‘सैर पर शादी और चर्च में प्रार्थना’ / जयप्रकाश चौकसे

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‘सैर पर शादी और चर्च में प्रार्थना’


खबर है कि श्रीमती कल्पना देवआनंद आजकल बहुत सा समय चर्च में बिताती हैं। एक तरह से यीशू मसीहा की सेवा अर्चना में उनके दिन बीत रहे हैं। सन् 1954 में एक फिल्म की शूटिंग के समय मंच ब्रेक में देवआनंद ने अपनी नायिका कल्पना कार्तिक से शादी कर ली। यह सब इतना अचानक था कि पूरा यूनिट ही आश्चर्यचकित रह गया और बड़े भाई चेतन आनंद को गश आ गया। उन्हें भी कल्पना कार्तिक से लगाव था, परंतु देवआनंद ने शादी के पूर्व कभी कोई खास रूचि कल्पना कार्तिक में नही ली थी। दरअसल देवआनंद का मिजाज ही कुछ ऐसा है कि वह किसी विचार के आते ही क्रियान्वन कर देते हैं। वे हवाई जहाज में अखबार की किसी हेडलाइंस से प्रेरित होकर कहानी लिखना शुरू करते हैं। और, लैंड होने तक कहानी तैयार हो जाती है तथा कागज पर स्याही सूखने के पहले शूटिंग शुरू करे देते है और उसके प्रदर्शन के पूर्व नई फिल्म के बारे में सोचने लगते थे। देव आनंद एक क्षण भी स्थिर नहीं रह सकते थे। उन्हें तेज चलना पसंद था, यहां तक कि उनका साथ देने के लिए दौड़ना पड़ता है।

गति ही उनकी गति रही। देवआनंद गुरदासपुर में जन्मे थे और उनके पिता बिशोटीमल आनंद सफल वकील थे तथा पाश्चात्य जीवन शैली उन्हें पसंद थी। परंतु उनकी पारंपरिक विचारों वाली पत्‍नी को लगता था कि उनके बेटों को पश्चिम प्रभाव से बचाना चाहिए। इसलिए उन्होंने चेतन आनंद को गुरुकुल कांगड़ी अध्ययन के लिए भेजा था और यही वह अपने मंझले पुत्र देवआनंद के साथ करना ाहती थी। परंतु सारे पारिवारिक दबाव के बावजूद देवआनंद इसके लिए तैयार नहीं हुए। उन्होंने अंग्रेजी साहित्य की। मजे की बात यह है कि देवआनंद का साहित्य बोध और जीवन शैली पाश्चात्य थी। उन्हें अपनी पुरानी फिल्मे भी देखना पसंद नहीं था। दरअसल विगत पर माथा नहीं कूटते थे। इन्सटेन्ट फुड और कॉफी की तरह देवआनंद भी त्वरित में यकीन करते थे।

जब देवआनंद उभरते हुए सितारे थे तब स्थापित शिखर सितारा सुरैया को उनसे इश्क हो गया और ऐसा बेसाख्ता हुआ कि उन्होंने उसे छुपाना भी जरूरी नहीं समझ। सुरैया मलिका ए तरुन्नम नूरजहां के नक्शे कदम पर चल रहीं थीं। उनके नाम की घोषणा ही फिल्म बिक जाती थी। उभरते देवआनंद को स्थापित सुरैया का साथ मिलने से लाभ पहुंचा परंतु ऐसा नहीं है कि सुरैया के सुडौल कंधों के सहारे ही वे सफल हुए।। सुरैया हॉलीवुड सितारा गेगरी पैक की प्रशंसा करती थी तो देवआनंद ने भी उसी शैली को अपनाया। इस प्रेम- कहानी में सुरैया की दादी खलनायिका बनीं। उन्हें यह रिश्ता सख्त नापसंद था। बात महज धर्म अलग होने की ही नहीं थी। वरन एक भरे पूरे परिवार की एकमात्र कमाने वाली सुरैया थी।

आत्महत्या की धमकी के कारण सुरैया को अपना प्रेम छोड़ना पड़ा। उसने मैरिन ड्राइव पर देवआनंद द्वारा दी गई हीरे की अंगूठी उन्हें लौटा दी और अपनी ही धुन में मगन देवआनंद ने उस हीरे की अंगूठी को समुद्र में फेंक दिया। अपने इसी मिजाज के कारण उन्होंने अत्यंत विश्वसनीय ढंग से साहिर का गीत हमदोनों में गाया ‘ मैं हर फिक्र को धुंए में उड़ाता चला गया जिंदगी का जश्न मनाता चला गया।’ कल्पना कार्तिक से शादी की खबर ने सुरैया को हिला दिया और उन्होंने अपनी आत्महत्या की धमकी देने वाली बुजरुग से कहा कि अब वे ताजिंदगी शादी नहीं करेंगी। और उन्होंने यह एहद निभया। कल्पना कार्तिक कैथोलिक धर्म में निष्ठा रखती है और लंबा समय चर्च में बिताती है। शादी के बाद बच्चों के जन्म के पहले ही कल्पना कार्तिक ने अभिनय छोड़ दिया था और उनके जीवन के बारे में कभी कोई खबर भी उजागर नहीं हुई। पति पत्‍नी दोनों ही अत्यंत आधुनिक व्यक्ति रहे है। और आधुनिकता एक सोच है जिसकी धर्म से कोई विरोध नहीं। देवआनंद ने ‘गाइड’ में एक अनिच्छुक स्वामी की भूमिका की थी जो अपने चाहने वालों की आस्था के कारण वर्षा के लिए अमरण उपवास करता है। पूरी जिंदगी देवआनंद ने महानगरीय आधुनिक की भूमिका की थी और ‘गाइड’ इसका अपवाद है और उनकी श्रेष्ठतम भूमिका रही। जिंदगी अफसानों से ज्यादा आश्चर्यजनक है कि आज मिसेज देवआनंद अपने जीवन के आध्यात्मिक चरण में हैं।

‘सैर पर शादी और चर्च में प्रार्थना’ पूरी जिंदगी देवआनंद ने महानगरीय आधुनिक की भूमिका की थी और ‘गाइड’ इसका अपवाद है और उनकी श्रेष्ठतम भूमिका रही। जिंदगी अफसानों से ज्यादा आश्चर्यजनक है कि आज मिसेज देवआनंद अपने जीवन के आध्यात्मिक चरण में हैं।