सपना / अशोक भाटिया

Gadya Kosh से
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दोपहर को बच्चा स्कूल से लौटा, तब चिडि़या पेड़ पर आराम कर रही थी। बच्चे की माँ ने उसे दुलराया, खाना खिलाया और कहा– ‘‘बेटे, होमवर्क करो और पेपरों की तैयारी करो।’’

बच्चा पढ़ने बैठा। चिडि़या ने दाना चुगा, पानी मे किल्लोल किया। बच्चा पढ़ता रहा। उसका ध्यान अपने खिलौनों की तरफ़ लगा हुआ था।

साँझ को चिडि़या घोंसले में लौट गई। बच्चा बिस्तर पढ़ने बैठा था।

सुबह चिडि़या आकाश में चहकने लगी थी, जब बच्चा पढ़ने बैठा था। स्कूल जाने से पहले उसने कहा–‘‘माँ, जब मैं यूनिवर्सिटी की पढ़ाई पूरी कर लूँगा, उसके बाद मैं खूब खेलूँगा और कोई काम नहीं करूंगा।’’