संयुक्त वामपक्षी मोर्चा / कांग्रेस-तब और अब / सहजानन्द सरस्वती

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इस सम्मेलन में मौजूद उग्रदली पार्टियों के प्रतिनिधि इस आवश्यकता को महसूस करते हैं और आज इस जगह इस ऐलान के जरिएसंयुक्त उग्रदली मोर्चा बनाने का निश्चय करते हैं। यह मोर्चा ऊपर बतलाए संघर्षों को पूर्ण स्वतंत्रता और समाजवाद की प्राप्ति के लिए एक आम और व्यापक संघर्ष का हिस्सा समझ कर और भी आगे बढ़ाएगा और तेज करेगा।

सांप्रदायिक दंगों, भारत-पाकिस्तान के बीच युध्द के प्रचार, छंटनी और तनख्वाह की कटौती, सरकार के दमनकारी कानूनों, राष्ट्रीय ट्रेड यूनियन कांग्रेस और उस जैसी अन्य संस्थाओं के जरिए पूँजीवादी वर्ग की जन-संगठनों में फूट डालने और उन्हें कमजोर करने की कोशिशों तथा मजदूरों और किसानों की माँगें और आवश्यकताएँ पूरी किए बगैर औद्योगिक और कृषि मोर्चों पर शांति रखने के नारे के खिलाफ तत्काल और संयुक्त आंदोलन छेड़ कर के ही यह उग्रदली मोर्चा बनाया और बढ़ाया जाएगा। यह मोर्चा देशी रियासतों में सच्चे जनवादी सुधारों और मजदूरों, किसानों और दूसरे मेहनतकश लोगों के हक के लिए आंदोलन करेगा। इस मोर्चे को तैयार करने के लिए भारतीय संघ और पाकिस्तान में प्रतिक्रियावादी नेताशाही की नीति का लगातार पर्दाफाश करना होगा।

यह मोर्चा भारतीय संघ और पाकिस्तान के अंदर काम करनेवाले साम्राज्य-विरोधी कांग्रेसजनों और लीगियों के संघर्ष को अत्यंत महत्वपूर्ण समझता है। यह मोर्चा सबके समान हितों के सवालों पर होनेवाले संयुक्त प्रदर्शनों में इन साम्राज्य विरोधी लोगों को लाने की कोशिश करेगा और प्रतिक्रियावादी नेताओं के असर से अपने को छुड़ाने में उनकी मदद करेगा।

इस मोर्चे का उद्देश्य मौजूदा सरकारों के बदले शोषित जनता की हित-रक्षा करनेवाली सरकारें कायम करना होगा। यह मोर्चा नीचे से, मेहनतकश जनता की एकता और संगठन, और उनके पीछे सभी उग्रदली पार्टियों और प्रगतिशील अंगों के संयुक्त प्रयत्नों के जोर से बनी जन-संगठनों की एकता के जरिए तैयार होगा, फैलेगा और मजबूत होगा।