सूनी साळ / रामस्वरूप किसान

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फेरा हुग्या। लिछमा घनश्याम रो आधो अंग बणगी। नुंवो-नुंवो जोड़ो टाटा सूमो में बैठ बहीर हुग्यो, पण कांकड़ टिपतां ई जोड़ो बिछडऩो सरू होग्यो। घनश्याम होळै-होळै किस्त दर किस्त टाटा सूमो सूं बारै निकळ'र अेक बीजी घटना सूं जुडऩो सरू हुग्यो-

'जद म्हनै ठा लाग्यो कै बा पराई हुगी, म्हैं उणनै दिल सूं काढ'र बगा दी। मानूं बा हीर ही पण म्हैं रांझो नीं हिटलर हो। बा तो उण री गळती ही, म्हनै पिछाण को सकी नीं। अर म्हारै लारै लट्टू हुगी। म्हैं तो चडूड़़ी कैवूं। आपणो तो लव-लाव में कदे सूं ई बिसवास कोनी। म्हैं तो इत्तो ई जाणूं कै चूसो अर फैंको। अर म्हारी दीठ में तो आखी मरद जात ई इसी ई है। दुनिया किसी आप जिसी। म्हैं तो सगळां नै म्हारै सूं ई मींडूं। पण लुगाई जात कीं न्यारी है। बा अेक रो हेज पकड़ै। ईं वास्तै ई स्याणा लोग ब्याव सूं पैलां भैण-बेटियां नै बांध'र राखै। बांनै ठा है कै किणी मक्कू रो हेज पकडग़ी तो मोट्यार उबासी मारियो भावूं ।'

ईं रै साथै ई उण नै अेक ठाडी-सी उबासी आयगी। उण दोनूं हथेळियां सूं आंख्यां मसळी अर पाछो ई सागी ठोड़ जुड़ग्यो।

'...जदी तो सासरै जांवती छोरी इत्ती रोवै। कदे बाप रै खांदै लाग सुबकै तो कदे मां री छाती भेवै। कदे साथणां रै बांथ घाल बिलखै तो कदे भाई री पीठ पर आंसू गेरै। अरै! .....कित्ती छळगारी है आ लुगाई जात। कठै सूं सीखी है आ, घरावाळां री ओट में बीजै मक्कू खातर रोवणो। ईं रै रोवणै पर तो सक नीं कर सकां। आंसू तो साचला है। अैन हीयै सूं निकळ्यो पाणी। पण सक तो अठै हुवै कै इण पाणी में पीड़ किण री है। पीड़ रा अै पातर जकां रै गळै लाग-लाग आ रोवै, साव कूड़ा है। इण पीड़ रो साचलो पातर तो कोई और ई है। बल्ले-बल्ले रै लुगाई जात।'

ईं रै साथै ई उण बगल में बैठी लिछमा कानी घूर्यो। घूंघटै मांकर दो नैण चिलकता दीख्या। जका उणरी आंख्यां रो आंच नीं सैय सक्या। अर झुकग्या। उण थोड़ो सो'क मसकोड़ो मार'र बरीबानो साम्यो। टाटासूमो आप री रफ्तार सूं चालै ही। उण में सवार सगळा जणा बतळावै हा। पण बो तो मून। जाबक मून। अर उण रो जुड़ाव पाछो बठै ई हुग्यो।

'...म्हैं तो उण नै दिल सूं काढ'र फैंक दी ही पण उण? याद है म्हारै बा रात! हां बा रात। उणरी फेरां-रात। बा बरीबानै में सज्योड़ी आप रै बीन साथै चंवरी चढी ही। उण रो बीन भोत फूटरो हो। भोत ई फूटरो। म्हैं तो बीं आगै कीं कोनी। पण के काम लागै। बा तो म्हारै पर मरै ही। म्हारी दीवानी ही बा। म्हैं दीवानो नीं हो तो बा और बात है। आंगणो माणस-लुगाइयां सूं भर्यो पड़्यो हो। फेरा चालू हा। पंडत मंतर उचारै हो। लुगाइयां गीत गावै ही, ...अब लाडेली रो चोथो अे फेरो, लाडो होई पराई जे। चौथो फेरो आधींटै आयो ही हो। बा पराई होवण नै चाली ही। किण सूं? घरवाळां सूं? घरवाळां री उण के खांड खाई ही। तो? म्हारै सूं? हां, म्हारै सूं पराई होवण नै चाली ही बा आज। म्हैं आंगणै री कूंट में खड़्यो उण नै पराई होंवती देखै हो। म्हैं देखै हो बां प्याला-सी आंख्यां नै जकी म्हनै टोवण सारू अधीर ही। म्हैं देख्यो बां आंख्यां में म्हारै बिछोह री पीड़ ही। म्हनै बिसवास होग्यो बा वास्तव में ई म्हारै सारू पराई होई है। इण परायैपण री टीस उण री आंख्यां में म्हनै साव दीखी। पण अचंभो ओ कै म्हारो हीयो कोनी पिघळ्यो। छेकड़ आखै आंगणै री तलासी लेंवता उण रा सुधबायरा नैण म्हारी आंख्यां पर आ ई टिक्या। म्हैं देख्यो, उण आप रो निचलो होठ काट लियो अर मोती सरीखा दो आंसू ढळ'र उणरी कांचळी में रळग्या। म्हैं घणी देर कोनी थम सक्यो अर घरां आयग्यो। घरांऽ।...हां घरांऽऽ'

आं सबदां साथै उण लांबो सांस मार्यो। लिछमा रै काळजै चुबक दणी-सी होई। उण बीं रै कानी जोयो। सायबो मूं फोर'र टाटा सूमो सूं बारै झांकण लागग्यो। लिछमा उदास होगी। अर आ उदासी उण रै रूं-रूं में व्यापण लागी। सोच्यो, के सभाव रो आदमी है? हांसै न को बोलै। बोलबालो बैठ्यो है। बोलणो तो दूर, सिसकारा न्यारा मारै सदमै रै मरीज ज्यूं। देखो, बरत्यां ईं बेरो पड़सी। कदे म्हारै पर तो निराज नीं है? पण म्हारै पर निराजगी रो कारण? अजे ताईं तो घरां ई कोनी पूगी। फगत फेरा ई खाया है। कदे फेरां में कोई चूक? ना-ना भोत सावचेती सूं लिया हा फेरा। हथळेवै आळी बगत आं ई थोड़ी-सी'क आंगळी पींची ही। म्हारो हाथ तो मर्योड़ै ज्यूं रैयो। देखो, के हुवै? भावी ई बतासी। बा उदासी रै दिराव में डूबती ई जावै ही। उणरो चांद-सो मूं गैईजणो सरू हुग्यो। दूजी कानी बो भळै उणी सांकळ सूं बंधग्यो।

'...हां घरां आयग्यो। जको इण बगत सूनो हो। मां फेरा देखण गयोड़ी ही अर फेरा हुग्या। लिछमा घनश्याम रो आधो अंग बणगी। नुंवो-नुंवो जोड़ो टाटा सूमो में बैठ बहीर हुग्यो, पण कांकड़ टिपतां ई जोड़ो बिछडऩो सरू होग्यो। घनश्याम होळै-होळै किस्त दर किस्त टाटा सूमो सूं बारै निकळ'र अेक बीजी घटना सूं जुडऩो सरू हुग्यो-

'जद म्हनै ठा लाग्यो कै बा पराई हुगी, म्हैं उणनै दिल सूं काढ'र बगा दी। मानूं बा हीर ही पण म्हैं रांझो नीं हिटलर हो। बा तो उण री गळती ही, म्हनै पिछाण को सकी नीं। अर म्हारै लारै लट्टू हुगी। म्हैं तो चडूड़़ी कैवूं। आपणो तो लव-लाव में कदे सूं ई बिसवास कोनी। म्हैं तो इत्तो ई जाणूं कै चूसो अर फैंको। अर म्हारी दीठ में तो आखी मरद जात ई इसी ई है। दुनिया किसी आप जिसी। म्हैं तो सगळां नै म्हारै सूं ई मींडूं। पण लुगाई जात कीं न्यारी है। बा अेक रो हेज पकड़ै। ईं वास्तै ई स्याणा लोग ब्याव सूं पैलां भैण-बेटियां नै बांध'र राखै। बांनै ठा है कै किणी मक्कू रो हेज पकडग़ी तो मोट्यार उबासी मारियो भावूं ।'

ईं रै साथै ई उण नै अेक ठाडी-सी उबासी आयगी। उण दोनूं हथेळियां सूं आंख्यां मसळी अर पाछो ई सागी ठोड़ जुड़ग्यो।

'...जदी तो सासरै जांवती छोरी इत्ती रोवै। कदे बाप रै खांदै लाग सुबकै तो कदे मां री छाती भेवै। कदे साथणां रै बांथ घाल बिलखै तो कदे भाई री पीठ पर आंसू गेरै। अरै! .....कित्ती छळगारी है आ लुगाई जात। कठै सूं सीखी है आ, घरावाळां री ओट में बीजै मक्कू खातर रोवणो। ईं रै रोवणै पर तो सक नीं कर सकां। आंसू तो साचला है। अैन हीयै सूं निकळ्यो पाणी। पण सक तो अठै हुवै कै इण पाणी में पीड़ किण री है। पीड़ रा अै पातर जकां रै गळै लाग-लाग आ रोवै, साव कूड़ा है। इण पीड़ रो साचलो पातर तो कोई और ई है। बल्ले-बल्ले रै लुगाई जात।'

ईं रै साथै ई उण बगल में बैठी लिछमा कानी घूर्यो। घूंघटै मांकर दो नैण चिलकता दीख्या। जका उणरी आंख्यां रो आंच नीं सैय सक्या। अर झुकग्या। उण थोड़ो सो'क मसकोड़ो मार'र बरीबानो साम्यो। टाटासूमो आप री रफ्तार सूं चालै ही। उण में सवार सगळा जणा बतळावै हा। पण बो तो मून। जाबक मून। अर उण रो जुड़ाव पाछो बठै ई हुग्यो।

'...म्हैं तो उण नै दिल सूं काढ'र फैंक दी ही पण उण? याद है म्हारै बा रात! हां बा रात। उणरी फेरां-रात। बा बरीबानै में सज्योड़ी आप रै बीन साथै चंवरी चढी ही। उण रो बीन भोत फूटरो हो। भोत ई फूटरो। म्हैं तो बीं आगै कीं कोनी। पण के काम लागै। बा तो म्हारै पर मरै ही। म्हारी दीवानी ही बा। म्हैं दीवानो नीं हो तो बा और बात है। आंगणो माणस-लुगाइयां सूं भर्यो पड़्यो हो। फेरा चालू हा। पंडत मंतर उचारै हो। लुगाइयां गीत गावै ही, ...अब लाडेली रो चोथो अे फेरो, लाडो होई पराई जे। चौथो फेरो आधींटै आयो ही हो। बा पराई होवण नै चाली ही। किण सूं? घरवाळां सूं? घरवाळां री उण के खांड खाई ही। तो? म्हारै सूं? हां, म्हारै सूं पराई होवण नै चाली ही बा आज। म्हैं आंगणै री कूंट में खड़्यो उण नै पराई होंवती देखै हो। म्हैं देखै हो बां प्याला-सी आंख्यां नै जकी म्हनै टोवण सारू अधीर ही। म्हैं देख्यो बां आंख्यां में म्हारै बिछोह री पीड़ ही। म्हनै बिसवास होग्यो बा वास्तव में ई म्हारै सारू पराई होई है। इण परायैपण री टीस उण री आंख्यां में म्हनै साव दीखी। पण अचंभो ओ कै म्हारो हीयो कोनी पिघळ्यो। छेकड़ आखै आंगणै री तलासी लेंवता उण रा सुधबायरा नैण म्हारी आंख्यां पर आ ई टिक्या। म्हैं देख्यो, उण आप रो निचलो होठ काट लियो अर मोती सरीखा दो आंसू ढळ'र उणरी कांचळी में रळग्या। म्हैं घणी देर कोनी थम सक्यो अर घरां आयग्यो। घरांऽ।...हां घरांऽऽ'

आं सबदां साथै उण लांबो सांस मार्यो। लिछमा रै काळजै चुबक दणी-सी होई। उण बीं रै कानी जोयो। सायबो मूं फोर'र टाटा सूमो सूं बारै झांकण लागग्यो। लिछमा उदास होगी। अर आ उदासी उण रै रूं-रूं में व्यापण लागी। सोच्यो, के सभाव रो आदमी है? हांसै न को बोलै। बोलबालो बैठ्यो है। बोलणो तो दूर, सिसकारा न्यारा मारै सदमै रै मरीज ज्यूं। देखो, बरत्यां ईं बेरो पड़सी। कदे म्हारै पर तो निराज नीं है? पण म्हारै पर निराजगी रो कारण? अजे ताईं तो घरां ई कोनी पूगी। फगत फेरा ई खाया है। कदे फेरां में कोई चूक? ना-ना भोत सावचेती सूं लिया हा फेरा। हथळेवै आळी बगत आं ई थोड़ी-सीÓक आंगळी पींची ही। म्हारो हाथ तो मर्योड़ै ज्यूं रैयो। देखो, के हुवै? भावी ई बतासी। बा उदासी रै दिराव में डूबती ई जावै ही। उणरो चांद-सो मूं गैईजणो सरू हुग्यो। दूजी कानी बो भळै उणी सांकळ सूं बंधग्यो। '...हां घरां आयग्यो। जको इण बगत सूनो हो। मां फेरा देखण गयोड़ी ही अर बापू बरात री सेवा पर हा। म्हारी दोनू भैणां ई मां रै साथै गयोड़ी ही। म्हैं कमरै में आडो हुयो ई हो कै फोन री घंटी बाजी। म्हारै काळजै में गदीड़-सो लाग्यो। चोगो उठा'र कान रै चेप्यो तो जकी रो डर हो, बा ई निकळी। म्हारै हैलो कैवण रै साथै ई दूजी कानी सूं कोयल-सी कूकी। इण टेम आ कूक म्हनै कागलै री बोली सूं ई भैड़ी लागी। बा रोंवती बोली,'म्हैं फेरा ले लिया। चंवरी सूं उतर'र सीधी फोन पर आई हूं। अजे गाबा ई नीं बदळ्या। बरीबानै में हूं। थनै ठा है म्हैं पराई हुगी। दिनुग्यै थनै रोंवतो छोड'र चली जा स्यूं। म्हैं हाथ जोडूं । थूं आ। बेगो आ। आपां मिलां। आज छेकड़ली रात है। धाप'र मिलां।

म्हैं बरीबानै में भोत फूटरी लागूं। हां भोत ई...' म्हैं पडूत्तर में साफ नटग्यो। बा रोंवती रैई। म्हैं नटतो रैयो। सोच्यो, रोजीना कढी रो के खाणो। म्हैं फोन छोड़ दियो। घंटी भळै आयगी। चक्यो तो बुसबुसियां साथै उणी आवाज में बोल फूट्या, म्हारै हिवडै़ रा हार! अेकर... अर म्हैं फोन भळै छोड़ दियो। पछै घंटी रै भैय सूं म्हैं फोन नै होल्ड राख दियो। म्हैं सोवण रो जतन कर्यो। पण नींद कठै। म्हनै लाग्यो घंटी फेरूं बाजै। लेधे बाजै। पण फोन में नीं म्हारै काळजै में।'

उण काळजै पर हाथ मेल'र लांबो सांस खींच्यो।

'के बात है, ईंयां अणमणो-सो किंयां बैठ्यो है, घनस्याम! कोई गड़बड़ है के?'

लारली सीट पर बैठ्यै उण रै भणेई खांदो मचकांवतै बूझ्यो।

'नाऽ... अेकदम कोकै बरगो हूं। ईंयां ई बै'म हुग्यो थानै।'

बो अेक ई झटकै में चै'रै रा सगळा भाव पीग्यो अर किरडै़ री भांत रंग बदळतो बोल्यो,

'अेक सिगरेट लगा'र द्यो नीं।'

भणेई सिगरेट लगा'र उण री आंगळ्यां में दाब दी। लिछमा गाबा बळणै रै डर सूं भेळी-भेळी होई। घनस्याम अेकर तो लिछमा कानी काणै कोइयै देख्यो अर पछै कान भींच'र इसी घूंट मारी कै पूरी टाटा सूमो धुंवै सूं भरगी। लिछमा रो दम घुटण लाग्यो तो फीकी दीठ सूं उण आप रै भाई कानी देख्यो जको उण रै सा'रै ई बैठ्यो हो। बो भैण री अबखाई समझतै थकां भणेई कानी देख'र बोल्यो, 'बारी रो सीसो ऊंचाल्यो घनस्याम जी।'

घनस्याम थोड़ो-सो मुळक'र सीसो ऊंचा दियो। लिछमा रै स्यांत-सी आयगी। क्यूंकै धुंवै नै बारै निकळण रो गेलो थ्याग्यो। दूजी कानी घनस्याम ई धुंवै रै मिस गाडी सूं थोड़ो-थोड़ो बारै निकळण लाग्यो। '...हां तो घंटी काळजै में बाजै ही। पण काळजै में घंटी रो मतलब ओ नीं हो कै म्हनै उण सू प्यार हो। म्हैं हिटलरी मर्द। प्यार-प्यूर में बिसवास ई नीं राखूं। म्हनै तो उण पर रीस आवै ही। ... रांड क्यूं लारो पकड़ राख्यो है म्हारो। के चावै म्हारै सूं इब? हीरै बरगो बीन मिलग्यो। हांस'र क्यूं नीं चढज्यै उण रै साथै। बापड़ो बो तो उण कानी देखै अर बा म्हारै कानी दीदा फाड़ै। म्हनै तो भौत ई सरम आई...। सोच्यो, बीन नै ठा पड़ग्यो तो के सोचसी म्हारै बावत। आ ई नीं कै मादर... बडो गईवाळ है नीं। जदी तो म्हैं होळै-सी'क बठै सूं सरकग्यो। पण लारो कद छौडै ही। फोन पर आ बैठी। बा तो सधगी। नीं तो फोन करती नै कोई देखल्यै तो? लेणा रा देणा पड़ज्यै। मोरण काढद्यै लोग म्हारो। बच्ची लव री! अर पछै दिनगै? विदाई आळी टेम? म्हैं बठै ई हो उण बगत। मां-बाप अर भाई-भाभियां रै मांकर बा कोई रोई है... ओ-हो-हो, दिराव ई बणगी आंसुवां रो। बीन तो बापड़ो सुधी गा तरियां भापणां मांकर देखै। के जाणै बापड़ो बीन। बो तो सोचै, बाबल री पोळ छोडती बेळा पेट बळतो हुसी बापड़ी रो। दूजी कानी गीतेरण ई गावै- ओ घर छोड्यो जामी तेरो, म्हैं छोडी तेरी देहळी जे।' बांनै के ठा बापडिय़ां नै कै आ आंसुवां री बिरखा तो किणी बीजै रै बिजोग री ऊमस सूं ऊमटी है, न कै थांरै गीतां री पीड़ सूं। छळ ई छळ। निरो ई छळ। वारै लुगाई जात मादर...।'

अर इण रै साथै ई बगल में बैठी लिछमा रै गाल पर उण रो थाप बाज्यो। बो चिमक्यो अर सूनी साळ रै लटकता बरंगां सूं उण रो ध्यान खुदोखुद हटग्यो। गोडां बिचाळै सिर दाब'र रोवण लाग्यो, लिछमा! थूं घरां आज्या, घर भभाका मारै। म्हैं माणस बणग्यो। बदळै में सौ थाप मार लेई भावूं। पण तिलाक ना ले। लुगाई भोत आछी हुवै। मरद भोत आछो हुवै। म्हैं ई अेक ऊतर्योड़ो हो जको...। काळी-सी बिल्ली सूनी साळ में उण नै रोंवतो देखै ही।