रोते रहे / पद्मजा शर्मा

Gadya Kosh से
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'सुरेन तेरी माँ मर गयी ना?'

'मेरी मम्मा मरी नहीं है केतु, भगवान के पास गयी है।' कहते हुए दस वर्षीय सुरेन रोने लगा।

घर में किसी ने पूछा-'क्यों रो रहा है?'

बोला-'मुझे भूख लगी है।'

कहा-'ले खाना खा ले। तेरे मनपसंद परांठे बने हैं।'

बोला-'नहीं।'

पूछा-'तो, क्या खाना है?'

कहा-'मुझे नहीं पता। परांठे कब से खाता आ रहा हूँ। कुछ और खाना है। मगर क्या, यह तो माँ जानती है और माँ है नहीं।'

वह स्कूल जाते समय रोता है। आकर भी रोता है। होटल जाते हुए रोता है। घर पर रोता है। सड़क पर रोता है। बाज़ार में रोता है। अपने लिए खिलौने खरीदते हुए भी रोता है। टीचर के आगे रोता है। दोस्तों में रोता है। बैडमिंटन में हार के रोता है, तो जीत के भी रोता है। वह कहता है 'मुझे आप लोग जिता रहे हो क्योंकि मेरी माँ नहीं है। पर मैं माँ को याद करके नहीं रोता' फिर रोता है और रोते हुए अपने पापा की गोद में घुस जाता है।

उससे पूछते हैं 'बैडमिंटन खेलें?'

कहता है-'नहीं।'

'क्रिकेट?'

'चलो। पर मैं जोर से बॉल नहीं फेकूंगा।'

'क्यों?'

'अरे कुछ टूट फूट जाएगा ना, फिर मां... अरे माँ तो है ही नहीं। हाँ, पापा डांटेंगे। तो मैं क्रिकेट नहीं खेलूंगा।'

'तो फिर?'

'पढ़ें?'

'पता नहीं। पर हाँ मुझे दाल खानी है। हाँ, पर पहले एक बात बताओ. पापा मुझ पर गुस्सा क्यों करते हैं? वह दिन भर डांटते क्यों हैं?'

'वो तुझे प्यार करते हैं। वह तो तेरा ख्याल रखते हैं। तू कहना मान लिया कर। खाना समय पर खा लिया कर। पढ़ लिया कर फिर नहीं डांटेंगे।'

'पर आज तो मैं उन्हें मारूँगा ज़रूर से। वे गंदे हैं। वे मेरे पास बैठते ही नहीं। पूरा-पूरा दिन घर से बाहर रहते हैं।'

'काम होता है ना। देख अभी वह काम में लगे हैं। जीने के लिए, घर चलाने के लिए काम करना ज़रूरी है ना? काम नहीं करेंगे तो रुपए कहाँ से आएँगे और बिना रुपए घर में सामान नहीं आएगा। सामान नहीं आया तो हम खाएंगे क्या? पिएंगे क्या? ओढ़ेंगे क्या? बिछाएंगे क्या? सीएंगे क्या और पिरोएँगे क्या?'

'पर मेरे साथ रहना उनका काम नहीं है? माँ को भी समय नहीं देते थे, पापा। अब वह हमें समय नहीं देती। ऐसे ही एक दिन मैं भी दूर चला गया तो?'

बेटे की बातें सुनकर पापा तेज कदमों से आए और बेटे को छाती से चेप लिया। रोते हुए बोले-'बेटा, अब से तुझे ज़रा भी नहीं डाँटूंगा और समय भी दूंगा। तुझे कुछ नहीं होगा। तेरे अलावा अब जीवन में बचा ही क्या है। बस रोया मत कर बेटा।'

बेटा बोला-'मैं अब कभी नहीं रोऊँगा।'

और दोनों देर तक रोते रहे।