संभोग : अहं-शून्‍यता की झलक / ओशो

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » संकलनकर्ता » अशोक कुमार शुक्ला  » संग्रह: संभोग से समाधि की ओर

संभोग : अहं-शून्‍यता की झलक
संभोग : अहं-शून्यता की झलक

अगर हम आग को समझ लें, तो यह दुश्‍मन नहीं दोस्‍त है

जीवन एक ऊर्जा है जो स्‍वयं को पैदा करने के लिए सतत चेष्‍टा शील है

मृत्‍यु के धुएँ में अमृत की लौ भी छिपी हुई है

लेकिन काम की शक्‍ति क्‍या है?