सावन के अंधे / खलील जिब्रान / सुकेश साहनी

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(अनुवाद :सुकेश साहनी)

एक दिन एक बुद्धिमान कुत्ता बिल्लियों के झुण्ड के पास से गुज़रा। उसने देखा, बिल्लियाँ उसकी उपस्थिति से बेखबर आपस में मस्त हैं। वह उनके नज़दीक रुक गया।

झुण्ड से एक बड़ी और भारी बिल्ली उठी और साथी बिल्लियों पर निगाह डालती बोली, "बहनो, प्रार्थना करो। बार-बार पूजा करो। निःसंदेह आकाश से चूहों की वर्षा होगी।"

जब कुत्ते ने यह बात सुनी तो मन ही मन हंसा और उनसे मुँह मोड़कर जाते हुए बोला, "ओ अन्धी और मूर्ख बिल्लियो! क्या यह किताबों में नहीं लिखा और बाप-दादाओं ने नहीं बताया कि श्रद्धापूर्वक प्रार्थना करने से जब वर्षा होती है तो चूहे नहीं, हड्डियाँ बरसती हैं।"