सुभाष नीरव / परिचय

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सुभाष नीरव काव्य एवं कथा साहित्य में समान रूप से लेखन। बाल साहित्य में भी दख़ल। एक ब्लागर के रूप में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति। देश की अधिकांश प्रमुख पत्र-पत्रिकाओं, संकलनों, वेब पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। आकाशवाणी से प्रसारित। अनेकों रचनाएँ पंजाबी, बांग्ला, मलयालम एवं तेलगू भाषा में अनूदित। ‘दैत्य तथा अन्य कहानियाँ’, ‘औरत होने का गुनाह’ और ‘आखिरी पड़ाव का दुःख’ (कहानी संग्रह); ‘सफ़र में आदमी’ (लघुकथा संग्रह), ‘यत्किंचित’ व ‘रोशनी की लकीर‘ (कविता संग्रह), तथा ‘मेहनत की रोटी’ (बाल कहानी-संग्रह) नीरव जी की प्रमुख मौलिक प्रकाशित कतियां हैं। हिन्दी-पंजाबी अनुवाद में महत्वपूर्ण कार्य किया है तथा आपकी कई महत्वपूर्ण अनूदित कृतियों का प्रकाशन हुआ है। इन्टरनेट पर सेतु साहित्य, कथा पंजाब, वाटिका, गवाक्ष, सृजन यात्रा आदि कई महत्वपूर्ण ब्लाग्स का प्रकाशन-संचालन कर रहे हैं। अनियतकालीन पत्रिका ‘प्रयास’ का वर्ष 1982 से 1990 तक संपादन किया।

जन्म

२७–१२–१९५३, मुरादनगर (उत्तर प्रदेश) शिक्षा: स्नातक, मेरठ विश्वविद्यालय

प्रतिभा संपन्न कथाकार

सुभाष नीरव नौवें दशक के प्रतिभा संपन्न लघुकथाकार हैं। रूपसिंह चंदेल व हीरालाल नागर के साथ उनकी लघुकथाओं का एक संकलन ‘कथाबिंदु’ सन् 1997 में आ चुका है। लेखन, अनुवाद, आलोचना व संपादन आदि लघुकथा की बहुआयामी सेवा के मद्देनजर लघुकथा के लिए पूर्णतः समर्पित पंजाब की साहित्यिक संस्था ‘मिन्नी’ द्वारा सन् 1992 में उन्हें प्रतिष्ठित ‘माता शरबती देवी पुरस्कार’ से सम्मानित किया जा चुका है। उनकी लघुकथाओं को पढ़कर निःसंकोच कहा जा सकता है कि अपने समकालीनों की तुलना में भले ही उन्होंने कम और कभी-कभार लेखन किया है लेकिन जितना भी किया है वह अनेक दृष्टि से उल्लेखनीय है। सबसे बड़ी बात यह है कि लघुकथा के प्रति समर्पित भाव उनमें लगातार बना रहा है। उनके इस जुड़ाव के कारण ही पंजाबी का लघुकथा-संसार हिन्दी क्षेत्र के संपर्क में बहुलता से आना प्रारम्भ हुआ जिसे सौभाग्य से श्याम सुन्दर अग्रवाल सरीखे अन्य अनुवादकों का भी संबल हाथों-हाथ मिला। सुभाष की लघुकथाएं लघुकथा-लेखन के अनेक आयाम प्रस्तुत करती हैं और हिन्दी लघुकथा-साहित्य की सकारात्मक धारा को पुष्टि प्रदान करती हैं।

अनुवाद (पंजाबी से हिंदी में)

लगभग १२ पुस्तकों का पंजाबी से हिंदी में अनुवाद, जिनमें 'काला दौर, “कथा-पंजाब – २', कुलवंत सिंह विर्क की चुनिंदा पंजाबी कहानियाँ', 'पंजाबी की चर्चित लघुकथाएँ', 'तुम नहीं समझ सकते'(जिन्दर का कहानी संग्रह), 'छांग्या रुक्ख'(बलबीर माधोपुरी की दलित आत्मकथा) और 'रेत' (हरजीत अटवाल का उपन्यास) प्रमुख हैं। अनियतकालीन पत्रिका 'प्रयास' और मासिक 'मचान' का संपादन, इसके अतिरिक्त उनके पाँच नियमित चिट्ठे हैं- सेतु साहित्य, वाटिका, साहित्य सृजन, गवाक्ष और सृजन–यात्रा


प्रकाशित कृतियाँ-

'यत्कचित', 'रोशनी की लकीर' (कविता संग्रह) 'दैत्य तथा अन्य कहानियाँ', 'औरत होने का गुनाह' 'आखिरी पड़ाव का दु:ख' (कहानी-संग्रह) 'कथाबिंदु' (लघुकथा–संग्रह), 'मेहनत की रोटी' (बाल कहानी-संग्रह)


पुरस्कार/सम्मान:

हिन्दी में लघुकथा लेखन के साथ-साथ पंजाबी-हिन्दी लघुकथाओं के श्रेष्ठ अनुवाद के लिए 'माता शरबती देवी स्मृति पुरस्कार, १९९२' तथा 'मंच पुरस्कार, २०००’ से सम्मानित।


सम्प्रति

भारत सरकार के पोत परिवहन मंत्रालय में अनुभाग अधिकारी (प्रशासन)।

ई मेल: subhashneerav@gmail.com subhneerav@gmail.com

संकलन -अशोक कुमार शुक्ला