सोनमनी / अनिरुद्ध प्रसाद विमल

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रंग जमुनिया, समता श्याम बरन, लंबा, बरछीदार नाक, छोटोॅ-छोटोॅ नोंकदार मोंछ, गोल सुन्नर मुँहोॅ पर पातरोॅ ठोर, चार हाथोॅ सें कुछ्छु बेशिये लंबा छरहरोॅ देह छेलै सोनमनी के। बापोॅ वरनोॅ पर गेलोॅ छेलै। हुनको सबसे बड़ोॅ आकर्षण तेजपानी आरो लंबा पातरोॅ काया छेलै। उन्नेस-बीस बरसोॅ रोॅ आपनोॅ ई बेटा केॅ देखी केॅ जे सबसे बड़ोॅ चिन्ता सीता केॅ छेलै उ$ ऐकरोॅ बियाह छेलै। बियाह लेली बरतुहार तेॅ दू सालोॅ सें आबी रेल्होॅ छेलै मतुर लड़किये पसंद नै होय छेलै सीता केॅ। सीता आपन्हेॅ नांकी गोरी झनाक होशियार लड़की खोजै छेलै।

माघ महीना बीती केॅ फागुन शुरू होय गेलोॅ छेलै। यै साल फागुनोॅ में आठ-दस दिन बढ़िया लगन छेलै। बिहारी केॅ कोभारा में एक लड़की पसंद छेलै। सीता बिहारी सें कहै-"हम्में तेॅ लड़की नहिये नै देखै छियै। हम्में तेॅ आपन्हेॅ के आँखी सें देखै छियै। लड़की जैन्होॅ हम्में चाहै छिये ओन्होॅ छै तेॅ बेटा रो बियाह करोॅ। आबेॅ पोता-पोती खेलाबै के उमर भी छै आरो इच्छा भी होय गेलोॅ छै।"

बिहारी कहलकै-"गुणोॅ में तेॅ सोनमनी नांकी नहिये मिलथौं। हमरोॅ सोनमनी में समय आरो परिस्थिति केॅ पहचानै के अतना जादा क्षमता छै कि भगवानोॅ सें भूल होय जावेॅ पारै छै मतुर ऐकरा सें चूक नै हुअेॅ पारेॅ। अवसरोॅ सें लाभ उठावै में नै चूकै वाला चतुर, होशियार, नेकदिल आरो मिलनसार आदमी छौं तोरोॅ बेटा सोनमनी।"

सीता शरमैलेॅ। हँसमुख चेहरा भगवानें देनैं छेलै। माथा पर साड़ी बढ़िया सें संवारी के राखलकै आरो पीढ़ा पर बैठलेॅ-बैठली बोललै-"खाली हमरे बेटा कैन्हेॅ बोललियै?" "चौतरा गाँमोॅ सें मिर्जापुर तोंय नै लानतिहोॅ तेॅ आय यहोॅ एक बेटा ई रूपोॅ में नै देखै पारतिहै।" "आरो जौं आपने घरफनिया नै देतिहोॅ। कन्नारोहट नै करतिहोॅ, जघ्घोॅ बदलै के जिदोॅ पर नै अड़तिहोॅ तेॅ यहाँ करोॅ बात सपनोॅ में नै एैतियै। सच तेॅ ई छै कि सोनमनी केॅ ई धरती पर लानै में हम्में दुनुं जीवेॅ बड्डी तपस्या करनें छियै। दुक्खोॅ कम नै उठैनें छियै।" ई कहतें सीता के आँखी रोॅ कोर थोड़ोॅ भींगी गेलै।

"ऐकरा होशियार कनियाय मिली जाय तेॅ जिनगी स्वर्ग होय जाय।" बिहारी जानी-बूझी केॅ बात बदललकै। आरो जे कहना छेलै ओकरा बड्डी होशियारी सें कहलकै-"यही लेली सोनमनी में आधोॅ तोरोॅ आरो आधोॅ हमरोॅ छाया रूप एैलोॅ छै। रूप कारोॅ जमुनिया हमरै नांकी आरो गुण सब ठो तोरोॅ। हाँसबोॅ-बोलबोॅ भी छिनमान तोरोॅ जुंगा, चेहरा भी पानीदार, हँसमुख तोरेह नांकी, थोड़ोॅ देखै में भी तोरेह नांकी गोरोॅ होतियै तेॅ सोना में सुगंध होय जैतियै। तबेॅ हमरोॅ नै खाली तोरे बेटा होतियै।"

यै बातोॅ पर सच्चेॅ हँसी आबी गेलै आरो दुनोॅ प्राणी देर तांय मोॅन भर खुली केॅ हाँसलै।

हाँसबोॅ थमलै तेॅ बिहारियैं फेरू कहलकै-"हमरोॅ-तोरोॅ बियाह तेॅ बाबुएं करनें छेलै। बाबू के तोंय पसन्द आबी गेल्होॅ आरो चट मंगनी पट बियाह होय गेलै। एक बात आरो कहै छियौं, हम्में आरो कोय चीजोॅ में नै तेॅ नै मतुर बियाह शादी में तकदीरोॅ केॅ मानै छियौं। हमरा नांकी आदमी केॅ तोरा नांकी कनियान मिली जाय, ई भगवानें करेॅ पारै। ई लिखलेॅ रहै छै जे होय जाय छै। सोनमनी लेली जे लड़की देखनें छियौं ई हमरा पसंद छौं।"

"अपने के पसंद छौं तेॅ हमरौ पसंद छै। कोहवारा, जेकरा गोसांयदासपुर भी कहै छै, वहेॅ गाँव नी?" सीता बेशी खुश होय जाय छेलै, व्याह नामोॅ पर। गाँव भरी में सबसें बेशी उमर सोनमनी के ही होय रेल्होॅ छेलै। ऐकरा उमिर के एक्कोॅ लड़का गाँमोॅ में कुँवारोॅ ने छेलै।

गाँमोॅ के बूढ़ी-पुरानी, जोड़ी-पारी मिलला पर कहिये दै छेलै-" की गे सितिया, बेटा केॅ पछियै कुँवर राखबे की? भोज-भात खिलाबै के विचार नै छौ की? बेटा सयानोॅ होलौ, बियाह करें, पुतोहु लानें, बुढ़ारी तांय आपन्हें सें डौआ घाटतें रहबेॅ की?

यै बातोॅ पर सीतां हाँसी के कहै-"कोय दुनिया में कुमारोॅ रहलोॅ छै दीदी। आन्हरोॅ कानोॅ रोॅ बियाह होय छै, तै पर हमरोॅ सोनमनी सौ में एक छवीला छवारिक छै। लड़कियो तेॅ सौ में एक खोजी रेल्होॅ छियै। मानी केॅ चलोॅ, आभरी फागुनोॅ के ई पैल्होॅ लगन में हरिबोल होय जैतेॅ।"

गाँव-टोला के ई सिनी बात सीता केॅ माथा में घूमी रेल्होॅ छेलै। चूप देखी केॅ बिहारी टोकलकै-" कहाँ खोय गेल्हेॅ महारानी?

"धौेॅ, हमरा मनोॅ में आबेॅ हरदम्मेॅ सोनमनी रो बियाह ही घूमै छौं। रोजेरोज आबेॅ ई उमर में भंसा-भातोॅ सें मोॅन उबी गेलोॅ। हिन्नें सोनमनी गाय चराय लेॅ दू ठो नौकरोॅ राखी लेनें छै। तोरा भैंसी-बैलोॅ वास्तें एक ठो अलगेॅ। तीन-तीन नौकरोॅ के खाना बनैतें हम्में थक्की जाय छियौं मालिक। हमरा सें नै होतौं आबेॅ, जल्दी पुतोहू लानोॅ।" सीता औकताय केॅ कहलकै।

"तीन-तीन नौकरोॅ खटतै अपना दुआरी पर, अत्तेॅ बढ़िया घोॅर आरो बथानोॅ शोभतै, ई कहियो कल्पना में भी सोचलेॅ छेल्होॅ। लागै छै दिन फिरै वाला छै।" बिहारी हांसी केॅ कहलकै। "अकवाल सोनमनी केॅ। सब ठो कामेॅ संभारी लेलकै। हम्मेॅ जौं कहै छियै तेॅ कहै छै-" तोंय दुनूं हमरा लेली बहुतेॅ करल्होॅ। आवेॅ हमरोॅ उमर होलै, जेटा करेॅ पारोॅ करोॅ, नै करेॅ पारोॅ तेॅ छोड़ी दहोॅ, हम्में करबै। नौकर-चाकर छै, वें करतै, आपनेॅ दूनोॅ बैठी केॅ खा, आराम करोॅ। "वाह! बेटा हुअेॅ तेॅ ऐन्होॅ। चलोॅ, ई फागुनोॅ में वियाह तय। आपने जाय केॅ छेंका करि आबोॅ। हमरा तरफोॅ सें लड़की केॅ छेंका में बाबू रोॅ देलोॅ सोना रो हार आरो चाँनी के हौंसुली दै दिहोॅ।" सीता एक ठो पुरानोॅ बक्सा में सैंती केॅ राखलोॅ कासा के लोटा सें निकाली केॅ दूनोॅ टा जेवर बिहारी हाथोॅ में राखी देलकै।

बिहारी हाँसी केॅ कहलकै-"बेटा वियाह लेली औन-पौन करी रेल्होॅ छै मलकैनी। काल भोरें निकलबै। मामुओॅ केॅ साथें लै लेॅ छिहौं।" "हों, साथें हुनका तेॅ लइये लेॅ। वियाह शादी में दू-चार-पाँच ठो रहै छै तेॅ बढ़िया होय छै। हमरा भतीजा भूपतोॅ केॅ साथें लै लिहोॅ। सोनमनी केॅ जोड़ी पारी छेकै।"

आरोॅ साँझ होतै जेकरा पाँचोॅ केॅ लै जाना छेलै, बिहारी तैयार होय लेॅ कहि ऐलै। मामा शिंभू रौतेॅ आपनोॅ चरका-गोला बैलोॅ केॅ अधरतिये खिलाय-पिलाय केॅ तैयार राखे केॅ आदेश गाड़ीवानोॅ केॅ दै देलकै। घोड़ा नांकी सरपट दौड़े वाला छेलै दूनोॅ बैल।

कोहवारा छेलबोॅ करलै मिर्जापुरोॅ सें बारह-चौदह कोस दूर। भागलपुर के नाथनगरोॅ सें चार-पाँच कोस खेते-खेत गंगा नदी के कछारी में, ई गाँव छेलै। सौेॅन-भादोॅ में ई गाँव चारोॅ तरफोॅ सें बाढ़ोॅ के पानी सें डूबी जाय छेलै। सीता दिरोॅ लै केॅ ही विमछै छेलै। जंड़ोॅ-मकेरोॅ, कुरथी-मड़ुआ उपजै वाला देशोॅ रोॅ लड़की लानै केॅ मोॅन नै छेलै सीता रोॅ मतुर कुल-खानदान आरो लड़की मनोॅ में भावी गेलै।