सपने / अन्तरा करवड़े

Gadya Kosh से
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"बाबू ऽऽ! औ बाबू ऽऽ! अरे हो क्या घर में बाबू?"


"जाईये! आ गया भगत आपका। मम्मी ने बीच में ही पोथी बंद करते हुए कहा।


"अरे हरिराम भैया! बड़े दिनों के बाद दिखाई पड़ रहे हो । सब कुशल मंगल तो है?" पिताजी बड़ी आत्मीयता से मिलते है इस हरिराम माली से । ऐसे जैसे कोई पुराना बिछड़ा हुआ साथी बड़े दिनों के बाद मिल रहा हो। और हरिराम माली¸ वह तो बिछ बिछ जाता है पापा के शहद में डूबे शब्दों पर।


कहने को कॉलोनी के छह सात घरों में बगीचे की देखभाल का काम करता है बस। लेकिन चाय पानी की बैठकें बस हमारे यहाँ ही जमती है उसकी। वो भी रविवार की सुबह। गिनकर एक घण्टा।


मम्मी को थोड़ी चिढ़ है इस माली से। और हो भी क्यों ना। हफ्ते में एक दिन तो मिलता है पापा को आराम से बैठने बोलने को। उसपर सुबह का आधा घण्टा ये ही चाट जाता है। ऊपर से चाय नाश्ता। उसकी बेसिर पैर की बातें सुननी पड़ती है सो अलग।


"क्यों पाल रखा है इसे अपने यहाँ? कहने को आमने सामने के दस घरों में काम करता है लेकिन वक्त काटता है हमारे ही घर। क्या रस आता है तुम्हें इसकी बातों में भगवान जाने।" मम्मी बड़बड़ाया करती।


उस दिन तो हद ही हो गई। रविवार था और मामा के यहाँ कथा का आयोजन था। सुबह दस बजे पहुँचना था और माँ के शब्दों में अपशकुनी के जैसा हरिराम आ टपका था। उस दिन बड़ा खुश¸ हाथों में ताजे फूलों का गुच्छा चेहरे पर वैसी ही ताजी मुस्कान।


मम्मी के चेहरे पर लग गया ग्रहण और हरिराम के मुख से बतरस बरसता रहा। पूरा एक घण्टा खाकर उठा था वो। पिताजी भी खुश खुश थे उसे विदा करते हुए।


गाड़ी में मैंने पूछ ही लिया था उनसे¸ "पिताजी! ये हरिराम माली क्या कर रहा था आज? इतनी देर बैठा रहा। फालतू ही देर करवा दी हमें।" मैंने कुछ कुछ मम्मी के बिगड़े मूड़ को टटोलते हुए कहा।


"बेटा! हरिराम आज एक बहुत बड़ी जंग जीत गया है।" वे कुछ रूके। हम सभी के प्रश्नार्थक चेहरे देखकर उन्होने आगे कहना शुरू किया।


"हरिराम का बेटा आज इंजीनियरिंग की परीक्षा पास करके लौटा है । एक माली का बेटा और वो भी इंजीनियर। इसलिये आज वह बड़ा खुश था। अगले हफ्ते से अपने बेटे के पास शहर जा रहा है जहाँ उसे नौकरी लगी है। यहाँ का काम काज अब उसका छोटा भाई देखा करेगा।"


पापा साँस लेने को रूके। मुझे मेरा प्री इंजीनियरिंग टेस्ट के लिये गॅप लेना अखरने लगा था।


पापा कहने लगे¸ " अब तो खुश हो ना प्रिया! हरिराम हमारी रविवार की सुबहें खराब नहीं कर पाएगा कभी।"


मम्मी के चेहरे पर अपराधी के से भाव थे।