समुद्र तट पर चांदनी रात के स्याह फैसले / जयप्रकाश चौकसे

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समुद्र तट पर चांदनी रात के स्याह फैसले
प्रकाशन तिथि : 05 दिसम्बर 2012


हमारे यहां परंपरा है कि मृत व्यक्ति के विषय में हमेशा शुभ बोलो, और परंपरा नहीं होते हुए भी हम जीवित व्यक्ति के प्रति क्रूर बने रहते हैं। कई बार मृत व्यक्ति अपनी जीवित अवस्था से ज्यादा खतरनाक हो जाता है। उसकी समाधि का निर्माण राष्ट्रीय महत्व का बना दिया जाता है। कायदे कानून और गणतंत्रीय मूल्यों से देश संचालित नहीं होता, लोकप्रिय लहरें ही सारे निर्णय करती हैं। अब अनीता आडवाणी नामक एक महिला ने कोर्ट में दावा किया है कि वह राजेश खन्ना के साथ विगत पंद्रह वर्षों से रह रही थी और जब वह तेरह वर्ष की थी अर्थात राजेश के शिखर दिनों की बात है, तब राजेश ने उसे चूमा था। उस महिला का यह दावा है कि राजेश खन्ना की मृत्यु के बाद उसे उनके बंगले 'आशीर्वाद' से खदेड़ दिया गया और हिंसा का इस्तेमाल हुआ है। इस प्रकरण के केंद्र में राजेश खन्ना की जायदाद है। कोर्ट द्वारा समझौते की बात को डिंपल खारिज कर चुकी हैं और वह मुकदमा लडऩे को कटिबद्ध हैं। उनकी सुडौल कमर में राजेश खन्ना के बंगले की चाबियां हैं और जाने पल्ले में कौन-कौन बंधा है! बहरहाल इस मुकदमे की अगली पेशी १७ दिसंबर को है और कोर्ट में सितारों की भीड़ होगी और मीडिया के लिए घंटों दोहराने का मसाला उपलब्ध होगा।

डिंपल कपाडिया के पिता प्रतिष्ठित घराने के रईस आदमी थे और उन्होंने डिंपल की मां से प्रेम विवाह किया था। कपाडिया इस संबंध से खुश नहीं थे। बहरहाल राज कपूर ने छह माह तक अभिनय एवं नृत्य प्रशिक्षण के बाद डिंपल कपाडिया और अपने पुत्र ऋषि कपूर के साथ फिल्म 'बॉबी' की शूटिंग प्रारंभ की। राज कपूर अपनी आदत के अनुरूप अपनी निर्माणाधीन फिल्म को रील-दर-रील बनते समय ही अनेक लोगों को दिखाते थे। अत: निर्माण पूरा होते-होते यह खबर फिल्म उद्योग में फैल गई कि डिंपल भव्य सितारा संभावना हैं। उन दिनों यह अफवाह भी थी कि इस किशोरवय प्रेमकथा के नायक-नायिका व्यक्तिगत जीवन में भी एक-दूसरे के करीब आ गए हैं और मनचले तो यह कहते नहीं अघाते थे कि इस दौर की नरगिस अपने राज कपूर से विवाह करेगी।

राजेश खन्ना अपनी लोकप्रियता के शिखर पर थे और उन्हें अपदस्थ करने वाली 'जंजीर' निर्माणाधीन थी तथा 'दीवार' लिखी जा रही थी। राजेश खन्ना ने अपने घर पर एक दावत रखी, जिसके मुख्य अतिथि डिंपल के पिता थे, जिनके मन में फिल्म निर्माण के सपने अंगड़ाई ले रहे थे। उस चांदनी रात को राजेश खन्ना डिंपल के साथ टहलते हुए अपने घर के सामने समुद्र तट पर गए। उसी क्षण उन्होंने डिंपल के सामने विवाह का प्रस्ताव रखा। कुछ चांदनी रात का प्रभाव, कुछ शिखर सितारे का जादू था कि डिंपल ने स्वीकार कर लिया। उन दिनों राजेश खन्ना अपनी सात वर्ष से अंतरंग मित्र अंजू महेंदू्र से दूर जा चुके थे।

बहरहाल शादी धूमधाम से हुई, दो बेटियों का जन्म भी हुआ, परंतु राजेश का सितारा-सिंहासन डोल गया। कल्पना करना भी कठिन है कि शिखर से लुढ़कता सुपरसितारा व्यक्तिगत जीवन मेें कैसे कड़वाहट से भरा होगा और उसके नैराश्य का ठीकरा संभवत: पत्नी के सिर ही फूटता होगा। दिन-रात की कलह और मानसिक त्रास की मारी डिंपल ने अपनी बेटियों के साथ घर छोड़ दिया। परदे पर रोमांस के राजा की पत्नी घर छोड़कर चली गई।

दोनों के बीच कड़वाहट बनी रही, परंतु तलाक की बात किसी ने नहीं की। डिंपल ने अपने अमीर पति से कुछ नहीं लिया और स्वयं अपने परिश्रम व पैसे से न केवल अपनी बेटियों को पाला, वरन बहन का संबल भी बनीं। फिल्मों से निष्कासित सुपरसितारा राजनीति में दिल को करार देने पहुंचा। यह सभी जानते हैं कि राजेश खन्ना अनेक मानसिक ग्रंथियों के शिकार थे। उनका अहंकार घायल सर्प के फन की तरह फुफकारता था। यह 'आराधना' के नायक और 'बॉबी' की नायिका की असफल प्रेमकथा थी। डिंपल मोमबत्तियों के निर्माण का व्यवसाय भी करती हैं। आज उन्हें किसी पूनम की रात 'आशीर्वाद' के सामने के समुद्र तट पर जाना चाहिए और वे यादों की जुगाली करते हुए महसूस कर सकती हैं कि क्या उनके पति ने अपने अकेलेपन के दौर में किसी कंधे का सहारा लिया होगा? अब 4० वर्ष पूर्व जैसी चांदनी रात भी नहीं, समुद्र किनारा भी बदल गया है, अत: वे 'आशीर्वाद' की बैठक में मोमबत्ती जलाकर विचार करें कि स्वयं उन्होंने अकेलापन कैसे काटा? दीवार पर उभरी परछाइयों से बात करें। दरअसल डिंपल से बेहतर राजेश खन्ना को कोई नहीं समझता। कुछ मामलों में दिल की अदालत शीघ्र और सही निर्णय कर लेती है।