सुविधा / कविता वर्मा

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बेटा तुम्हारी माँ की तबियत ठीक नहीं है तुम्हे देखना चाहती है. पिता ने फोन पर बेटे से गुजारिश सी की।

हाँ पापा, मुझे भी माँ को देखने आना है अगले हफ्ते दो छुट्टी हैं उसमे आने की सोच रहा था लेकिन रिजर्वेशन नहीं मिल रहा है। बेटे ने अपनी मजबूरी बताई। वैसे मैं कोशिश कर रहा हूँ अगले महीने फिर दो छुट्टी एक साथ आ रही हैं अभी से रिजर्वेशन देख कर रखता हूँ अगर कोई इम्पोर्टेन्ट मीटिंग नहीं रही तो अगले महीने आता हूँ। आप माँ का ख्याल रखिये।

ठीक है बेटा, पिता कुछ कहते कहते इतना ही कह पाए।

अगला महिना आने से पहले ही माँ चल बसीं। बेटे को सूचना दी गयी। बेटे ने ताबड़तोड़ प्लेन का टिकिट बुक करवाया और वर्किंग डे में ही अंतिम संस्कार से पहले माँ के दर्शन करने पहुँच गया।