सनी देवल का पुत्र आ रहा है ? / जयप्रकाश चौकसे

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सनी देवल का पुत्र आ रहा है ?
प्रकाशन तिथि : 28 दिसम्बर 2013


सनी देवल अपने सुपुत्र को किसी युवा निर्देशक के द्वारा प्रस्तुत करना चाहते हैं और उन्होंने 'वेक अप सिड' एवं 'ये जवानी है दीवानी' के लेखक निर्देशक अयान मुखर्जी से मुलाकात की और अपने पुत्र से भेंट कराई। सनी देवल अपने पुत्र की पहली फिल्म अत्यंत भव्य पैमाने पर बनाना चाहते हैं। उन्होंने यह तय कर लिया है कि वे अपने पुत्र को निर्देशित नहीं करेंगे तथा निर्देशक युवा वर्ग का ही होगा। उनके निर्देशकों की सूची में इम्तियाज अली भी हैं। उन्होंने यह भी तय किया है कि यह प्रेम-कथा ही होगी। ज्ञातव्य है कि उनके पिता धर्मेंन्द्र ने अपने पुत्र सनी को राहुल रवैल निर्देशित फिल्म 'बेताब' में प्रस्तुत किया था। राहुल को चुनने का कारण यह था कि वह राजकपूर का सहायक था जब धर्मेन्द्र 'मेरा नाम जोकर' में काम कर रहे थे और राजेंद्रकुमार ने भी अपने बेटे कुमार गौरव को राहुल रवैल से ही 'लव स्टोरी' में निर्देशित किया था। ज्ञातव्य है कि 'बेताब' और 'लव स्टोरी' का संगीत आरडी बर्मन का था और उन्हें युवा फिल्मों के लिए श्रेष्ठ संगीतकार माना जाता था। जब सितारा पिता अपने बेटे को प्रस्तुत करता है तब उसे खर्च की कोई चिंता नहीं होती।

धर्मेन्द्र ने अपने दूसरे पुत्र बॉबी देवल को राजकुमार संतोषी द्वारा 'बरसात' में प्रस्तुत कराया था। फिल्म की शूटिंग लगभग 200 दिन चली थी तथा पैसा पानी की तरह बहाया गया था। सितारा पुत्रों के फिल्म प्रवेश का सिलसिला राजकपूर की 'बॉबी' से शुरू हुआ था और अब तक प्रस्तुत इस तरह की फिल्मों में 'बॉबी' ही सबसे अधिक व्यवसाय करने वाली फिल्म सिद्ध हुई । अमिताभ बच्चन के पुत्र अभिषेक को करीना कपूर के साथ जेपी दत्ता ने 'रिफ्यूजी' में प्रस्तुत किया था और युवा सितारा पुत्र प्रस्तुति की श्रंृखला में यह एक मात्र असफल फिल्म थी यद्यपि पहले तीन दिन इसमें भी भारी भीड़ उमड़ी थी। यह फिल्मी सामंतवाद की एक झलक है कि युवराज प्रस्तुत हो रहे हैं। प्राय: पहली फिल्म की सफलता बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है। कुमार गौरव और बॉबी देवल की पहली फिल्में सफल थीं परन्तु बाद में वे लंबी पारी नहीं खेल पाए तथा रनवीर कपूर की पहली फिल्म 'सांवरिया' घोर असफल फिल्म थी और आज वह शिखर श्रेणी का सितारा है। परन्तु स्पष्ट है कि इसका कोई फार्मूला नहीं है और पहली सफलता महत्वपूर्ण होते हुए भी निर्णायक सिद्ध नहीं होती। हर सितारा पिता अपने युवराज को अपने ढंग की नई फिल्म के द्वारा मैदान में उतारना चाहता है परन्तु ऊपरी सतह पर उसका प्रेम-कथा होना आवश्यक मानता है। सनी देवल की 'बेताब' में एक्शन भी भरपूर था।

दरअसल धर्मेन्द्र और उनका परिवार पंजाब के अत्यंत प्रिय हैं परन्तु अब पंजाब क्षेत्र में एकल सिनेमा नहीं है और सारा व्यवसाय मल्टीप्लेक्स केंद्रित है। गोयाकि अब पंजाब गैर धर्मेन्द्रिय हो चुका है। यह बात सनी देवल जानते हैं, इसलिए अयान मुखर्जी पर भरोसा करना चाहते हैं। अयान रनवीर कपूर का अनन्य सखा है और प्रतिदिन वे बहुत सा समय साथ गुजारते हैं। इस समय वह रनवीर कपूर अभिनीत फिल्म निर्माता करण जौहर के लिए लिख रहे हैं अत: उनका कपूर से देवल तक जाना कठिन है। सिनेमा का दर्शक हमेशा युवा होता है और फिल्मकार ही बुढ़ा जाते हैं तथा फिल्म उद्योग युवा दर्शक की पसंद को अपना टेन कमांडमेंट मानते हैं।

राजनीति में युवा वोटर को अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। आज अंतरराष्ट्रीय कारपोरेट कंपनी में अनुभवी अधेड़ के बदले अनुभवहीन युवा को नौकरी दी जाती है। विज्ञापन एवं बाजार की ताकतें युवा वय को बिक्री का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हैं। सच तो यह है कि इन्हीं ताकतों ने आज की युवा वय की एक बिकनेवाली छवि गढ़ी है जबकि सच्चाई यह है कि हर काल खंड में युवा वर्ग परिश्रमी और महत्वाकांक्षी रहा है और यह भ्रम रचा गया है कि आज का युवा कुछ विशेष है। यह सच है कि टेक्नोलॉजी के उपयोग के कारण यह वर्ग स्मार्ट छवि बनाने में कामयाब है।

आज युवा रनवीर कपूर बहुत प्रतिभाशाली और मेहनती माना जाता है परन्तु क्या युवा वय में राजकपूर परिश्रमी व प्रतिभावान नहीं थे। आज राहुल गांधी जो कुछ कर रहे हैं या करन चाहते हैं उससे कहीं अधिक इस वय में राजीव गांधी ने किया था और जवाहरलाल नेहरू तो अपनी युवा अवस्था में विश्व स्तर के प्रतिभाशाली व्यक्ति रहे हैं और उनके पिता मोतीलाल अपने काल खंड के श्रेष्ठतम वकील थे। भांति-भांति के भरम बेचे जा रहे हैं।