स्वर्ग में क्रिकेट और कवि सम्मेलन / जयप्रकाश चौकसे

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स्वर्ग में क्रिकेट और कवि सम्मेलन
प्रकाशन तिथि :04 जनवरी 2019


सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट खेल सिखाने वाले गुरु रमाकांत आचरेकर का निधन हो गया। सचिन ने कहा कि अब स्वर्ग में भी क्रिकेट खेला जाएगा। आचरेकर क्रिकेट के द्रोणाचार्य की तरह थे परंतु उन्होंने कभी गुरु दक्षिणा में एकलव्य का अंगूठा नहीं मांगा। मुंबई के विशाल शिवाजी पार्क में जगह-जगह अनेक लोग क्रिकेट खेलते हैं। आचरेकर प्रतिभाशाली किशोरों का चयन करके उन्हें प्रशिक्षण देते थे। उनका पूरा जीवन क्रिकेट को समर्पित रहा। आचरेकर ने कभी अपने किसी छात्र से कोई फीस या उपहार स्वीकार नहीं किया। शिवाजी पार्क क्रिकेट नर्सरी की तरह है। इसी पलने में आचरेकर पूत के पांव देख लेते थे। कांबली भी उनका छात्र था जो झोपड़पट्‌टी में जन्मा और पला था। आचरेकर किसी का जन्मस्थान नहीं जानना चाहते थे। वे तो खिलाड़ी के बल्ला पकड़कर खड़े रहने के अंदाज से ही उसकी प्रतिभा का आकलन कर लेते थे। सफलता पाने के बाद विनोद कांबली को पांच सितारा सहूलियत ने लील लिया। सचिन का लालन-पालन सुसंस्कृत मराठी भाषी परिवार में हुआ था, इसलिए धन और शोहरत उन्हें डिगा नहीं पाई। आचरेकर की तरह ही इंदौर के संजय जगदाले भी प्रतिभा को संवारते हैं।

बहरहाल, स्वर्ग में कर्नल नायडू, मुश्ताक अहमद साहब, पॉली उमरीगर, विजय हजारे, विजय मर्चेंट, ब्रैडमैन, मांजरेकर, गुप्ते, कॉलिन काउड्रे, वॉरेल, वीक्स इत्यादि महान खिलाड़ी मौजूद हैं। खेल का आंखों देखा हाल सुनाने के लिए एएफएस तल्यारखान भी स्वर्ग में मौजूद हैं। ज्ञातव्य है कि तल्यारखान ने ही रेडियो पर कमेंट्री देना प्रारंभ किया था। वे अकेले ही पूरे दिन के खेल का विवरण देते थे। आज तो कमेंट्री बॉक्स में चार या पांच लोग बारी-बारी से कमेंट्री करते हैं। ये लोग वर्तमान का विवरण नहीं करते हुए विगत की बातें करते हैं और भविष्य की चिंता का बखान करते हैं। गोयाकि खेल का जामेजम बनने का भोंडा प्रयास करते हैं। क्रिकेट पर अखबार में लिखने वाले नेविल कार्ड्स भी स्वर्ग में मौजूद हैं। उनका क्रिकेट विवरण काव्य की तरह महान होता था। भाषा और भावना दोनों पर ही उनका अधिकार था। पीजी वुडहाउस ने भी स्कूल में खेले जाने वाले क्रिकेट को आधार बनाकर रोचक उपन्यास लिखे थे।

अगर स्वर्ग में क्रिकेट खेला जा सकता है तो वहां कवि सम्मेलन और मुशायरे भी आयोजित किए जा सकते हैं, जिनकी सदारद राजरानी मीरा कर सकती हैं और महादेवी संचालन कर सकती हैं। इस तरह के आयोजन में नीरज अपनी लंबी रचना 'कारवां गुजर गया गुबार देखते रहे' भी पूरी सुना सकते हैं। वहां सोमरस भी उपलब्ध होगा।

स्वर्ग में धरती की तरह सुलगती सरहदें और संकीर्णता नहीं होगी। पाकिस्तान की सारा शगुफ्ता भी खुलकर अपनी नज्में सुना सकेंगी जैसे 'औरत का बदन ही उसका वतन नहीं होता, वह कुछ और भी है/ मर्दानगी का परचम लिए घूमने वालों, औरत जमी नहीं कुछ और भी है/ असीमित हवस के कबूतर उड़ाने वालों औरत, आकाश ही नहीं कुछ और भी है।' इस कवि सम्मेलन में साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम भी साथ-साथ शिरकत करेंगे। जनाब कैफी आजमी साहब भी मौजूद होंगे। विष्णु खरे इस महफिल में टीएस एलियट और एजरा पाउंड की रचनाएं सुनाकर दायरों को विस्तार देंगे। गजानन माधव मुक्तिबोध काव्य पाठ प्रारंभ करेंगे तो चांद भाग जाएगा कि कहीं उसका मुंह टेढ़ा जग जाहिर ना हो जाए। चांद के भागने से कोई अंतर नहीं पड़ेगा, क्योंकि चंद्रकांत देवताले वहां काव्य पाठ करेंगे। निदा फाज़ली सुनाएंगे 'चारों और चट्‌टाने हासिल बीच में काली रात, रात के मुंह में सूरज, सूरज में कैदी सब हारा, नंगे पैर अकीदे सारे, पग पग लगे कांटा, जीवन शोर भरा सन्नाटा, जंजीरों की लंबाई तक तेरा सारा सैर सपाटा'।

समारोह में शैलेंद्र आए और उन्होंने इप्टा के लिए लिखा गीत सुनाया 'आदमी है आदमी की जीत पर यकीन कर, अगर कहीं है स्वर्ग तो उतार ला जमीन पर' उन्होंने कहा कि इस महफिल और स्वर्ग को जमीं पर ले जाने का समय आ गया है, क्योंकि पृथ्वी पर असहिष्णुता और असमानता अपने चरम पर पहुंच चुकी हैं। निदा फाज़ली ने बताया कि उन्हें कुमार अंबुज की एक कविता मिली है जो उन्होंने धरती के पोस्ट बॉक्स में डाली गई थी परंतु वह मुझे मिल गई। कविता- 'मूर्खता हर बात पर गर्व कर सकती है, इसे पहले योग्यता से जोड़ा गया, फिर रोजगार से, फिर राष्ट्रीय अभिमान से, फिर परम्परा से, इसलिए आप देख ही रहे हैं कि मूर्खता हर बात पर गर्व कर सकती है। जाति पर, अशिक्षा पर, इतिहास पर, दुष्कर्म पर, हत्या और सबसे ज्यादा अपनी मूर्खता पर, अब मूर्खता एक मौलिक अधिकार है।' इसी समय स्वर्ग का एक अधिकारी आया और उसने कहा कि इस सम्मेलन को बिना इजाजत आयोजित किया गया है, अतः सभी शायरों और कवियों को नर्क भेजा जा रहा है।