वोट बैंक / पद्मजा शर्मा

Gadya Kosh से
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सभा में जाति विशेष के नेता धाराप्रवाह बोल रहे थे-'भाइयो-बहनो, जाति प्रथा का जड़ से उन्मूलन होना चाहिए. इसने हमारी प्रगति को रोक रखा है। जिन देशों में यह बीमारी नहीं है वे स्वस्थ हंै और ज़्यादा विकास कर रहे हैं। हर क्षेत्र में हमारे पिछड़ेपन के कारणों में यह जाति प्रथा भी एक बड़ा कारण है। मनुष्य-मनुष्य में जातिगत आधार पर भेदभाव अक्षम्य है। यह मानवता के प्रति अन्याय है। इससे छुटकारा तभी मिल सकता है जब हम अपने बच्चों की शादियाँ दूसरी जातियों में बेहिचक करने लगें।'

तभी सभा के बीच में किसी श्रोता ने प्रश्न दागा-'अगर आपका पुत्र या पुत्री दूसरी जाति में विवाह करें तो क्या इजाजत दे देंगे? साफ-साफ बताएँ।'

नेताजी सकपका गए.

तभी अन्य श्रोता ने तपाक से कहा-'क्या खाक बताएँगे। कहेंगे तो मारे जाएंगे बेचारे। इनको जाति के नाम पर वोट कैसे मिलेंगे। जात वाले तो जात बाहर ही कर देंगे इन्हें। इस तरह वोट बैंक हाथ से नहीं चला जाएगा।'

तीसरे ने कहा-'करने और कहने में बड़ा अंतर है, भाई. कहने में तो कुछ नहीं गया पर करने से कुर्सी ही नहीं जाएगी समाज बिरादरी में इन बड़े लोगों की नाक भी कट जाएगी। ऊपर से लोग ताने और देंगे कि बाप अपनी जाति में लड़की / लड़का नहीं ढूँढ़ सका।'

अब धारा में गतिरोध आ गया था। नेताजी का गला सूख गया था। वे पानी मांग रहे थे।