शुभ मंगल सावधान, अधिक सावधान / जयप्रकाश चौकसे

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शुभ मंगल सावधान, अधिक सावधान
प्रकाशन तिथि : 22 जून 2020


विवाह भारतीय समाज, सिनेमा और व्यापार का केंद्र रहा है, जिसके बाहरी स्वरूप प्राय: बदलते रहे हैं। विवाह के माध्यम से दो औद्योगिक घरानों का विलय भी हुआ है और कभी विघटन भी हुआ है। कोरोना के सर्वव्यापी कहर के बावजूद विवाह हो रहे हैं, परंतु सादगी के साथ। शव-यात्रा और बारात में भीड़ नहीं की जा सकती। जहां सादगी के लिए महान लोगों के प्रयास विफल हुए, वहां कोरोना के भय ने सफलता पाई। कुछ सावधान लोग विवाह पूर्व वर-वधू के मेडिकल टेस्ट लिए जाने का आग्रह करते हैं, परंतु टेस्टिंग का हाल यह है कि कुछ निगेटिव पाए जाने वाले बाद में पॉजिटिव पाए गए हैं। सरकारी माप-तौल की संदिग्ध सजगता के बावजूद तोल-मोल में फर्क हमारे व्यापार की विशेषता रही है। जनजातियों में विवाह पूर्व फिटनेस टेस्ट लिया जाता है, जिससे प्रेरित दृश्य अमिताभ व तबु अभिनीत फिल्म ‘चीनी कम’ में बड़ा मनोरंजक बन पड़ा है। फिल्मकार आर बाल्की ने ही करीना कपूर व अर्जुन कपूर अभिनीत फिल्म ‘की एंड का’ में दफ्तर जाने वाली पत्नी और घर का काम करने वाले पति के पात्रों को प्रस्तुत किया है।

फिल्म उद्योग के बड़जात्या परिवार ने विवाह केंद्रित इतनी अधिक फिल्में बनाई हैं कि उनकी एक फिल्म का नाम ‘एक विवाह ऐसा भी’ रखा गया। 5 दिवसीय आडंबर पूर्ण विवाह की फिल्में बनी हैं। विवाह आयोजन का व्यवसाय भी विकसित हुआ है, जिसे आदित्य चोपड़ा ने अनुष्का शर्मा और रणवीर सिंह अभिनीत अपनी फिल्म ‘बैंड बाजा बारात’ में प्रस्तुत किया।

कुछ महानगरों में दंपत्ति ने तय किया कि वे विवाह करेंगे, साथ ही अपनी नौकरियों को भी बचाए रखते हुए बच्चों को जन्म नहीं देने के अनुबंध का पालन करेंगे। बच्चों की परवरिश के दायित्व से वे बचना चाहते हैं। इन्हें डिन्क्स कहा जाता है। अर्थात डबल इनकम एंड नो किड्स। गुरुदत्त की फिल्म ‘मि. एंड मिसेज 55’ में भी एक शादी एक सुविधाजनक एग्रीमेंट के तहत की जाती है। इस प्रक्रिया में अमीरजादी सच्चा प्रेमी खोज लेती है।

दक्षिण भारत में बनी फिल्म ‘मिस मैरी’ में मीना कुमारी और करण दीवान नौकरियां पाने के लिए विवाहित होने का स्वांग रचते हैं। इस मनोरंजक फिल्म में स्वांग से प्रारंभ रिश्ता ठोस आकार ले लेता है।

वी. शांताराम की फिल्म ‘दुनिया न माने’ पहले मराठी भाषा में ‘कूंकू’ के नाम से बनाई गई थी, एक साठ वर्षीय दुजवर 14 साल की कन्या से विवाह कर लेता है। दरअसल अनाथ कन्या के मामा ने उसे बेचा है। लेकिन दुल्हन उसे अपने शरीर को हाथ भी नहीं लगाने देती है। अभावों ने उसे शक्ति दी है। कमजोर, कमजर्फ उम्रदराज पति, दांत भी नहीं पीस सकता, क्योंकि डेन्चर टूट सकता है।

कथा में नाटकीय मोड़ आता है, जब बूढ़े के पहले विवाह से जन्मी बेटी गांधी जी के वर्धा आश्रम से घर आती है और कहती है कि अगर पिता इस अनाथ को अपनी बेटी बनाकर घर लाते, तो वह उन्हें पूजती। बहरहाल उम्रदराज व्यक्ति को पश्चाताप होता है। वह आत्महत्या कर लेता है। एलिजाबेथ टेलर व रिचर्ड बर्टन ने एक-दूसरे से दो बार विवाह किया। वे खूब लड़ते झगड़ते, परंतु एक-दूसरे के बिन रह भी नहीं पाते थे। फिल्म ‘हू इज अफ्रेड ऑफ वर्जीनिया वुल्फ’ में उनका प्रेम व जुनून अभिव्यक्त हुआ।

अक्सर बारात का अंदाज विजयी सेना की तरह होता है और दुल्हन के घर के द्वार पर दूल्हे द्वारा नारियल तोड़ना कन्या पक्ष के आत्म-सम्मान को तोड़ने की तरह होता है। जाने कैसे बारात में बेहूदगी का नागिन नृत्य नाचा जाता है। क्या संबंध है इनके बीच में? बैंड वाले जाने क्यों यह गीत बजाते हैं ‘ये देश है वीर जवानों का’।

क्या विवाह घोषित या गुरिल्ला छापा मार शैली युद्ध है, जिसमें पति-पत्नी एक-दूसरे पर आक्रमण करके अपनी कमजोरियों के पहाड़ के पीछे जा छुपते हैं? आज शादी संस्थान अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं। बच्चों की कच्ची डोर से बंधा रिश्ता उस रस्सी की तरह है, जिसके जलने के बाद भी बल नहीं जाते।