सोचो क्या पाया हमनेआखिर इंसा होकर / जयप्रकाश चौकसे

Gadya Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
सोचो क्या पाया हमनेआखिर इंसा होकर
प्रकाशन तिथि : 25 जनवरी 2021

कुछ वर्ष पूर्व उत्तर कोरिया की फिल्म ‘पैरासाइट’ को श्रेष्ठ फिल्म का पुरस्कार मिला। उत्तर और दक्षिण कोरिया में बनी फिल्में नेटफ्लिक्स पर अकल्पनीय मुनाफा कमा रही हैं। भारत में 370% दर्शक विगत 1 वर्ष में बढ़े हैं। यह ग़ौरतलब है कि उत्तर और दक्षिण कोरिया के राजनीतिक विचार अलग-अलग है परंतु मनोरंजन के सेतु पर उनके बीच कोई विवाद नहीं है। फिल्मों को लेकर किसी तरह का बैर नहीं है। भारत में 8 हजार एकल सिनेमा और 2 हजार मल्टीप्लेक्स स्क्रीन्स हैं। पाकिस्तान में 50 सिनेमाघर हैं और वे भी बंद हो गए हैं। वहां टेलीविजन पर प्रदर्शित कार्यक्रम एक मात्र मनोरंजन रहा है। एक दौर में हसीना मोइन के लिखे हास्य सीरियल बहुत सराहे जाते थे। परंतु विगत कुछ वर्षों में पाकिस्तान का टेलीविजन अमेरिकन फिल्में दिखाता है। इस तरह पाकिस्तान में उनके अपने देश का मनोरंजन जगत शून्य हो चुका है।

कुछ वर्ष पूर्व ‘हैप्पी भाग जाएगी’ फिल्म बनी थी, जिसमें पंजाब की लड़की हैप्पी किसी से प्रेम करती है परंतु उसके माता-पिता उसका विवाह अन्य व्यक्ति से करना चाहते हैं, लेकिन हैप्पी भाग जाती है। वह खिड़की से कूदकर एक ट्रक में गिरी और बेहोश हो गई और ट्रक पाकिस्तान पहुंच गया जहां एक अमीर युवा सह्रदय व्यक्ति हैप्पी को अपने एक गोदाम में छुपा देता है। वह हैप्पी को सुरक्षित भारत पहुंचाने के जतन अपने पिता से छुपकर करता है। उसके पिता की महत्वाकांक्षा है कि पुत्र चुनाव लड़े और मंत्री बने। पिता स्वयं राजनीति क्षेत्र में है। वह अपने पुत्र की शादी ऐसे परिवार में करना चाहता है, जो उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षा को पूरा कर सके। दरअसल होने वाले वर-वधू एक-दूसरे को पसंद करते हैं परंतु हैप्पी की सहायता करने के कारण उनके बीच मतभेद हो जाता है।

इस दरमियान हैप्पी का पिता उसे खोजते हुए पाकिस्तान आ पहुंचता है। पाकिस्तान का युवा एक पुलिस वाले को सादे कपड़ों में भारत भेजता है कि वह उस युवा को लेकर पाकिस्तान आए जिसे हैप्पी चाहती है। यह अत्यंत रोचक फिल्म थी।

कोरिया में बनी ताजा फिल्म का नाम है ‘क्रेश लैंडिंग ऑन यू’। उत्तर कोरिया की युवा लड़की पैराग्लाइडिंग करते हुए दक्षिण कोरिया के एक युवक के ऊपर आ गिरती है। उन दिनों की प्रेम कथा प्रारंभ होती है। 2 देशों की राजनीतिक दुश्मनी प्रेम में बाधा नहीं पहुंचाती है। प्रेम का इंद्रधनुष सरहदों के परे खिल जाता है। सलमान खान अभिनीत ‘बजरंगी भाईजान’ में भी एक पाकिस्तानी अबोध बालिका को उसके माता-पिता से मिलाने के लिए भारतीय नायक तमाम खतरे उठाता है। राज कपूर की हिना में भी एक भारतीय युवा की जीप नदी में गिरती है और वह पाकिस्तान पहुंच जाता है। जब उसका विवाह पाकिस्तान के कबीले की लड़की हिना से होता है तब उसकी याददाश्त वापस आती है कि उसका विवाह तो उस भारतीय लड़की से होने जा रहा है, जिसे वह चाहता है। तब उसकी यदादाश्त वापस आती है। सत्य का ज्ञान होते ही पाकिस्तान के तीन युवा कबीले वाले नायक को भारत छोड़ने का काम करते हैं। तमाम राजनीतिक मतभेदों के बावजूद इस प्रेम कथा का सुखांत होता है। सलमान खान और कटरीना कैफ अभिनीत ‘एक था टाइगर’ में दोनों पात्र दुश्मन-दोस्त देशों के हैं और उन्हें प्रेम हो जाता है। दोनों देशों के जासूस मिलकर उन्हें खोजने का प्रयास करते हैं। यश चोपड़ा की फिल्म ‘वीर जारा’ में भारतीय वायु सेना का युवा पाकिस्तान पहुंच जाता है। पाकिस्तान की युवती से उसका प्रेम हो जाता है। फिल्म के क्लाइमैक्स का संवाद बड़ा अर्थवान है। वह कहता है कि ‘जेल की खिड़की से उसे जो ज़मीन दिखती है, वह उसके अपने देश की ज़मीन की तरह है।’ परंतु जेल अधिकारी कहता है ‘यह तेरा देश नहीं है।’ पूरे संवाद में दोनों देशों की ज़मीन, खेती, फसल, मौसम समान हैं। यह खुशी की बात है कि फिल्में सभी संकीर्णता के परे जाती हैं।