा दर्शकों के बहक जाने का हौवा भी नहीं खड़ा किया गया। उस समय देश गांधीजी के नेतृत्व में स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ रहा था परंतु स्वंतत्रता के पश्चात इस तरह की सहज बातों को मुद्‌दा बना दिया गया और मोरारजी देसाई जैसे रूढ़िवादी नेताओं ने इस तरह की बातें खूब उछालीं। मोरारजी भाई के सुपुत्र कांतिभाई देसाई ने विवादास्पद आचरण किया! सारांश यह कि भ्रष्टाचार के धन से परहेज नहीं किया गया परंतु सिनेमा में चुंबन पर विवाद खड़ा कर दिया गया। दरअसल, आम आदमी की मूलभूत समस्याओं से ध्यान हटाने को कला के रूप में मांजा गया और वर्तमान के नेता इस विधा में निष्णात सिद्ध हो रहे हैं। आज का मंत्र है कि जो कुछ करना है, उसे उजागर मत करो और जो कभी करना ही नहीं है उस पर खूब लंबी चर्चा करो। विदेशों की मस्जिदों में सजदे करो, देश में मंदिर निर्माण की खोखली बातें करते रहो। इस वाचाल देश में बतियाते रहना आवश्यक है। हमारे यहां शास्त्र का सस्वर पाठ आवश्यक बताया गया है और इसके लिए आध्यात्मिक बहाना यह गढ़ा गया है कि ध्वनि ईश्वर है। कुछ धर्मों में मन ही मन प्रार्थना का प्रावधान है, हमारे यहां सस्वर की जाती है। इसी तर्ज पर 'मन की बात' की रचना की गई है। सबसे कमजोर नेता सबसे शक्तिशाली नट सम्राट है। बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर छप्पन इंची छाती का दावा किया जाता है।

यह बात भी गौरतलब है कि सिनेमा में हिंसा के दृश्य पर कोई ऐतराज नहीं है परंतु प्रेम दृश्य को सुई की नोंक से गुजरना होता है और सुई की इस नोंक की भी विशेषता है कि इससे हाथी निकल जाता है परंतु दुम अटक जाती है। इस सुई की नोक के चरित्र को छोटे परदे पर प्रसारित अत्यंत लोकप्रिय 'भाभीजी घर में हैं' के कुछ ताज़ा एपिसोड्स में जमकर भुनाया गया है। इस सीरियल का लेखक बड़ा गुणी व्यक्ति है। वह जानता है कि उसे क्या और कैसे कहना है। सिनेमा में प्रेम दृश्यों पर विवाद का हौवा खड़ा ही इसलिए किया जाता है कि हिंसा बेरोकटोक जारी रहे। प्रेम और हिंसा में गहरा रिश्ता है। प्रेम में अक्षम व्यक्ति हिंसा करता है, क्योंकि हिंसा की आड़ में वह अपनी पैदाइशी कमजोरी छिपा रहा है। इन कमजोरियों ने कुछ व्यवसाय खड़े किए हैं। शक्ति केंद्रित व्यवसाय से संख्या में बहुत अधिक है कमजोरी केंद्रित व्यवसाय। व्यवसाय क्षेत्र मानवीय मनोविज्ञान से गहरे रूप से जुड़ा है। दुकान की सजावट दुकान के भीतर बेचे जाने वाले माल से अधिक जरूरी समझी जाती है। मॉल में बनी दुकानों की सजावट भी शास्त्र है। ग्राहक को लुभाना आसान नहीं होता। इस शास्त्र में प्रवीण उसे माना जाता है, जो गंजे व्यक्ति को कंघा और अंधे को चश्मा बेच दे।

वर्ष 1936 में पेरिस में पहला मॉल खुला था और दार्शनिक वाल्टर बेंजामिन की टिप्पणी थी कि आप जिस द्वार से प्रवेश करते हैं, उससे बाहर नहीं निकलते। चारों तरफ जगमग रोशनियां हैं और चटख रंग में लिपटी चीजें जहां-तहां बिखरी पड़ी हैं। सजावट से मंत्रमुग्ध ग्राहक वह सब खरीद लेता है, जिसकी उसे आवश्यकता ही नहीं है। यह मॉल आज पूंजीवाद की पताका की तरह लग रहे हैं परंतु इन्हीं के द्वारा पूंजीवाद का नाश होगा। इसी संरचना ने ऐसे मनुष्य रचे हैं, जिन्हें खरीददारी का नशा हो जाता है। किसी दिन कुछ भी नहीं खरीदा तो वह दिन अकारथ गया, ऐसा अहसास होता है। खरीदने की खुजली का कोई इलाज नहीं है। हथेलियों में होने वाली इस खुजली की जड़ अभिलाषाओं में लिप्त मनुष्य के हृदय में होती है। यह सारी खरीददारी एक अटाले को जन्म देती है। मनुष्य की सोच कबाड़खाना हो जाती है। इस तरह रचे अटाले जगह घेरते रहते हैं और एक दिन जगह की इतनी मी हो जाती है कि आप चल फिर नहीं सकते। वस्तुएं निष्प्राण नहीं होती। हम ही उनकी भाषा को समझ नहीं पाते।

ट्रांसफर हो सकने वाली नौकरियों को करने वाले लोग जानते हैं कि बार-बार घर बदलना क्या होता है। हर बार अपने अटाले को साफ करना होता है। समय आवश्यक वस्तुओं को अनावश्यक की सूची में शामिल करता जाता है। स्मरण आता है कि दक्षिण के सितारे रजनीकांत हर वर्ष एक माह के लिए छोटा-सा हैंड बैग लेकर यात्राओं पर निकल जाते हैं। इस तरह उन्होंने अनेक देशों की यात्राएं की हैं। प्राय: लोग यात्रा के आनंद को भारी-भरकम असबाब के कारण खो देते हैं। रणबीर कपूर किसी प्रेमिका रूपी असबाब को साथ लेकर अधिक समय तक यात्रा नहीं करते।