सितारों का पूंजी निवेश / जयप्रकाश चौकसे

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सितारों का पूंजी निवेश
प्रकाशन तिथि : 11 अक्तूबर 2013


फिल्म सितारों के पास अपार धन आ रहा है और वे अपने कमाए रुपयों को कुकर में पानी के साथ मिलाकर सूप बनाकर पिएं तो भी खत्म नहीं होगा। फिल्म तथा विज्ञापन फिल्मों के अतिरिक्त गरबा में जाने के लिए भी उन्हें धन मिलता है। विदेशों में बसे गुजराती भव्य पैमाने पर नवरात्रि उत्सव मनाते हैं और भारत से गरबा विशेषज्ञों के साथ सितारों को भी मुंहमांगे दाम देकर बुलाते हैं। सफल सितारों का पूंजी निवेश उनके स्वभाव का भी परिचायक है, मसलन अक्षय कुमार और कैटरीना कैफ को जमीन, जायदाद में पूंजी निवेश का शौक है। करीना कपूर हीरे खरीदने में रुचि रखती हैं और काजोल को शेयर मार्केट की जानकारी है। अमिताभ बच्चन भी जमीन तथा शेयर में धन लगाते हैं। अनेक उद्योगपति स्वयं अमिताभ बच्चन को सलाह देते हैं। सलमान खान अपनी कमाई का बड़ा भाग अपने ट्रस्ट को देते हैं, ताकि गरीबों के इलाज पर पैसा खर्च किया जाए। यहां तक कि मुंबई के एक मुख्य मार्ग पर खरीदी जमीन पर वे बहुमंजिला बनाने जा रहे हैं, जिसकी तल मंजिल से प्राप्त आय ट्रस्ट को मिलेगी। सलीम खान का विश्वास केवल जमीन में पूंजी निवेश का है। धर्मेंद्र ने जब अपने लिए बंगला खरीदा, तब उन्हें फुट और गज का अनुमान नहीं था तथा पूछे जाने पर कहते थे कि बंगले में पचास-साठ मंजियां(बिस्तर) लग सकते हैं। पुराने जमाने के कलाकारों में केवल राजेंद्र कुमार को पूंजी निवेश की गहरी समझ थी और उन्होंने अनेक धंधों में धन लगाया था। जितेंद्र भी पूंजी निवेश के तौर-तरीके जानते हैं। पुराने जमाने में सितारों को लगता था कि कामयाबी का दौर स्थायी है, इसलिए उन्होंने निवेश नहीं किया और बहुत बुरे दिन देखे। भारत भूषण जैसे सफल व्यक्ति को अपनी बहुमूल्य लाइब्रेरी भी बेचनी पड़ी थी। भगवान दादा ने 'अलबेला', 'झमेला' इत्यादि सफल फिल्में बनाई थीं, परंतु अपनी फिजूलखर्ची के कारण वे बचत नहीं कर पाए और बुढ़ापे में उन्हें झोपड़-पट्टी में रहना पड़ा। कथा फिल्म के जनक दादा फाल्के ने पांच घंटे लंबा एक नाटक बनाने पर बहुत खर्च किया और असफल होने पर बहुत दुख देखे। राज कपूर ने अपनी सारी कमाई स्टूडियो और उपकरण पर खर्च की तथा पुणे के निकट सौ एकड़ के फार्म को भी आउटडोर शूटिंग के योग्य बनाया तथा खेती-बाड़ी नहीं की। उन्होंने तो उम्र का लंबा भाग किराए के मकान में रहकर गुजारा और पत्नी की जिद पर 1982 में बंगला बनाया। गुरुदत्त का पनवेल में फार्महाउस था और खंडाला में खेत भी था, जिसमें उदास होने पर वे बीज होने में सुकून पाते थे। आजकल सफल सितारे विशेषज्ञों की सलाह लेकर पूंजी निवेश करते हैं। इस मामले में शाहरुख खान अत्यंत प्रवीण रहे हैं। आमिर खान के पास भी पनवेल के निकट जमीन है। सभी सफल सितारे विशेषज्ञों के साथ बहुत वक्त गुजारते हैं और सूझ-बूझ के साथ पूंजी निवेश करते हैं। वे एकल व्यक्ति उद्योग की तरह हैं। सभी सितारे आजकल अपनी अभिनीत फिल्मों में हिस्सेदारी लेते हैं। यह कितने आश्चर्य की बात है कि सितारे अपने उद्योग में धन नहीं लगाते। अगर सारे सफल सितारों ने कुछ छोटे शहरों और कस्बों में सिनेमाघरों की शृंखला रची होती तो पूरे फिल्म उद्योग की आय बढ़ जाती और कालांतर में यह अच्छा पूंजी निवेश सिद्ध होता। ज्ञातव्य है कि सोहराब मोदी तो टूरिंग टॉकीज चलाकर धन कमाकर फिल्म निर्माण में आए थे और उन्होंने मिनर्वा नामक सिनेमाघर बनाया था, जो आज भी उनके वंशजों को दाल-रोटी देता है।

अनेक सितारों ने विदेशों में भी बंगले खरीदे हैं और पूंजी निवेश किया है। यह आश्चर्य की बात है कि अपने ही उद्योग को विकसित करने का प्रयास नहीं किया। इतना ही नहीं, उन्होंने अपनी बिरादरी के तकनीशियनों और जूनियर कलाकारों को बेहतर जीवन देने का भी प्रयास नहीं किया। दरअसल, सितारे ही क्या उद्योगपति भी यह नहीं सोचते कि उनके वंशजों का भविष्य एक सुदृढ़ देश में ही संभव है और असली पूंजी निवेश बेहतर समाज और देश रचना ही है।