सिसकी / कविता भट्ट

Gadya Kosh से
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अथाह पीड़ा से कराहती शान्ति को स्ट्रेचर पर खींचते हुए हॉस्पिटल के लचर व्यवस्था वाले लेबर रूम से वार्ड में शिफ्ट किया गया।

शान्ति के सामने वाले बेड से कमला पास ही बैठी अपनी सास से बोली, "लगता है गर्भपात हुआ है बेचारी का।"

सास कमला को घूरते हुए फुसफुसाई- "तो तूने कौन सा गुल खिलाया है महारानी? यह भूसे का डला? वह भी पाँचवीं बार, अब तक एक पोते को तरस गई?"

पास ही पालने में एक सुंदर- सी नवजात बच्ची रो रही थी। कमला ने उतरे हुए चेहरे से उसकी ओर देखा। पास ही बैठा कमला का पति ,जिसने बच्ची को अभी तक भी गोदी में नहीं लिया था ; बच्ची के फोटो क्लिक करके फेसबुक पर अपलोड कर रहा था; वॉल पर लिख रहा था; 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ।' फेसबुक पर फ़ोटो पोस्ट करके वह उठकर बाहर चला गया।

कमला ने शान्ति से उदास स्वर में पूछा, "क्या हुआ आपको, बच्चे कितने हैं आपके?" शान्ति ने कराहते हुए कहा,"छठी बार मेरा गर्भपात हुआ है, शादी के पंद्रह साल बाद भी मैं माँ नहीं बन सकी!" यह कहकर उसने पालने में लेटी बच्ची को तरसती हुई नज़रों से देखा और सिसक -सिसककर रोने लगी। काश उसके ऐसी बच्ची होती !!

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