हास्य का दर्द से रिश्ता / जयप्रकाश चौकसे

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हास्य का दर्द से रिश्ता
प्रकाशन तिथि : 29 अक्टूबर 2014


हैप्पी न्यू ईयर में फराह खान ने अपनी सीनियर कोरियोग्राफर सरोज खान का मखौल उड़ाया है जिस पर सरोज खान ने आपत्ति दर्ज की है। इसके पहले वे अपनी फिल्मों में मनोज कुमार का मखौल उड़ा चुकी हैं आैर मामला अदालत तक गया था। फराह खान आैर उनके भाई साजिद खान तथा पति कुन्देर अपने सिनेमा में प्राय: सीनियर कलाकारों का मखौल उड़ाते रहे हैं। उनकी हास्य की यही परिभाषा है जिसके लिए वे स्वतंत्र हैं। इस परिवार की तीनों सदस्यों ने असफल फिल्में बनाई हैं आैर उनका मखौल भी जमकर उड़ाया जाता है। सरोज खान का आहत होना स्वाभाविक है। उसने अपने शिखर दिनाें में श्री देवी आैर माधुरी के लिए बहुत काम किया है आैर वे अपने क्षेत्र की सुपर सितारा रही हैं। सरोज खान कोरियोग्राफर घराने से आई है आैर टेलीविजन पर उन्होंने नृत्य की शिक्षा का सफल प्रोग्राम भी प्रस्तुत किया है। दरअसल मखौल उड़ाना हास्य नहीं है वरन् हास्य के मुखौटे के पीछे अपमान करने की मंशा से किया जाता है। कार्टून उच्च कला है परंतु कैरीकेचर भोंडा होता है। आर. के. लक्ष्मण कार्टून विद्या के पुुरोधा रहे हैं आैर दशकों तक उनकी कृति प्रथम पेज पर प्रकाशित की गई है। इसे लोग संपादकीय के समकक्ष मानते हैं। जिस गंभीर सामाजिक व्याधि पर संपादकीय लिखा जाता है, उसका हास्य स्वरूप कार्टून हजार शब्दों के संपादकीय से ज्यादा प्रभावोत्पादक होता है। इस कला के अनेक महारथी हुए हैं परंतु इस क्षेत्र के भीष्म पितामह आरके लक्ष्मण ही रहे हैं।

जॉनी लीवर ने गणेशोत्सव के दिनों मोहल्ले के आयोजन में मिमिक्री करने से कॅरिअर प्रारंभ किया था आैर कल्याणजी आनंदजी के साथ कई देशों का दौरा किया। ऐसे ही एक दौरे में उनकी मुलाकात सुनील दत्त से हुई जिन्होंने उसे अपनी फिल्म 'दर्द का रिश्ता' में भूमिका दी आैर धीरे-धीरे जॉनी लीवर सफल होते गए आैर तीन दशक की लंबी पारी उन्होंने खेली तथा आज भी सक्रिय हैं। उनका असली नाम जॉन प्रकाशा राव जानूमाला है परंतु वे जॉनी लीवर के नाम से ही जाने जाते हैं। अपने संघर्ष के दिनों में उन्होंने लीवर कंपनी में कुली का काम भी किया था। स्टेज पर अपने कलाकारों की नकल के काम ने उन्हें ख्याति दिलाई आैर सितारे राजकुमार की नकल उन्होंने अनेक बार की है। इसलिए राजकुमार के साथ अपनी पहली फिल्म में वे डरे हुए थे परंतु राजकुमार ने हंसकर उनका स्वागत किया तथा बाेले कि तुम्हारे नकल के कार्यक्रम में कहीं तुम्हारा इरादा अपमान करने का नहीं रहा है आैर आनंद देने तथा आहत करने में अंतर होता है। यही अंतर फराह खान आैर उनके भाई तथा पति को नहीं मालूम है। मिमिक्री अर्थात हाव-भाव की नकल में अपमान का इरादा नहीं होना चाहिए। अमेरिका में राष्ट्रपति बराक आेबामा का नकल करने वाला एक व्यक्ति काफी हद तक उन जैसा दिखता भी है आैर 'तेरे बिन लादेन'भाग दो में उसने भूमिका भी निभाई है। जॉनी लीवर की पहली फिल्म 'दर्द का रिश्ता' दरअसल हास्य विद्या का सटीक विवरण भी है। सारे हास्य कलाकारों ने विपरीत परिस्थितियों में कड़ा संघर्ष किया है आैर उन्हें यह अनुभव होता है कि अगर आपके पास हंसने-हंसाने का माद्दा है तो गरीबी का दंश थोड़ा कम आहत करता है गोयाकि हास्य उसे भोंथरा कर देता है। ज्ञातव्य है कि जब चार्ली चैपलिन की हिटलर का मखौल उड़ाने वाली फिल्म 'द ग्रेट डिक्टेटर' प्रदर्शित हुई तो अनेक दर्शकों को अनुभव हुआ कि इस हास्य फिल्म को देखने के बाद हिटलर के आतंक से उन्हें घबराहट नहीं होती थी गोयाकि हास्य तानाशाह की क्रूरता के खिलाफ भी ढाल बन जाता है। हंसने हंसाने का माद्दा एक जिरहबख्तर है जिसे पहन कर जीवन संग्राम में कूदा जा सकता है। फराह का मखौल आस्तीन में छुपाए खंजर की तरह है, वह आहत कर सकता है, ढाल नहीं बन सकता।

दुनिया के अधिकांश हास्य अभिनेताआें ने बेहद गरीबी देखी है, अभाव सहे हैं आैर हास्य से उनके निजी जीवन में दर्द का रिश्ता है। जीवन के संघर्ष से कुछ लोग कड़वाहट ग्रहण करते हैं आैर कुछ लोग संवेदना को गहरा करते है। जीवन के समुद्र मंथन से अमृत आैर विष दोनों निकलते हैं आैर यह व्यक्ति के दृष्टिकोण पर निर्भर करता है कि वह क्या ग्रहण करता है।