सितारा व्यवसाय प्रबंधन / जयप्रकाश चौकसे

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सितारा व्यवसाय प्रबंधन
प्रकाशन तिथि : 03 जनवरी 2013


माधुरी दीक्षित नेने ने अपने पति और बच्चों के साथ भारत आने का फैसला किया और मुंबई में अपने साथ लाए सामान को खोलने के पहले अपने सत्ताईंस वर्ष पुराने सचिव रिक्कू राकेशनाथ की छुट्टी कर दी। राकेशनाथ यह मानकर चल रहे थे कि वे ताउम्र माधुरी के सचिव रहेंगे। इस प्रकरण में माधुरी को खलनायक की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए। उनका फैसला व्यावहारिक था। उन्होंने अमेरिका में देखा था कि अनुभवी और रसूखदार कॉर्पोरेट कंपनियां सितारों का काम देखती हैं। भारत में उन्होंने रेशमा शेट्टी से संपर्क किया और अपने व्यवसाय पक्ष की जवाबदारी उन्हें सौंपी।

ज्ञातव्य है कि कोई चार वर्ष पूर्व रेशमा शेट्टी ने सलमान खान के बिजनेस मैनेजर का पद संभाला था और साथ ही कैटरीना कैफ तथा करीना कपूर का काम भी देखना शुरू किया। इन सितारों के लिए लाभप्रद सौदे उन्होंने निर्माताओं और विज्ञापन एजेंसी से किए। रेशमा की दक्षता, व्यावहारिक कुशलता और सौदों में पारदर्शिता के कारण वे स्वयं इस कदर सितारा हो गईं कि करण जौहर ने भी अपने नए सितारों का काम उन्हें दिया, परंतु अनधिकृत रूप से रेशमा शेट्टी का फोटोग्राफ प्रेस में देने से वे बेहद खफा हुईं, क्योंकि उन्हें प्रचार पसंद नहीं है। जिन लोगों का काम बोलता है, उन्हें प्रचार की आवश्यकता नहीं होती।

बहरहाल, सितारा सचिवों की दास्तान लंबी है और अनेक सितारा सचिव बेहद असफल निर्माता भी सिद्ध हुए। स्वयं माधुरी ने रिक्कू राकेशनाथ के लिए तीन फिल्में कीं। सितारे की बॉक्स ऑफिस हैसियत से सचिव भी गौरवान्वित होता है। करीना ने करिश्मा के सचिव जाहिद को न केवल अपना काम दिया, वरन शाहिद कपूर से रोमांस के दौर में जाहिद को उनका काम भी दिलवा दिया। सचिव सितारे की समय-सारणी का प्रबंधन करता है, निर्माता से वसूली करता है, सितारे के प्रचार-तंत्र को बढ़ावा देता है। सच तो यह है कि सितारा जिन लोगों से नहीं मिलना चाहता, उसका ठीकरा सचिव के सिर फोड़ता है। सचिव वह दरवाजा है, जिससे आपको सितारे की दुनिया में प्रवेश मिलता है। प्राण साहब के सचिव बाबूभाई अत्यंत सरल व्यक्ति थे। रेखा की सचिव फरजाना का अपना आतंक रहा है। फरजाना कभी सहायक निर्देशक थीं, परंतु उनकी रेखा से ऐसी मित्रता हुई कि आज भी रेखा के लिए वह एकमात्र संपर्क हैं।

सितारे और सचिव के बीच कुछ सांकेतिक भाषा होती है और सितारे के माथे पर बल आते ही सचिव आने वाले भूकंप को समझ जाता है और अनचाहे लोगों को रवाना कर देता है। सचिव सितारे की प्रेमकथाओं का राजदार होता है, वह 'मुलाकातों' के लिए 'आवरण' तैयार करता है। सितारे के गंदे अंगवस्त्र को छुपाना उसका दायित्व होता है। कई बार सितारा अपने किसी रूठे हुए को मनाने के लिए सचिव को दोषी बनाकर खूब डांटता है। यह उनकी मिलीभगत होती है। कुमार मंगत अजय देवगन के सचिव प्रारंभ से ही हैं और वे स्वतंत्र फिल्म निर्माता भी हैं। अपने प्रारंभिक दौर में शत्रुघन सिन्हा और अमिताभ का एक ही सचिव था पवन सिन्हा, परंतु बाद में अमिताभ ने शीतल को सचिव बनाया।

आजकल सितारे के सचिव के काम और अधिकार सीमित हो गए हैं। बिजनेस मैनेजर महत्वपूर्ण है। उसका अपना चार्र्टर्ड अकाउंटेंट होता है, जो उसकी अर्जित विराट धनराशि का अन्य व्यवसायों में निवेश करने की सलाह देता है। आज सितारा एकल व्यक्ति उद्योग हो चुका है, अत: अनेक क्षेत्र के विशेषज्ञ उसके साथ होते हैं। उसका पर्सनल फिजिकल ट्रेनर, फिजियोथेरिपिस्ट होता है। आज आपको सितारे का दफ्तर कॉर्पोरेट दफ्तर की तरह लगता है।

औद्योगिक घरानों के मालिकों के भी अनेक सचिव होते हैं, परंतु निजी सचिव का काम कमोबेश वही होता है, जो सितारा सचिव का। अब सभी क्षेत्रों में सचिव वाला काम विशेषज्ञों से कराया जाता है और कॉर्पोरेट तौर-तरीके अपनाए जा रहे हैं। सफलता और लोकप्रियता से शासित युग में प्रबंधन क्षेत्र में क्रांति हो गई है। बाजार के मूल्यों ने सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है। आज हर कर्मचारी को काम दिखाने पर ही दाम और इज्जत मिलती है। राजनेताओं के अनेक सचिव होते हैं, परंतु एक निजी सचिव उनकी गोपनीयता का साझेदार होता है। राजनीतिक दलों में संकट के समय उसे दूर करने के विशेषज्ञ होते हैं। एक दौर में राजनीतिक प्रबंधन में अमर सिंह सुर्खियों में छाए रहते थे, परंतु मुलायम सिंह से अलगाव के बाद वे राजनीतिक अछूत हो गए हैं। उन्हें लगता है कि अगले चुनाव में उन्हें महत्व मिलेगा। राजनीति के क्षेत्र में आधुनिक प्रबंधन का प्रवेश अभी तक नहीं हुआ है।

दरअसल आज समाज में तेजी से परिवर्तन हो रहे हैं और युा वर्ग की संख्या भारत में अन्य देशों से अधिक है। टेक्नोलॉजी ने युवा वर्ग के लिए जानकारियों और संवाद के अनेक माध्यम उपस्थित कर दिए हैं और इस वर्ग का किसी राजनीतिक दल से भावनात्मक तादात्म्य जोडऩे का कार्य विशेषज्ञों का दल ही कर सकता है। वह जमाना लद गया, जब एक धवन या एक प्रमोद महाजन चुनाव नियंत्रण कर लें। चुनाव लडऩे के तमाम पुराने हथकंडे अब काल-कवलित हो चुके हैं और राजनीतिक दलों को गैर-राजनीतिक विशेषज्ञों की सेवा लेनी चाहिए। वह जमाना चला गया, जब कैश, शराब या अन्य प्रलोभन देकर वोटर को हांका जाता था। आज मतदाता चाहता है कि उसे विश्वास दिलाया जाए कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के साथ समानता का निर्वाह होगा। सड़ांध देने वाली मशीनरी का त्याग करने का समय है। युवा वर्ग पुरानी विचारशैली, दकियानूसी तौर-तरीकों को छोड़कर आधुनिकता का आग्रह करता है। देश में सभी प्रकार के पूर्वनिर्धारित सोच में परिवर्तन का समय आ गया है। खुर्राट नेताओं के बस की बात नहीं रही इस देश की व्यवस्था को चलाना।