लाखों डॉलर जीत लाए गुदड़ी के लाल / जयप्रकाश चौकसे

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लाखों डॉलर जीत लाए गुदड़ी के लाल
प्रकाशन तिथि : 08 मई 2019


मुंबई में साधनहीन लोगों की रिहाइश वाले इलाके नालासोपारा के किशोरों ने अमेरिका में आयोजित एक नृत्य स्पर्धा में शिखर पुरस्कार प्राप्त किया। इस तरह उन्होंने लाखों डॉलर अर्जित किए। साधनहीन वर्ग के प्रतिभाशाली लोग अवसर पाने पर कमाल कर दिखाते हैं। माइकल जैक्सन भी साधनहीन वर्ग के ही थे। 'स्लमडॉग मिलियनेयर' फिल्म में भी झोपड़पट्‌टी का किशोर ज्ञान की एक प्रतिस्पर्धा में अपने जीवन के यथार्थ अनुभव से सारे प्रश्नों के सही उत्तर देता है। कार्यक्रम का संचालक उसे बार-बार भ्रमित करने का प्रयास करता है। साधन संपन्न इतना तंगदिल होता है कि अवाम के किसी व्यक्ति को अमीर बनते नहीं देखना चाहता। कितनी संकरी गली में ये अमीर लोग रहते हैं।

शांताराम की 'झनक झनक पायल बाजे' का नायक नृत्यकला में प्रवीण है। पूरी फिल्म ही नृत्य प्रधान फिल्म थी। कमल हासन ने 'सदमा' और 'एक दूजे के लिए' में शास्त्रीय नृत्य प्रस्तुत किया था। सत्यजीत राय द्वारा निर्मित मुंशी प्रेमचंद की कथा से प्रेरित फिल्म 'शतरंज के खिलाड़ी में' अमजद खान ने वाजिद अली शाह की भूमिका अभिनीत करते हुए कथक नृत्य किया था। हम केवल पुरुषों द्वारा फिल्मों में प्रस्तुत नृत्य की बात कर रहे हैं।

हॉलीवुड में विगत सदी के छठे दशक में नृत्य केंद्रित फिल्म 'यंगवन्स' बनी थी। युवा वर्ग के क्लब में नृत्य होता है। भवन की लीज समाप्त होती है परंतु अनुबंध में नवीनीकरण का प्रावधान है। साथ ही किराया बढ़ाने का अधिकार मालिक के पास है। वह धनाढ्य व्यक्ति क्लब की इमारत को तोड़कर वहां एक बहुमंजिला इमारत खड़ी करना चाहता है। युवा वर्ग एक नृत्य कार्यक्रम द्वारा यथेष्ट धन एकत्रित करने का प्रयास करता है। मालिक उस कार्यक्रम को नहीं होने देने के जतन करता है। दरअसल, धनाढ्य व्यक्ति यह नहीं जानता कि उसका अपना पोता उस क्लब का श्रेष्ठ डांसर है। धनाढ्य व्यक्ति प्रमुख नाचने वाले को गोली मारने के लिए एक शूटर भेजता है। जैसे ही उसे ज्ञात होता है कि उसने अनजाने ही अपने इकलौते पोते की हत्या का आदेश दे दिया है, वैसे ही वह अपना आदेश वापस ले लेता है। फिल्म का सुखांत होता है।

हॉलीवुड की ही फिल्म 'वेस्ट साइड स्टोरी' भी नृत्य केंद्रित फिल्म थी, जिसकी प्रेरणा से मंसूर खान ने 'जोश' नामक फिल्म बनाई थी, जिसमें शाहरुख खान और एेश्वर्या राय ने भाई-बहन के पात्र अभिनीत किए थे गोयाकि 'देवदास' कभी 'पारो' के भाई की भूमिका अभिनीत कर चुके थे।

फिल्मों में नृत्य निर्देशक कलाकारों को रियाज कराते हैं और नृत्य दृश्य का संपादन भी वे ही करते हैं। मुंबइया सिनेमा में नृत्य निर्देशक दक्षिण भारत से आए थे। सबसे पहले हीरालाल आए थे। उनके शागिर्द भी नाम कमा चुके हैं। मुंबई में रहने वाली फरहा खान को मंजूर हसन ने ही पहला अवसर दिया था। वैभवी संजय लीला भंसाली की फिल्मों का नृत्य निर्देशन कर चुकी हैं। अफवाह थी कि भंसाली वैभवी के बीच प्रेम का रिश्ता रहा है।

फिल्म उद्योग में भगवान दादा की नृत्य शैली को अमिताभ बच्चन ने अपनाया। उसमें कुछ ठुमके उनके अपने भी हैं। भगवान दादा ने सफल फिल्म 'अलबेला' बनाई थी। एक दौर में उन्होंने बहुत धन कमाया परंतु अपनी जीवनशैली के कारण सबकुछ खो भी दिया। अपने अंतिम वर्षों में वे झोपड़पट्‌टी में रहने चले गए थे। जहां से यात्रा आरंभ की थी वहीं वापस लौटने के लिए वे बाध्य हो गए। फिल्मी नृत्य में कई शैलियों का मिश्रण होता है। इसमें पश्चिम के बॉलरूम डांस से लेकर लोकनृत्य तक शामिल होते हैं। इतना ही नहीं कुछ फिल्मों में कोजक शैली भी शामिल की गई है। सिप्पी द्वारा निर्देशित फिल्म 'सत्ते पे सत्ता' में कोजक की झलक देखी जा सकती है।

ज्ञातव्य है कि रूस में पांच वर्ष की बालिका में नृत्य के प्रति रुझान को देखकर उसे प्रशिक्षित किया जाता है और किशोरावस्था तक आते-आते वह बैलेरीना बन जाती है। 'मेरा नाम जोकर' की रूसी नायिका रिबिन्किना सर्कस से नहीं बल्कि बैले नृत्य संसार से आई थीं। भारत में हिंदुस्तानी क्रिश्चियन बाल रूम डांसिंग में प्रवीण रहे हैं। एक दौर में इंदौर के युवा महू जाकर उनसे डांस सीखते थे। गौरतलब है कि नालासोपारा के किशोर अपनी जीती हुई रकम से अपने क्षेत्र में चौड़ी सड़कें बनाएंगे और बस्ती को स्वच्छ रखेंगे या इस धन से केवल अपने परिवार का भला करेंगे? सरकार से विकास की आशा न करते हुए हर गली-मोहल्ले को स्वयं ही अपने लिए कुछ करना होगा। आम रास्ते पर सरकारें तो स्पीड ब्रेकर की तरह अवाम की गति रोकती हैं। आम आदमी अपनी ऊर्जा के दम पर ही जीवन के असमान युद्ध का वीर व्यक्ति रहा है। सदियों से संघर्षरत होने के कारण उसने असीमित कूवत अर्जित कर ली है और उसके जीवन का स्थायी है 'देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है'।