हमेशा के लिए / रश्मि

Gadya Kosh से
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इंसान दौड़ रहा है, बेतहाशा दौड़ रहा है...भाग रहा...कोई ज्ञान के पीछे भाग रहा है तो कोई प्यार के पीछे भाग रहा है...कोई पद के पीछे तो कोई मान-सम्मान के पीछे भाग रहा है...जितना ज्यादा रूतबा; उतना ही और मांग रहा है....जितना ज्यादा ज्ञान; उतना ही और खोज रहा है....जितना बड़ा बिजनेसमेन; उतना ही ज्यादा भाग रहा है।......क्या ये इंसान कभी थकता नहीं !! कभी तो थकता होगा ? ....हाँ ! थकता है न ...लेकिन तब तक, बैठने का सुस्ताने का वक्त ही कहाँ बचता है .....और एक दिन वह लड़खड़ाकर गिर जाता है...लेट जाता है...हमेशा के लिए।