वाह मिट्टी / सुभाष नीरव

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-- छोनू बेटा, बाहर मिट्टी है, गंदी! गंदे हो जाओगे। घर के अन्दर ही खेलो, आं...।

जब से सोनू घुटनों के बल रेंगने लगा था, रमा उसकी चौकसी करती रहती कि वह बाहर न जाए। मिट्टी में न खेलने लगे।

-- छी-छी! गंदी मिट्टी! मिट्टी में नहीं खेलते बेटा। देखो, हो गए न गंदे हाथ-पैर! छी!

सोनू बाहर चला जाता तो रमा उसे तुरन्त उठाकर अन्दर ले आती। प्यार से समझाती-झिड़कती।

जब सोनू खड़े होकर चलने लगा तो हम पति-पत्नी बेहद खुश हुए। लेकिन, अब रमा की परेशानी और अधिक बढ़ गयी। वह न जाने कब चुपके से बाहर निकल जाता और मिट्टी में खेलने लगता। रमा खीझ उठती।

-- उफ्फ! मैं तो तंग आ गयी। दिन भर पकड़-पकड़कर अन्दर कमरे में बिठाती हूँ और यह बदमाश है कि न जाने कब चकमा देकर बाहर चला जाता है। ठहर, अभी लेती हूँ तेरी खबर!

अब रमा सोनू को डांटने भी लगी थी। वह चपत दिखाते हुए उसे धमकाती-

-- खबरदार! अब अगर बाहर मिट्टी की तरफ झांका भी! मार पडेग़ी, समझे। तुझ से अन्दर बैठकर नहीं खेला जाता? हर समय मिट्टी की तरफ ध्यान रहता है।

सोनू की हरकत से कभी-कभी मैं भी खीझ उठता। फिर, न जाने क्या हुआ कि सोनू ने बाहर जाकर मिट्टी में खेलना तो क्या उधर झांकना भी बन्द कर दिया। दिनभर वह घर के अन्दर ही घूमता रहता। कभी इस कमरे में, कभी उस कमरे में। कभी बाहर वाले दरवाजे की ओर जाता भी तो तुरन्त ही 'छी मित्ती!' कहता हुआ अन्दर लौट आता। अब न सोनू हँसता था, न किलकारियाँ मारता था। हर समय खामोश और गुमसुम-सा बना रहता।

सोनू के दादा-दादी को जब इस बात की खबर हुई तो वे भी चिंतित हो उठे। उन्होंने इच्छा प्रकट की कि हम सोनू को लेकर कुछ रोज के लिए गाँव चले आएँ। मुझे और रमा को उनका प्रस्ताव अच्छा लगा। हम उसी रोज बस पकड़कर गाँव पहुँच गये।

माँ-पिताजी, छोटे भाई-बहन सभी सोनू को पाकर बेहद खुश हुए। लेकिन, सोनू था कि यहाँ आकर और अधिक गुमसुम हो गया था। वह गोद से नीचे ही नहीं उतरता था। उतारने की कोशिश करते तो रुआँसा-सा हो जाता और गोद में ही बने रहने की जिद्द करता।

तभी, पिताजी ने सोनू को अपनी गोद में उठाया और बाहर ले गये। काफी देर बाद जब पिताजी वापस घर आये तो सोनू उनके संग नहीं था।

--सोनू कहाँ है?

हम पति-पत्नी ने चिंतित स्वर में एक साथ पूछा।

--बाहर बच्चों के संग खेल रहा है।

पिताजी ने सहज स्वर में बताया। तभी, एक जोरदार किलकारी हमारे कानों में पड़ी। हम दौड़कर बाहर गये। सोनू मिट्टी में लथपथ हुआ बच्चों के संग खेल रहा था और किलकारियाँ मार रहा था।