हिंसा दिखाने वाले चैनलों की संख्या बढ़ी / जयप्रकाश चौकसे

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हिंसा दिखाने वाले चैनलों की संख्या बढ़ी
प्रकाशन तिथि : 19 अप्रैल 2021

ताजा खबर है कि अमेरिका में एक 19 वर्षीय युवा ने बेवजह गोलियां दागीं और कुछ लोग मारे गए। पगलाए हुए कातिल ने खुद को भी गोली मार ली। खबर यह भी है कि उस युवा की हरकतों पर गुप्तचर संस्था को संदेह था और उस पर निगाह रखी जा रही थी। अमेरिका में आम आदमी खुले बाजार से हथियार खरीद सकता है और लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होती। इस तरह के कांड अमेरिका में होते रहते हैं। हथियार खरीदने की स्वतंत्रता के खिलाफ कुछ लोगों ने आवाज उठाई परंतु अमेरिका के आम आदमी ने इसका विरोध किया। वे बिना शस्त्र स्वयं को निर्वस्त्र सा महसूस करते हैं।

घोड़े पर सवार सशस्त्र व्यक्ति जगह-जगह घूमता है और उसकी उंगलियां बंदूक का घोड़ा दबाने के लिए हर समय बेकरार रहती हैं। इन फिल्मों को हॉलीवुड में वेस्टर्न और काऊ बॉयज फिल्म भी कहा जाता है। जॉन नामक एक कलाकार ने 80 वर्ष की आयु तक अभिनय किया। उसने शूटिंग के लिए जितना समय घोड़े की पीठ पर बिताया, उससे कम समय वह अपने बिस्तर पर रहा।

अमेरिका के फिल्मकार स्टैनले क्यूब्रिक की फिल्म ‘ए क्लॉकवर्क ऑरेंज’ में एक किशोर अपने दो साथियों सहित युवा लड़कियों का अपहरण कर दुष्कर्म करता है। एक बार वह रंगे हाथों पकड़ा जाता है। अदालत में एक मनोवैज्ञानिक दावा करता है कि 4 सप्ताह में वह किशोर की विचारधारा बदल सकता है। अपराधी नहीं वरन अपराध में मुक्ति के आदर्श की खातिर जज महोदय ने विशेषज्ञ को वह अवसर दिया।

उस विशेषज्ञ ने युवा के हाथ-पैर रस्सी से बांधे और उसे हिंसा व दुष्कर्म की फिल्में लगातार दिखाई गईं। कुछ दिनों बाद किशोर को अदालत में लाया गया। वह किसी महिला को देखते ही कांपने लगता। रिवाल्वर देखते ही बेहोश हो जाता था। जज ने हिंसा और सेक्स भावना से मुक्ति पाने के बाद उसे रिहा कर दिया। कुछ समय तक वह सड़क पर चलती महिला को देखकर डर जाता था। हथियार से लैस पुलिस वाले को देख बेहोश हो जाता था। कुछ दिनों बाद उसने आत्महत्या कर ली। सारांश यह है कि अंतरंगता के बिना जीवन में बहुत कुछ खो जाता है। जीवन में संतुलन जरूरी है। एक फिल्म का नाम था ‘क्लास ऑफ 84’। फिल्म में हर छात्र शस्त्र लिए कक्षा में आता था। शिक्षक बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर 56 इंच का सीना लिए पढ़ाने आते थे। एक अन्य अमेरिकन फिल्म का नाम था, ‘गैंग्स ऑफ न्यूयॉर्क।’ अनुराग कश्यप ने बिहार के काल्पनिक स्थान को ध्यान में रखकर फिल्म बनाई ‘गैंग्स ऑफ वासेपुर’। इसी फिल्मकार ने ‘ब्लैक फ्राइडे’ बनाई थी। सामंतवाद के पक्ष में ‘गुलाल’ बनाई गई थी। हिंसा और धर्मनिरपेक्षता हमारे आयात किए गए जीवन मूल्य हैं। इसलिए हमारी गणतंत्र व्यवस्था का मॉडल प्रचार आधारित बनाया गया है। हमेशा ऐसा नहीं था। एक अमेरिकन फिल्म में किशोर वय का युवा अकारण हत्या करता था। वह पकड़ा गया तो उसने कहा कि उसने अपने पिता को उस व्यक्ति को गोली मारते देखा है, जो बिना आज्ञा लिए उनके अहाते में किसी साधारण काम के लिए आया था।

उत्तर भारत के दो राज्यों में अनगिनत अवैध हथियार बनाए जाते हैं। आसपास के प्रदेशों में चुनाव के समय भेजे जाते हैं। हमारे देश में लाइसेंस प्राप्त हथियार बनाने के कारखानों में बनाए गए हथियारों के सच्चे आंकड़े जाहिर नहीं किए जाते। भंसाली की फिल्म ‘गोलियों की रासलीला’ में प्रस्तुत किया गया कि बाजार में खुलेआम शस्त्र बेचे जाते हैं। पाकिस्तान के सब्जी बाजार में शस्त्र, खुलेआम बिकते हैं। कल्ट आफ वायलेंस भी एक महामारी की तरह है। फिल्म ‘मुल्क’ में प्रस्तुत किया गया कि इंटरनेट पर बम बनाना सिखाया जाता है। 3 हजार अश्लील फिल्में दिखाने वाले चैनल नेट पर हैं।