संकीर्णता व क्राइस्टचर्च में हिंसा का तांडव / जयप्रकाश चौकसे

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संकीर्णता व क्राइस्टचर्च में हिंसा का तांडव
प्रकाशन तिथि : 20 मार्च 2019

कुछ वर्ष पूर्व फिल्मकार नागेश कुकुनूर की आयशा टाकिया, उत्तरा बाओकर और अन्य कलाकारों द्वारा अभिनीत फिल्म 'डोर' का प्रदर्शन हुआ था। कथासार इस तरह है कि एक खाड़ी देश में दो मित्र बालकनी में खड़े होकर बात कर रहे हैं और पीठ पर हल्की-सी याराना चपत लगने के कारण नीचे गिरकर एक की मृत्यु हो जाती है। यह गैरइरादतन हत्या का प्रकरण बन जाता है। पुलिस इसे दुर्घटना मानने से इनकार करती है। खाड़ी देश का नियम है कि इस तरह की घटना में मर जाने वाले व्यक्ति की पत्नी आरोपी को क्षमादान करे तो आरोपी को छोड़ दिया जाता है। इस तरह न्याय करने का अधिकार कत्ल हो जाने वाले व्यक्ति की पत्नी को प्राप्त होता है। मर जाने वाले व्यक्ति की पत्नी राजस्थान में रहती है। आरोपी की पत्नी उस कस्बे में आती हैं। उस छोटे से कस्बे में सामंतवादी परिवार की युवा बहू को दिन में केवल एक बार मंदिर जाने की आज्ञा है। विधवा घर के सारे काम करती है और रूखा-सूखा बचा हुआ भोजन करते हुए जी रही है। युवा विधवा उसी तरह का जीवन जीती है जैसा राज कपूर की 'प्रेम रोग' में प्रस्तुत किया गया था, जो 1982 में प्रदर्शित हुई और नागेश कुकुनूर की फिल्म 2006 में प्रदर्शित हुई थी। कहने का आशय यह नहीं है कि नागेश कुकुनूर पर 'प्रेम रोग' का प्रभाव है वरन यह अभिव्यक्त किया जा रहा है कि विधवा के साथ किए जा रहे अमानवीय व्यवहार में कोई अंतर नहीं आया है। दीपा मेहता की फिल्म 'वॉटर' भी इसी समस्या को प्रस्तुत करती है। दरअसल, विधवा के साथ अमानवीय व्यवहार हमारे समाज का स्त्री के प्रति जो दृष्टिकोण है, उसी का हिस्सा है। नारी-पुरुष समानता महज एक खोखला दिखावा है।

बहरहाल, 'डोर' में उस कस्बे में आई आरोपी की पत्नी और विधवा के बीच बहनापा विकसित होता है। युवा विधवा पहली बार एक मेले में जाती हैं और मिठाई खाती है। विधवाओं को मिठाई नहीं दी जाती। उन्हें रूखा-सूखा भोजन इसलिए दिया जाता है कि अच्छा स्वादिष्ट भोजन उनके मन में इच्छाएं जगा सकता है। इस तरह की अवैज्ञानिक एवं तर्कहीन बातों को भी संस्कार के नाम से स्थापित कर दिया गया है। यह डिजायर और डिनायल का खेल एक साजिश है। विधवा का सामंतवादी परिवार एक पुरानी हवेली में रहता है, जो उनके पूर्वजों द्वारा अपने अच्छे दिनों में बनाई गई थी। वर्तमान के आलसी एवं अय्याश व्यक्ति इस हवेली को बेचना चाहते हैं और खरीददार उन्हें मुंहमांगी रकम इस शर्त पर देना चाहता है कि उनकी युवा विधवा एक रात उस खरीददार के साथ बिताए। वे ऊपरी तौर पर इस अभद्र प्रस्ताव को खारिज करते हैं परंतु मन ही मन मुंहमांगी रकम पाने के लोभ में इस अभद्र प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहते हैं। विधवा से अपने पति के लिए क्षमा-पत्र प्राप्त करने वाली को सारी बात मालूम पड़ जाती है। अभी तक उसने अपना मन्तव्य विधवा सहेली को नहीं बताया है। अपना सच्चा परिचय भी नहीं दिया है। बहरहाल, विधवा को अपने परिवार द्वारा अभद्र प्रस्ताव स्वीकार कर लेने की मंशा की जानकारी मिल जाती है।

युवा विधवा अपने परिवार के खिलाफ विद्रोह करती है और अपनी सहेली के साथ चली जाती है। वह क्षमा-पत्र पर हस्ताक्षर भी कर देती है। यह दो सताई हुई महिलाओं के बीच पनपे बहनापे की कथा है। वे उस डोर को ही काट देती हैं, जो एक जंजीर की तरह उन्हें बांधे हुए थी। 'जंजीरों की लम्बाई तक ही था उनका सैरसपाटा' जैसे निदा फाज़ली ने अभिव्यक्त किया था। हाल ही में न्यूजीलैंड में एक मस्जिद में नमाज के समय ब्रैंटन हैरीसन टैरंट नामक व्यक्ति ने गोलियां चलाकर 50 व्यक्तियों का कत्ल कर दिया। बांग्लादेश क्रिकेट टीम के खिलाड़ी बाल-बाल बच गए। मारे गए व्यक्तियों में सात व्यक्ति हिंदुस्तान में जन्मे लोग थे, जो न्यूजीलैंड में बस गए थे। रोजी-रोटी की तलाश में लाखों भारतीय विदेशों में बस गए हैं। ज्ञातव्य है कि डोनाल्ड ट्रम्प अप्रवासी व्यक्तियों के सख्त खिलाफ हैं। उनके संकीर्ण विचारों से आम अमेरिकी त्रस्त है और उन्हें चुन लेने के लिए शर्मिंदा भी है। न्यूजीलैंड के हत्यारे ने बयान दिया है कि वह यहूदियों, मुसलमानों और गैर-श्वेतों के सख्त खिलाफ हैं। सनकीपन और अंधी हिंसा की विश्वव्यापी लहर का परिणाम है यह त्रासदी।

इसके साथ ही यह मुद्दा भी जुड़ा है कि अमेरिका की तरह ही न्यूजीलैंड में हथियार रखना गैर-कानूनी नहीं है। इन देशों में सब्जी और फल की तरह ही हथियार खरीदे जा सकते हैं। भारत में इस पर पाबंदी है परंतु देशी कट्टे भारी मात्रा में खरीदे और बेचे जाते हैं। अमेरिका में हथियार रखने के अधिकार को मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता और स्वतंत्रता से जोड़ा गया है। इस पर भी एक फिल्म बनी है, जिसका नाम है हिस्ट्री ऑफ वायलेंस। दरअसल दुनियाभर में हथियार बेचना अमेरिका का मूल व्यवसाय है। हिंसा उनका सबसे बड़ा निर्यात है। न्यूजीलैंड की हिंसा में मरने वाले के रिश्तेदार ने हत्या करने वाले को अपनी तरफ से क्षमा कर दिया है। क्षमा सबसे महत्वपूर्ण आदर्श है।