स्पर्श / ख़लील जिब्रान / बलराम अग्रवाल

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आप अन्धे हैं और मैं गूँगा-बहरा।

इसलिए चीजों को समझने के लिए हमें परस्पर-स्पर्श का सहारा लेना चाहिए।