रोशन परिवार पर काली घटा / जयप्रकाश चौकसे

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रोशन परिवार पर काली घटा
प्रकाशन तिथि : 07 जनवरी 2014


क्या नए वर्ष में केवल राजनीतिक कुरुक्षेत्र ही होगा जिसमें तमाम दलों के रथों पर 'विकास' की ध्वजा लहरा रही है और कोई भी आयात किए गए इस 'विनाश' के परिणाम का अध्ययन नहीं करना चाहता? ज्योतिष के जानकार प्रयास कर सकते हैं कि पांडव-कौरव युद्ध के समय ग्रह-नक्षत्रों की क्या दशा थी और कहीं वैसा ही संयोग 2014 में तो नहीं बन रहा है? दरअसल पूरी पृथ्वी के संपूर्ण विनाश की अनेक तिथियां प्रचारित हुईं, परंतु सत्यसिद्ध नहीं हुई। इस तरह की तिथियों का भी बाजार लाभ उठाता है और यह भी संभव है कि वही इन तिथियों के प्रचार का प्रायोजक भी हो। आश्चर्य की बात यह है कि कोई भी राजनीतिक दल अपने चुनावी घोषणा-पत्र में पृथ्वी के संरक्षण के लिए किसी योजना को शामिल नहीं कर रहा है। न ही कोई दल भारत की सभी प्रमुख नदियों को जोडऩे की बात कर रहा है। क्योंकि वर्तमान की राजनीति में 'जोडऩा' महत्वपूर्ण नहीं है वरन 'तोडऩे' से सत्ता मिलती है।

ये सारे विचार फिल्म जगत में फैल रही बातों के कारण मन में आ रहे हैं। रोशन परिवार हमेशा अपनी एकजुटता और पारिवारिकता के कारण प्रसिद्ध रहा है। राकेश रोशन ने अनेक संघर्ष किए हैं और विकटतम परिस्थितियों में पारिवारिक एकजुटता कायम रखी है। परंतु आज अत्यंत समृद्धि के दौर में उनका टूटना अजीब सा लगता है। पहले रितिक और सुजैन के अलगाव की खबर आई कि किस तरह तेरह वर्ष पुराना विवाह और चार वर्ष प्रेम के अर्थात सत्रह वर्ष का साथ छूट रहा है। और इस हादसे में सबसे कोमल पक्ष उनके दो मासूम पुत्रों का है। विभाजित परिवार का दंड केवल बच्चों को सहन करना पड़ता है। वर्तमान में पूरे विश्व में अनेक विवाह तलाक की बंद गली में चले जा रहे हैं। इसलिए रितिक-सुजैन प्रकरण भी उनमें से एक माना जा सकता था। यह भी लगता था कि रिचर्ड बर्टन और एलिजाबेथ टेलर की तरह वे दोबारा शादी कर सकते हैं।

आज की अफवाह जरूर पूरी तरह अचंभित करती है कि रितिक रोशन ने अक्षय कुमार जिस इमारत में रहते हैं उसमें एक माला खरीदा है। एक माह बाद वहां रहने जा रहे हैं। उनकी पत्नी सुजैन पहले ही वर्सोवा के एक ?लैट में बच्चों सहित विगत एक वर्ष से रह रही हैं। रितिक का अपने माता-पिता का घर छोड़कर अन्य स्थान पर रहने की खबर सचमुच चौंकाती है। ज्ञातव्य है कि इस पिता-पुत्र की टीम ने चार सुपरहिट फिल्में दी हैं। इस टीम का सफलता रिकॉर्ड शत प्रतिशत है। केवल पंद्रह प्रतिशत सफलता पर जीवंत इस सौ वर्षीय उद्योग में रोशन रिकॉर्ड बेमिसाल है।

ज्ञातव्य है कि राकेश रोशन ने जुहू स्कीम की एक बहुमंजिला इमारत में ऊपर के तीनों माले खरीदे थे तथा आठवें माला पर केवल रितिक और सुजैन रहते थे तथा दसवें पर राकेश और पत्नी तथा उनकी पुत्री तथा नौंवा माला दोनों यूनिट के बीच कॉमन था। तीनों माले एक दूसरे से भीतरी द्वार द्वारा जुड़े थे। अत: निजी स्वतंत्रता के साथ यूनाइटेड फैमिली की तरह रहते थे। हर माला पांच हजार वर्ग फुट से अधिक ही है। रितिक राकेश के इकलौते पुत्र हैं।

आज के दौर में प्राय: व्यक्तिगत 'स्पेस' और 'निजी वक्त' की बातें की जा रही हैं। यह सच है कि हर व्यक्ति अपनी निजता के लिए कुछ चाहता है परंतु ये स्पेस और टाइम के लिए आग्रह परिवार को तोड़ दे तो आपके पास बहुत स्पेस है परंतु साथ ही है भयावह अकेलापन। शक्ति हमेशा पांच ऊंगलियों को जोडऩे से बनी मुठ्ठी में ही होती है। यह संभव है हर व्यक्ति भीतर से बहुत बेचैन है और अजीब सी अकुलाहट भी है, आक्रोश भी है। इन सब मनोवैज्ञानिक दबावों के कई कारण हैं परंतु एक कारण अन्याय, असमानता आधारित समाज और असहिष्णु सरकार भी है। हम कैसे इस अनंत सत्य को भूल रहे हैं कि सारे तत्व और मनुष्य एक अदृश्य डोर से बंधे हैं और इस बंधन में ही आनंद और मुक्ति है। हॉलीवुड की 'अवतार' में अन्य ग्रह पर वृक्षों को तोडऩे के दृश्य में एक पात्र कहता है कि इस ग्रह पर तोड़े जा रहे दर?त की वेदना पृथ्वी के दर?त को हो रही है। नैतिक मूल्य ओर सांस्कृतिक शून्य मूल समस्या है। एक भीतर से टूटते देश का प्रभाव परिवारों पर नजर आता है और परिवार का टूटना देश के टूटने का संकेत हो सकता है।