सीधा संघर्ष─तुम या हम / कांग्रेस-तब और अब / सहजानन्द सरस्वती

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हम तो पूर्ण स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते रहे हैं जिसमें अंग्रेजों के विरुध्द हमारा नारा रहा है कि तुम रहो या हम-दोनों रह नहीं सकते। वह युध्द अभी जारी ही है। उसका एक पर्व पूरा हुआ है , दूसरा शेष ही है। पूर्ण स्वतंत्रता अभी तक फाँसी पर लटकी ही है। कांग्रेसी नेताओं ने समझौता करके डोमिनिया राज्य से ही संतोष कर लिया , चाहे शब्दाडंबर कुछ भी रखें। फलत: हमें पूर्ण स्वराज्य लेना है और वही किसान-मजदूर राज्य भी होगा। इसीलिए हमें तो इन नेताओं के विरुध्द वही नारा जारी रखना है कि तुम रहो या हम रहें , दोनों रह नहीं सकते। मुखर्जी , चेट्टी , मथाई , सिंह , भाभा , अंबेडकर जैसे लोग , जो सदा कांग्रेस के विरोधी रहे हैं , जब कांग्रेसी मंत्रिमंडल में लिए जाते हैं , सो भी अर्थमंत्री , व्यापार मंत्री , कानून मंत्री , युध्द मंत्री , के पदों पर , तब साफ हो जाता है कि नेहरू कितने गहरे पानी में हैं और उनका किसान-मजदूर राज्य किस धोखे की टट्टी है। भारत को टूक-टूक किया। अब काश्मीर के भी दो टूक करने की तैयारी है। बजट में जो कुछ किया जाता है वह थैलीशाहों के ही लिए। भाषणों में उन्हीं से आरजू-मिन्नत की जाती है , उद्योग-धंधों का राष्ट्रीयकरण न करने के वादे किए जाते हैं। फिर भी किसान-मजदूर राज्य वही लोग लाएँगे ? कभी नहीं। उन्हें तो हटाना होगा। सो भी जल्द। तभी खैरियत होगी।