रास्ता / ओमा शर्मा

Gadya Kosh से
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अरे, इसमें पूछने वाली कोई बात्ती नईं जी। मैंने कहा ना, मुझे कहीं और जान्नाए नईं। सीध्धे घरी जाना है। आप ऐतराज की बात कर्रे हो जबकि आन दी कनट्रेरी इट विल बी माई प्लैइयर। सारी गाड़ी खाली जाती है, सैल्फ डिराइव करता हूँ ना। पर एक बात है, मैं दफ्तर छ बजेइ छोड़ता हूँ। वो इसलिए कि दफ्तर का टैमी छ बजे का है। आप मुझे छ बजे टच कर लेना।

अरे, आप तो टैम के बड़े पाबंद निकले। मैं ऐसे लोगों की बड़ी रस्पैक्ट करता हूँ। क्या है कि इंडिया वाले इसी वजह से मार खाते हैं। कोई सैंस आफ टैमी नईं है। बलाओ छ बजे, आएंगे सात पर। आओ बैठो। नईं-नईं, शीशा खोलने की जुरूर्त नईं है। मैं ऐसी चलाता हूँ। गर्मी नईं है मगर बोंबे में पल्यूशन भौत रहता है। मेरी गाड़ी यहीं पार्क रैत्ती है। मैंनेइ सबके लिए जगा अलाट कराई है। इससे थोड़ा सिस्टम बना रेता है। हर कोई गाड़ी से आत्ताइ है, गाड़ी भी पार्क होनी ही है, फिर क्यों न फिक्स जगा पै हो। तो जे बात है।

वो छ बजे का टैम मैंने इसलिए दिया कि इमरजैंसी के अलावा मैं दफ्तर कभी पैले नईं छोड़ता। हमारे कुलीग साढ़े पांची निकलना चालू कर देते हैं। मैं पूछता हूँ जब सरकार छ बजे की तनखा देती है तो पैले जाने की जुरूर्त क्या है। जे लोग समझते नईं कि टैम से पैले निकलके आप स्टाफ की भी रस्पैक्ट खो देतोअ। इन फैक्ट इसी वजह से पबलक भी आपको भाव नईं देत्ती है। और फिर रोते फिरते हैं कि ... । अरे भई आप काम तो करो, बाकी चीजें अपने आप ठीक हो जाती हैं। गल्त कैराउं ?

आप बैल्ट बांध लो। यां कमपलस्री..अ। हाँ, अब ठीकै। पताय क्याय, बोंबे की पुलिस भौत हरामी है। भौत एलर्ट है। मैं कैत्ता हूँ, हरामी है तो एलर्ट तो होनी ही हुई। हर रेड लाइट और मोड़ पर घात लगाए बैट्ठी रहती है मुर्गा फांसने। उनका काम पबलक को कायदा कनून बताना नईं है जोकि होना चाइए। वे तो कनून तोड़े जाने का इंतजार करते हैं जिससे उनकी कमाई हो सके। एक बार मैं वाइफ को एअरपोर्ट छोड़ने जा रहा था। एक खाली सड़क में घुस गया। पता लगा कि उस पर नो एंटरी थी। मैं क्या भाई लिख्खा तो कंईं है नी। आप उनसे बहस करो तो फाइन डबल-टिरपल कर देंगे। लेड़ीज साथ हो तो और बत्तमीजी करते हैं। पीयूसी और इनश्योरेन्स भी नईं थी। बारह सौ की पर्ची काट रहा था। मैंने आई-कार्ड भी दिखाया मगर इन लोगों की तो आँख में बाल रहता है। कैन लगा, ओए बंद कर अपना रेडुआ। सई बात है, इन छोटे लोगों के मुं लगनाइ बकार। पान्सौ झाड़केइ माना। देने पड़े। आदमी को पाजिटिब होना पड़तायजी। मैं सोचा चलो, अपने सास्सौ तो बचे। परसार भारती कौन-सा रीअंबर्स करने वाली थी वो पर्ची।

टरेफिक भौत बढ़ गयाय जी बोंबे में। बढ़ना ही है। हर आदमी यां अलग कार में चलना चाहता है। जे नईं कि कार-पूल कर लो। आपको बताऊं मैं परमोदजी, मैं तो मजबूरी में आत्ता हूं अकेला। भोत टराई किया मगर कार-पूल नहीं चला। एक तो क्या है कि लोगों में एक-दूसरे के भीतर झांकने-कुरेदने की बीमारी है। बाहर के नईं, अपने डिपारमेंट-कलोनी के लोग जादा करते हैं। कोई नया बैग ले लिया तो उसका बताते फिरो। मैं एरो और लुई फिलिप की शर्ट क्यों पैनता हूँ, उस पर भी लोगों को उबजैक्शन था। मैं कैत्ता हूँ कि ठीक है हम खानदानी अमीर नहीं थे, नीचे सेई उठे हैं मगर भगवान ने जब इस काबल बना दिया है तो अब क्यों नहीं ढंग से रै सकते? हैं।

आप तो अबी नये आये हो यां मगर देखना डिपारमेंट का एक आदमी घर पर चाय पिलाने लैक नईं है। मैं तो हैरान रे गया जब डिडवानिया के बच्चे ने मेरे से पूछा कि जुहू के उस पारलर की लोकेशन क्या है जहां मेरी मिसेज फेशियल कराने जाती है। ओए मैं पूछता है जी कि सारी बोंबे में क्या एकी पारलर है ? सब बदमाश हैं। दूसरों की टोह लेते फिरते हैं। बनते ऐसे हैं जैसे हरीशचंदर की औलाद हों जबकि किसी की फैमिली हवाई जहाज से नीचे कदम नहीं रखती है। समझते हैं दूसरों को कुछ खबर नहीं। जे जो सिकोरिटी वाला है ना, अरे वही कलोनी वाला जादव, मुझे सब बताता रैता है ... कि कौन से साफ्टवेअर वाला, कौन-सा कनटैकटर किसके यहां आता-जाता है, किसकी बीवी कहां से शापिंग करती है ... । आपको पता है, वो डी फोर वाली लेडी, अरे पिरोगिरामिंग वाले शिशर अगरवाल की बीवी कितनी बदजबान है ? नौकरों तक से मार-पीट करती है। कलोनी के नौकरों ने पताय कीप इट अप टू यू, उसका क्या नाम रखा है : चड्डी वाली भाभी। चड्डी वाली इसलिए कि एक बार वह चड्डी पहनके ही नौकर को बाहर तक मारने दौड़ आयी थी। हंअक ! देख ली।

अब जे देखो, पहली रेड लाइट है जिसपै हम रुके हैं। आपको कभी यां से जाना हो तो जेई रूट लेना। रास्ता थोड़ा लंबा है मगर है साफ-सुथरा। मेरे को तो समझ नईं आती कि गौरमेंट और फ्लाइ ओवर क्यों नई बनवा देती, वेस्टरन हाइवे की तरह। इन रेड लाइटों पर रुकने से मुझे कोई ऐतराज नईं है। अपनी गाड़ी में तो एफएम है, चलता रहता है। टैम का पताई नईं चलता। वो बात है बैगर्स की। मेरे को तो समझई नईं पड़ता कि जे लोग भीक मांगने भी बोंबे क्यों चले आते हैं। अरे भीक मांगनी है तो कहीं भी मांग लो। मलेरकोट से लेके होशियारपुर कहीं भी मांगो। वां महंगाई भी कम है। जे कनटरी की बिजनस कैपिटल में गंद मचाने की क्या जुरूर्त है। और गौरमेंट भी एवेंइ है। बलकी चाहती है कि जे यहीं रहें। वर्ड बैंक से पैसा तो भी मिलता रहेगा। आप तो नये हो। हां, तो तीन महीने में क्या होता है। बोंबे के लिए तो तीन साल भी कम हैं। वैसे यां इन भिकारियों की है बड़ी ऐस। शाम तक कोई भिकारी हजार रुपए से कम लेकर नईं उठता। इस तरह मत देखिए मुझे, यहां 'मिड डे' में ही खबर छपी थी कि बंबई में रोज छह करोड़ से ऊपर की भीक दी जाती है। जे दिखते लंगड़े-लूले हैं, हैं सारे लखपति। धरावी की एक-एक खोली तीन-तीन लाख में जाती है। हम लोग सीद्धे हैं इसलिए बहकावे में आ जाते हैं। कोई जुरूर्त नहीं है इन्हें एक पैसा देने की। आप जे देखों कि अब तो जनखें भी इनमें शरीक हो गये हैं। बड़े बत्तमीज होते हैं। इस वजह से भी मैं शीशा चढ़ाकेई डिराइव करता हूँ। वैसे हकीकत बात तो परमोदजी जे भी है कि हम लोग भी तो एक तरह से इन्ही के ... हंअक।

और आप सुनाओ क्या चल रहा है। आई टैल यू वन थिंग। बोंबे जैसा इंडिया में कोई सिटी नईं। यां आप जो मरजी करो, जो मरजी ना करो। सबकी छूट है। डिपारमेंट वाले तो मुझे घास डालते नईं मगर जेई मेरे लिए जैसे बलैंसिंग इन डिसगाइस हो गया। सैचरडे बगैरा को फैमिली को होटलों में या आसपास घुमा लाते हैं। वो लोग भी खुश। जुरूरी है जी जे भी। आप मेरी एक बात याद रखना। यां आपको देर सबेर बड़ी मनमाफक चीजें टकराएंगी। भौत ज्यादा करने की जुरूर्त नईं है क्योंकि कहते हैं ना कि एक्सस आफ एवरीथिंग इज बैड। बट जेई तो दुनिया है। जेई तो बोंबे की खास बात है वरना सारे सिटीज एक से। अरे क्या बात करते हैं, जे चीजें भी कोई फैमिली को बताकर की जाती हैं।

बोंबे में वैसे सब कुछ है मगर विशवास का आदमी नईं है। यां आदमी की वकत काम से होती है। इतने सालों में मुझे जैसे-तैसे दो मिले थे। बाद में एक दुबई चला गया, दूसरा मर गया। परमोदजी आपको कोई मिले तो ध्यान रखना। आप तो जानते ईओ, सब कुछ घर पै रखना ठीक नईं। वैसे बोंबे के बारे में, सच या झूठ, एक बात जुरूर है : यहां से कोई कुछ लेकर नहीं जाताय ... जो मौज-मजा करना है, यहीं कर लो। और फैक्ट बात तो जे भी है जी कि कुछ दिनों बाद हम-आप मौज-मजा लेने लैक रैंगेई कां .... हैं ? मगर फैमिली फर्स्ट ही रैनी चाहिए परमोदजी।

जे जो मोहत है ना, अरे वोई आपके ब्लाक में थर्ड फ्लोर वाला मोहत कपूर, उससे जरा बचके रैना। भौत बड़ा खिलाड़ी है। एक भी परोगराम एगजिकूटिव और न्यूज रीडर उसने नहीं छोड़ी है। वाइफ भी जानती है मगर क्या करे। दो साल पैले एक लेडी तो कलोनी में बखेड़ा करके गयी थी। लेकिन साब एक बात तो है, बंदे में गट्स हैं। डिटेल में बताउंगा कभी। भौत बड़ा रेंज है पट्ठे का। कभी बात हो तो पूछना तो सरी कि इतना सब कैसे कर लेता है। डोंट कोट मी और कनफरम भी नईं है मगर सुनने में आया है कि कुछ दिनों से उसकी वाइफ भी वैसी हो रही है ... राम मिलाई जोड़ी। हंअक। हम क्या कर सकते हैं। जे बोंबे हैं जी बोंबे।

इस साल के आखर तक टरांसफर आ सकता है। समझ नईं आता कि कहां जायें। चोर-उचक्कों के बीच नार्थ में तो मैं जाऊंगा नईं हालांकि हम खुद वहीं से हैं। परमोदजी, आप बताओ गुजरात कैसा रहेगा। आप तो वहां इतने दिन रहे हो। और सब तो ठीक है मगर सुनने में आया है कि बच्चों की पढ़ाई के हिसाब से बेकार है। सब तो वहां धंधेखोर हैं, वो कैते हैं ना, ब्रेकफास्ट में सनेक्स खाने वाले। हिहिक। अच्छा जी, जे गोधरा वाली बात कितनी सच है। मुझे तो लगता है, जो हुआ सई हुआ। वैसे हम जैसे सर्विस कलास लोगों के लिए तो बच्चों की पढ़ाई मैन है इसलिए सोचता हूँ कि गुजरात तो टरांसफर नहीं लेनी। क्या कैत्ते हो आप ?

जे जो अंधेरी का फ्लाई ओवर है, जिस पै हम अभी हैं, इसकी बड़ी मजेदार कहानी है। बताउंगा कभी। बड़ी कोर्ट-कचैरी हुई है इसकी। हम लोग कितना पिदे हैं। आप तो लकी हो जो बोंबे बाद में आए। मगर जे बात भी है कि मारकीट के हिसाब से अब यहां रिसेशन आ गयी है। पर ओजी सानु की।

पैले अपनी कलोनी में बड़ा अच्छा रैता था। लोग मिलते-जुलते थे। घर आते-जाते थे। होली-दिवाली के अलावा भी हम दो-तीन डिनर कर डालते थे। १५ अगस्त, २६ जनवरी रहे एक्सटरा। मैं काफी दिन सेकटरी था। अपनी सोसाइटी के बाइलाज मैंने ही डराफ्ट करे हैं। जे रजेश पमार जो आजकल जनरल सेकटरी लिखता है, उससे कभी पूछना कै तेरे अंडर कितने सेकटरी हैं जिनका तू जनरल है ? हैं। मैं तो उससे बात करता नईं पर आप उससे कैना कि कलोनी में सबके लिए पारकिंग इसपेस अलाट होनी चाहिए। कोई दिकत हो तो जीबीएम बला लो। इससे बड़ी सहूलियत रहेगी। मैंने कुछ गलत कहा।

आपको पताय अपने टैम में मैंने काम वाली बाइयों के लिए आई-कार्ड और रजिस्टर शुरू कराए थे। अब तो बंद हो गए। इस पर भी लोग मुझसे नराज हो गए। परमोदजी बोंबे की बाइयां बड़ी तेज होती हैं। संभलके रैना। काम ठीक करती हैं मगर इधर-उधर की भौत करती हैं। बाकी तो क्या कहूँ। आपके यां कौन है ? कबी देख्खी नी। अच्छा, टुअंटी फोर आवर है। अच्छा है जी, बहुत अच्छा है। मिसेज को अराम रैत्ता होगा।

लो जी, घर भी पौंच गये। टैम का पताई नी चला। इस तरफ कभी आना हो तो यू आर वैलकमजी। परमोदजी आप नये हो, मेरी बस एकी सलाह है आपको : यां भौत पोलटिक्स है। मैं तो पड़ताइ नी इसमें। आप भी दूर ही रैना।