सुरग नरक / संजय पुरोहित

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" दादोसा मरियां पछै कांई हुवै ?" डोकरै री कामळ लेर साळ में घुसतो नान्हो पोतो पूछ्यो।

" बेटा, मरियां पछै आपरै करमां सारू सुरग-नरक जाणो पड़ै" दादो समझायो।

"दादोसा, थे तो सुरग में ही जासो नरक में तो जा ही नीं सको।" पोतो फ़ेरूं बोल्यो।

"कींकर ?" डोकरो राजी राजी पोतै नै बुचकारतो बोल्यो।

"दिनुगै म्हारी मम्मी कैंवती कै ओ डोकरो चौबीस घन्टा मन्नै तळै। भगवान करै इंनै नरक मेम ही जाग्यां नीं मिळै।" पोतै री बात सुण’र डोकरो कामळ ओढ’र अर मूंडो सी’र आडो हुग्यो।