समझौता / गोवर्धन यादव

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एक लेखक बडे ही घाघ क़िस्म के थे, वे जलजले के नाम से विख्यात थे, उनकी क़लम आग उगलती थी, यही कारण था कि बडॆ-बडॆ नेता उससे भय खाते थे, एक दिन एक बडे नेताजी ने उसे दावत पर बुलाया और बिना भुमिका बनाए ही उन्होंने उस लेखक को एक बडी कंपनी में सीइओ बना दिया और एक नया मकान, जिसमें सभी आधुनिक सुविधाएँ मौजुद थी, सौजन्य भेंट में दे दिया, काफ़ी ना-नुकुर करने के बाद उसने भेंट स्वीकार कर ही लिया,

एक टूटी खाट पर बैठकर लिखने वाले लेखक ने नेताजी से समझौता कर लिया था।