लाचारी / गोवर्धन यादव

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शहर में आए दिन चोरी हो रही थी, कभी किसी मोहल्ले में तो कभी किसी मोहल्ले में, एक दिन तो चोरों ने ग़ज़ब ढाया, शहर के सबसे व्यस्ततम इलाके में जहाँ बडी-बडी दुकाने लगी हुई थी, चार दुकानॊं के शटर तोडकर करोडॊं का सामान साफ़ कर दिया, पब्लिक का गुस्सा फ़ूट पडा और उन्होंने थाने का घेराव करते हुए और पुलिस के खिलाफ़ जमकर अपनी भडास निकालते हुए अपशब्दों का प्रयोग करना शुरु कर दिया, कोई उन्हें कुत्ते की उपाधि दे रहा था, तो कॊई पुलिस की चोरों से मिली-भगत की बात कर रहा था, भीड कब क्या न कर बैठे इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता, देखते ही देखते थाने पर पत्थर बरसाये जाने लगे, जब इस बात की सूचना पुलिस अधीक्षक को मिली तो वे फ़ौरन चले आए और उन्होंने भीड को शांत करने के लिए हवाई फ़ायर किया, गोली की आवाज़ सुनकर भीड सहम-सी गई थी, फिर उन्होंने भीड की ओर मुख़ातिब होकर कहा-" भाईयॊं, यह सच है कि शहर में आए दिन चोरी के वारदार बढते जा रहे हैं, हम उन्हें रोकने का भरसक प्रयास भी कर रहे हैं, लेकिन जब तक आप लोगों का सहयोग नहीं मिलेगा, पुलिस कर भी क्या सकती है, आप लोगों को भी चाहिए कि अपनी सुरक्षा ख़ुद करने का प्रयास करें, जब आप लापरवह होते हैं तो अपराधी का सर उठाना आसान होता है, सबसे बडी बात तो यह कि आप शायद जानते नहीं है कि शहर की आबादी दो लाख है और पुलिस बल में तैनात केवल सात सौ पुलिस कर्मी, अब आप ही बतलाइये कि क्या सात सौ जवानों से पूरे शहर की सुरक्षा कर पाना संभव है? वे कुछ और कह पाते कि तभी डाग-स्काड आ पहुँचा, इन्स्पेक्टर की ग्रेड का वह श्वान भीड में जा घुसा और यहाँ-वहाँ सूंघते हुए घूमने लगा, तभी उसने भीड में खडॆ एक आदमी का पैजामा पकड लिया और उसे बुरी तरह से घसीटने लगा, वहाँ तैनात पुलिस कर्मियों ने उसे जा घेरा, कडी पूछताझ के बाद उस आदमी ने अपना जुर्म कबूल कर लिया,

जब अपराधी पकड लिया गया तो पुलिस अधीक्षक ने पुनः जमा भीड को सम्बोधित करते हुए कहा-" अभी इसी भीड में कोई सज्जन, पुलिस को कुत्ता कह रहा था, वह यह समझ ले कि पुलिस के लोग भी ठीक उसी की तरह इनसान होते है, जिस तरह का वह है, हाँ! पुलिस बल में कुत्ते भी होते हैं जो कि कडी मेहनत और प्रशिक्षण के बल पर जुर्म पकडने में प्रवीण बनाये जाते हैं, और इन्हें भी हमारी ही तरह ग्रेड भी दिया जाता है, अगर किसी ने भूल से कुत्ते को कुत्ता कह दिया तो इससे कुत्ता जाति कॊ कोई फ़र्क नहीं पडता लेकिन जानवरॊं के प्रति, जबकि वह समाज की सेवा में तत्पर हो तो ऐसा कहने वाला उससे भी नीचे की पायदान पर खडा है, यह उसकी समझ में आ जाना चाहिए.