सेवक-मालिक रिश्तों के समीकरण / जयप्रकाश चौकसे

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सेवक-मालिक रिश्तों के समीकरण
प्रकाशन तिथि : 23 जनवरी 2022


विद्या बालन और शेफाली शाह की फिल्म ‘जलसा’ बन चुकी है। अब महामारी के प्रभाव के चलते सिनेमाघरों में प्रदर्शन का इंतजार नहीं करते हुए निर्माता इसे एक अन्य मंच पर प्रदर्शित करने का निर्णय कर चुके हैं। फिल्म में विद्या बालन अभिनीत पात्र टेलीविजन पर खबर पढ़ने का काम करती है। उनकी सेविका की भूमिका में शेफाली शाह हैं। खबरों का सनसनीखेज होना जारी है। शेफाली शाह अभिनीत पात्र का विचार है कि विद्या सनसनी झूठी खबरें पढ़ने की नौकरी करते हुए खुद एक झूठी खबर बनती जा रही हैं। आपका काम आपकी विचार प्रक्रिया को प्रभावित करने लगता है। नेता नींद में ही भाषण देने लगता है। वह वोटों की भिक्षा मांगने लगता है। ज्ञातव्य है कि बलराज साहनी अभिनीत फिल्म के नायक की देखने की क्षमता शून्य हो चुकी है। बलराज साहनी अभिनीत पात्र के कुछ धोखेबाज मित्र उसका धन लूटने के लिए उससे बार-बार यह कहते हैं कि आदमी उनके राजनीतिक विचार जानने के लिए उत्सुक रहते हैं। वह धोखेबाज लोग एक सुनसान जगह पर उसका भाषण आयोजित करते हैं। भीड़ की करतल ध्वनि एक टेप रिकॉर्डर द्वारा प्रस्तुत की जाती है। कुछ दिन पश्चात धोखा देने वालों को नहीं मालूम था कि डॉक्टर उसे देखने लायक बना देते हैं। वह इस सत्य को छुपाकर सब कुछ देखना चाहता था कि धोखेबाज किस हद तक जा सकते हैं। हमेशा की तरह सभा आयोजित की जाती है। धोखा देने वालों को आश्चर्य होता है कि उस निर्जन स्थान पर धीरे-धीरे आदमी आने लगते हैं। बलराज साहनी अभिनीत पात्र सारी पोल खोल देता है। आम लोग धोखेबाजों की जमकर पिटाई कर देते हैं। विचार प्रक्रिया में आया अंधत्व लाइलाज हो चुका है। ज्ञातव्य है कि शेफाली शाह पटकथा पढ़ने के बाद बहुत सोच विचार करती हैं और किसी भी भूमिका को स्वीकार करती हैं। ‘जलसा’ में सेविका का पात्र वह यादगार बना देंगी। पत्रकारिता पर मधुर भंडारकर और कोंकणा सेन शर्मा की ‘पेज 3’ इस क्षेत्र की महत्वपूर्ण फिल्म मानी जाती है। ज्ञातव्य है कि विधु विनोद चोपड़ा ने ‘परिणीता’ नामक फिल्म में विद्या बालन को पहला अवसर दिया था। पहले ‘परिणीता’ अशोक कुमार और मीना कुमारी के साथ बनाई गई थी। इसका रीमेक चूचू का मुरब्बा साबित हुई थी। हम अनुमान लगा सकते हैं कि शेफाली शाह द्वारा अभिनीत टेलीविजन पर खबरें पढ़ने वाले पात्र को सच्चे झूठे प्रचार केंद्र अधिकार से बाहर लाकर सूर्य की रोशनी में खड़ा कर देगी। सत्य के सूर्य में आंखें चौंधिया जाती हैं। धीरे-धीरे रोशनी मनुष्य को पसंद आने लगती है और रोशनी के फव्वारे में स्नान करने से त्वचा ही नहीं अवचेतन से भी गंदगी दूर चली जाती है। कभी-कभी सेवक ही मालिक को उसके अहंकार से मुक्ति दिलाते हैं। सलीम खान का कहना है कि अच्छे व्यक्ति की एक पहचान यह है कि उसका सेवक कितना पुराना है। मालिक जब सेवक को परिवार का हिस्सा समझने लगता है तो वह सेवक नौकरी नहीं छोड़ता। अरसे पहले एक फिल्म बनाई गई थी। जिसमें दिखाया गया कि खबर प्रसारित करने वाला एक चैनल दो कमजोर देशों के बीच युद्ध कराता रहता है और युद्ध की खबर सबसे पहले उनके संचार माध्यमों पर आती है। जिससे उसकी लोकप्रियता बढ़ जाती है। प्रायः युद्ध पर प्रायोजित होते हैं। रोजी रोटी का सपना आम मनुष्य के आदर्श हैं। युद्ध के पश्चात महंगाई बढ़ जाती है। महंगाई प्रायोजित होती है। पी.जी. वुडहाउस की रचनाओं में मालिक बर्टी बूस्टर अनचाहे ही घपले में फंस जाता है। उसका सेवक जीव्स ही उसे घपलों से बेदाग निकालता है। उपन्यास में प्रस्तुत किया गया है कि सेवकों का अपना क्लब है जिसके रजिस्टर में मालिकों की कमजोरी का विवरण दिया गया है। इसी रजिस्टर की मदद से वह मालिक बर्टी बूस्टर को बचाता रहता है। मालिक और सेवक का रिश्ता रक्त संबंध से अधिक गहरा है, क्योंकि उसमें स्वार्थ नहीं है।